जलवायु परिवर्तन एवं नैतिकता

पृथ्वी पर मनुष्य एक ऐसा जीव है जो अपनी क्षमताओं के अनुसार प्रगति में परिवर्तन कर सकता है। मानव जनसंख्या में तीव्र वृद्धि तथा उपभोग स्तर में परिवर्तन के कारण मनुष्य ने अपने उद्भव के बाद से ही प्रकृति में व्यापक मात्रा में छेड़छाड़ की है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष 2050 तक मानव जनसंख्या बढ़ कर लगभग 10 अरब को पार कर जाएगी। ऐसी स्थिति में, प्राकृतिक संसाधनों की खपत में और भी अधिक वृद्धि होगी। औद्योगिक तथा निर्माणकारी गतिविधियों गतिविधियों के कारण पर्यावरण में कार्बन की सांद्रता में वृद्धि हुई है। कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन तथा ....

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