भारत में नागरिक समाज संगठनों की बदलती भूमिका

जॉर्ज हजिंस के अनुसार, "नागरिक समाज एक सामाजिक स्थान है जो राज्य और व्यापारिक क्षेत्रों से अलग होता है किंतु साथ-साथ काम करते हुए राज्य के साथ, कभी-कभी तनावपूर्ण सह-संबंध रखता है।"

  • नागरिक समाज राज्येतर संस्थाओं होती है, जिसमें समाज का विशाल क्षेत्र शामिल होता है। यह राजनीतिक-प्रशासनिक मामलों में नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करता है।
  • यह जनमत का निर्माण करता है और सामान्य प्रकृति की माँगें तय करता है। इसका लक्ष्य समान सार्वजनिक भलाई है। यह सत्तावाद और निरंकुशतावाद का विरोध करता है।
  • बदलते समय के अनुसार भारत में नागरिक समाज संगठनों की भूमिका बदल रही है। नए भारत के ....
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