भारत में नागरिक समाज संगठनों की बदलती भूमिका
जॉर्ज हजिंस के अनुसार, "नागरिक समाज एक सामाजिक स्थान है जो राज्य और व्यापारिक क्षेत्रों से अलग होता है किंतु साथ-साथ काम करते हुए राज्य के साथ, कभी-कभी तनावपूर्ण सह-संबंध रखता है।"
- नागरिक समाज राज्येतर संस्थाओं होती है, जिसमें समाज का विशाल क्षेत्र शामिल होता है। यह राजनीतिक-प्रशासनिक मामलों में नागरिकों की भागीदारी को सुनिश्चित करता है।
- यह जनमत का निर्माण करता है और सामान्य प्रकृति की माँगें तय करता है। इसका लक्ष्य समान सार्वजनिक भलाई है। यह सत्तावाद और निरंकुशतावाद का विरोध करता है।
- बदलते समय के अनुसार भारत में नागरिक समाज संगठनों की भूमिका बदल रही है। नए भारत के ....
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मुख्य विशेष
- 1 एनजीओ का विनियमन
- 2 भारत में उपशामक देखभाल और बुजुर्ग लोग
- 3 स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की चुनौतियां एवं नीति
- 4 बहुआयामी गरीबी
- 5 सूक्ष्म वित्त संस्थान
- 6 भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश तथा इसका दोहन
- 7 भारत में बाल विवाह
- 8 महिला सशक्तीकरण और लैंगिक न्याय
- 9 निजी क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण
- 10 कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
- 11 सहकारिता के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक समृद्धि
- 12 ग्रामीण-शहरी डिजिटल डिवाइड
- 13 भारत में सुभेद्य वर्ग: नीतिगत चुनौतियां एवं कल्याण के उपाय
- 14 उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति : चुनौती एवं समाधान
- 15 जातिगत जनगणना : आवश्यकता एवं मुद्दे
- 16 भारत में कुपोषण की समस्या : सरकार के कदम एवं उपाय
- 17 भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा : महत्व एवं मुद्दे
- 18 अधिकार आधारित विकास तथा सामाजिक न्याय: मूल्यांकन
- 19 सामाजिक न्याय व विकास संबंधी अधिकार आधारित पहलें
- 20 विकास, सामाजिक न्याय तथा अधिकारों के एकीकरण में एनजीओ की भूमिका
- 21 अधिकार आधारित दृष्टिकोण के कार्यान्वयन की रूपरेखा
- 22 अधिकार आधारित दृष्टिकोण के महत्वपूर्ण सिद्धांत
- 23 सामाजिक न्याय तथा विकास के लिए अधिकार आधारित दृष्टिकोण
- 24 न्यायिक खामियों को दूर करने के उपाय
- 25 न्यायिक प्रणाली से संबंधित मुद्दे व चुनौतियां
- 26 भारतीय न्यायिक प्रणाली मुद्दे एवं चुनौतियां
- 27 भारतीय जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता
- 28 LGBTQIA+ से संबंधित सामाजिक पूर्वाग्रह और कलंक: परिणाम एवं समाधान
- 29 भारत की वृद्ध आबादी: समावेशी सामाजिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता
- 30 आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाना: चुनौतियां और प्रमुख अनिवार्यताएं
- 31 शारीरिक स्वायत्तता बनाम भ्रूण अधिकार
- 32 शहरी गरीबी: उपशमन की आवश्यकता
- 33 भारत में लैंगिक असमानता
- 34 भारत में मूलभूत साक्षरता
- 35 भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल
- 36 भारत में बाल कुपोषण
- 37 भारत में ट्रांसजेंडर अधिकार
- 38 अपरिपक्व जन्म: वर्तमान स्थिति एवं प्रयास
- 39 भारत में बाल यौन अपराध: संबंधित मुद्दे तथा उपाय
- 40 स्थानीय से वैश्विकः जनजातीय उत्पादों का प्रोत्साहन
- 41 सहकारिता में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी
- 42 ग्रामीण स्वच्छता कवरेज
- 43 भारत में निवारक स्वास्थ्य देखभाल
- 44 सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सार्वभौमीकरण
- 45 भारत में गर्भपात कानून
- 46 स्वयं सहायता समूह: भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में भूमिका
- 47 प्रारं भिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा
- 48 मातृ एवं नवजात देखभाल
- 49 लैंगिक संवेदनशीलता