लैंगिक संवेदनशीलता
लैंगिक संवेदनशीलता का तात्पर्य लिंग-संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता और समझ तथा संवेदनशीलता एवं सम्मान के साथ उनसे निपटने की क्षमता से है।
लैंगिक संवेदनशीलता के तत्व
- लैंगिक रूढ़िवादिता को पहचानना और उसका प्रतिकार करना।
- उन विभिन्न तरीकों से अवगत होना, जिनसे लैंगिक मुद्दे अन्य कारकों, जैसे नस्ल, वर्ग पहचान के साथ प्रतिच्छेद कर सकते हैं।
- सभी लिंग के लोगों के लिए समान अधिकारों, अवसरों और व्यवहार को बढ़ावा देना।
- लिंग आधारित हिंसा का विरोध।
- लिंग-आधारित भूमिकाओं को लेकर सामाजिक रूढ़िवादिता का प्रतिकार। समावेशी भाषा का उपयोग करना और संचार में लैंगिक धारणाओं या रूढ़िवादिता से बचना।
- उन नीतियों और प्रथाओं का क्रियान्वयन जो ....
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मुख्य विशेष
- 1 भारत में उपशामक देखभाल और बुजुर्ग लोग
- 2 स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की चुनौतियां एवं नीति
- 3 बहुआयामी गरीबी
- 4 सूक्ष्म वित्त संस्थान
- 5 भारत का जनसांख्यिकीय लाभांश तथा इसका दोहन
- 6 भारत में बाल विवाह
- 7 महिला सशक्तीकरण और लैंगिक न्याय
- 8 निजी क्षेत्र में स्थानीय आरक्षण
- 9 कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव
- 10 सहकारिता के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक समृद्धि
- 11 ग्रामीण-शहरी डिजिटल डिवाइड
- 12 भारत में सुभेद्य वर्ग: नीतिगत चुनौतियां एवं कल्याण के उपाय
- 13 उच्च शिक्षा की वर्तमान स्थिति : चुनौती एवं समाधान
- 14 जातिगत जनगणना : आवश्यकता एवं मुद्दे
- 15 भारत में कुपोषण की समस्या : सरकार के कदम एवं उपाय
- 16 भारत में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा : महत्व एवं मुद्दे
- 17 अधिकार आधारित विकास तथा सामाजिक न्याय: मूल्यांकन
- 18 सामाजिक न्याय व विकास संबंधी अधिकार आधारित पहलें
- 19 विकास, सामाजिक न्याय तथा अधिकारों के एकीकरण में एनजीओ की भूमिका
- 20 अधिकार आधारित दृष्टिकोण के कार्यान्वयन की रूपरेखा
- 21 अधिकार आधारित दृष्टिकोण के महत्वपूर्ण सिद्धांत
- 22 सामाजिक न्याय तथा विकास के लिए अधिकार आधारित दृष्टिकोण
- 23 न्यायिक खामियों को दूर करने के उपाय
- 24 न्यायिक प्रणाली से संबंधित मुद्दे व चुनौतियां
- 25 भारतीय न्यायिक प्रणाली मुद्दे एवं चुनौतियां
- 26 भारतीय जेलों में मासिक धर्म स्वच्छता
- 27 LGBTQIA+ से संबंधित सामाजिक पूर्वाग्रह और कलंक: परिणाम एवं समाधान
- 28 भारत की वृद्ध आबादी: समावेशी सामाजिक बुनियादी ढांचे की आवश्यकता
- 29 आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाना: चुनौतियां और प्रमुख अनिवार्यताएं
- 30 शारीरिक स्वायत्तता बनाम भ्रूण अधिकार
- 31 शहरी गरीबी: उपशमन की आवश्यकता
- 32 भारत में लैंगिक असमानता
- 33 भारत में मूलभूत साक्षरता
- 34 भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल
- 35 भारत में बाल कुपोषण
- 36 भारत में ट्रांसजेंडर अधिकार
- 37 अपरिपक्व जन्म: वर्तमान स्थिति एवं प्रयास
- 38 भारत में बाल यौन अपराध: संबंधित मुद्दे तथा उपाय
- 39 स्थानीय से वैश्विकः जनजातीय उत्पादों का प्रोत्साहन
- 40 सहकारिता में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी
- 41 ग्रामीण स्वच्छता कवरेज
- 42 भारत में निवारक स्वास्थ्य देखभाल
- 43 सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सार्वभौमीकरण
- 44 भारत में गर्भपात कानून
- 45 स्वयं सहायता समूह: भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में भूमिका
- 46 प्रारं भिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा
- 47 मातृ एवं नवजात देखभाल
- 48 सामान्य अध्ययन 90 महत्वपूर्ण विषय - नागरिक समाज (जीएस पेपर-2)