अध्याय 13:जलवायु परिवर्तन और भारत
- जलवायु परिवर्तन के लिए वर्तमान वैश्विक रणनीतियां त्रुटिपूर्ण हैं और सार्वभौमिक रूप से लागू करने योग्य नहीं है।
- पश्चिमी देशों का दृष्टिकोण समस्या की जड़ यानि अत्यधिक खपत का समाधान नहीं निकालना चाहता, बल्कि अत्यधिक खपत को हासिल करने के दूसरे विकल्प चुनना चाहता है।
- ‘एक उपाय सभी के लिए सही’का दृष्टिकोण काम नहीं करेगा और विकासशील देशों को अपने तरीके चुनने की छूट दिए जाने की जरूरत है।
- भारतीय लोकाचार प्रकृति के साथ सौहार्द्रपूर्ण संबंधों पर जोर देते हैं, इसके विपरीत विकसित देशों में अत्यधिक खपत की संस्कृति को अहमियत दी जाती है।
- ‘कई पीढ़ियों वाले पारंपरिक परिवारों’ को बढ़ावा देने से सतत ....
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- 1 अध्याय 12:अवसंरचना
- 2 अध्याय 11: सेवाएं
- 3 अध्याय 10: मध्यम एवं लघु उद्योग
- 4 अध्याय 9: कृषि और खाद्य प्रबंधन
- 5 अध्याय 8: रोजगार और कौशल विकास
- 6 अध्याय 7: सामाजिक क्षेत्र
- 7 अध्याय 6: जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा स्रोतों में बदलाव को अपनाना
- 8 अध्याय 5: मध्य अवधि दृष्टिकोण- न्यू इंडिया के लिए विकास रणनीति
- 9 अध्याय 4: बाह्य क्षेत्र
- 10 अध्याय 3: कीमतें और मुद्रास्फीति
- 11 अध्याय 2: मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता
- 12 अध्याय 1: आर्थिक स्थिति – स्थिर
- 13 पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन
- 14 सामाजिक अवसंरचना और रोजगार
- 15 भौतिक और डिजिटल अवसंरचना
- 16 बाह्य क्षेत्र
- 17 सेवा क्षेत्र
- 18 उधोग एवं निवेश
- 19 कृषि एवं खाद्य प्रबंधन
- 20 वस्तुओं के मूल्य एवं महंगाई
- 21 मौद्रिक प्रबंधान और वित्तीय स्थिरता
- 22 राजकोषीय स्थिति
- 23 2014-22 के दौरान विकास परिदृश्य
- 24 आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22