मौद्रिक प्रबंधान और वित्तीय स्थिरता
अप्रैल 2022 से आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति को सख्त बनाना शुरू किया था। उस समय से लेकर अब तक रेपो रेट में 225 आधार बिन्दु की वृद्धि हुई है जिससे अधिशेष तरलता (Surplus Liquidity) में कमी आई है।
- वित्तीय संस्थानों के बैलेंस शीट की स्थिति में सुधार होने से ऋणों को प्रदान करने की प्रवृति में वृद्धि हुई है। ऋणों के लेने की प्रवृति में वृद्धि के आगे भी जारी रहने की आशा है, और इसके साथ ही निजी पूंजीगत व्यय बढ़ने से लाभप्रद निवेश चक्र (Investment Cycle) शुरू हो जाएगा।
- अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (Scheduled Commercial Banks) के ....
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- 1 अध्याय 13:जलवायु परिवर्तन और भारत
- 2 अध्याय 12:अवसंरचना
- 3 अध्याय 11: सेवाएं
- 4 अध्याय 10: मध्यम एवं लघु उद्योग
- 5 अध्याय 9: कृषि और खाद्य प्रबंधन
- 6 अध्याय 8: रोजगार और कौशल विकास
- 7 अध्याय 7: सामाजिक क्षेत्र
- 8 अध्याय 6: जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा स्रोतों में बदलाव को अपनाना
- 9 अध्याय 5: मध्य अवधि दृष्टिकोण- न्यू इंडिया के लिए विकास रणनीति
- 10 अध्याय 4: बाह्य क्षेत्र
- 11 अध्याय 3: कीमतें और मुद्रास्फीति
- 12 अध्याय 2: मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता
- 13 अध्याय 1: आर्थिक स्थिति – स्थिर
- 14 पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन
- 15 सामाजिक अवसंरचना और रोजगार
- 16 भौतिक और डिजिटल अवसंरचना
- 17 बाह्य क्षेत्र
- 18 सेवा क्षेत्र
- 19 उधोग एवं निवेश
- 20 कृषि एवं खाद्य प्रबंधन
- 21 वस्तुओं के मूल्य एवं महंगाई
- 22 राजकोषीय स्थिति
- 23 2014-22 के दौरान विकास परिदृश्य
- 24 आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22