वैश्वीकरण के युग में बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य
मोनिका मिश्रा
वैश्विक स्तर पर तीव्र गति से बदलती तकनीकी एवं आर्थिक परिस्थितियों के बीच वैश्वीकरण से बच्चों के समक्ष अनेक चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं, जो बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास में बाधक हैं। बच्चों की आरंभिक अवस्था से लेकर युवावस्था की उम्र में पहुंचने तक उनके लिए भावनात्मक कल्याण सर्वप्रमुख आवश्यकता होती है। प्रतिस्पर्धा, उपभोक्तावाद, व्यक्तिवाद, संकीर्णता, परिवारों का टूटना, सामूहिक भागीदारी का अभाव, अलगाव, असमानता, सापेक्ष गरीबी और अपराध जैसी समस्याओं की आवृत्ति में वृद्धि ने बच्चों के मानसिक विकास पर प्रत्यक्ष प्रभाव डाला है। विभिन्न देशों के मध्य होने वाले युद्ध एवं संघर्ष, ....
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निबन्ध
- 1 केवल इसलिए कि आपके पास विकल्प है इसका अर्थ यह कदापि नही की उनमे से कोई एक ठीक होगा ही - डॉ. श्याम सुंदर पाठक
- 2 जीवन, स्वयं को अर्थपूर्ण बनाने का अवसर है
- 3 क्या हम सभ्यता के पतन की राह पर हैं?
- 4 क्या अधिक मूल्यवान है, बुद्धिमत्ता या चेतना?
- 5 कौशल विकास के माध्यम से ग्रामीण भारत का रूपांतरण
- 6 सार्वजनिक नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी की आवश्यकता
- 7 विकास जैसी गतिशील प्रक्रिया में मानवाधिकार, मूल्यवान मार्गदर्शक हैं
- 8 ओटीटी प्लेटफार्मः विनियमन बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- 9 क्या 21वीं सदी के नेटिज़ेंस के लिए गोपनीयता एक भ्रम है?
- 10 शहरी मध्य वर्ग, भारत के रूपांतरण की कुंजी है
- 11 सद्भावना ही एकमात्र ऐसी संपत्ति है जिसे प्रतिस्पर्धा कम या नष्ट नहीं कर सकती
- 12 हम भावी पीढि़यों को एक स्वस्थ और टिकाऊ ग्रह के अधिकार से वंचित नहीं कर सकते
- 13 भविष्य उनका है, जिनके पास डेटा है
- 14 स्त्री पैदा नहीं होती, बल्कि बना दी जाती हैं
- 15 आर्थिक शक्ति समकालीन विश्व में किसी भी राष्ट्र की शक्ति की आधारशिला है
- 16 वैश्विक चुनौतियां वैश्विक समाधानों की मांग करती हैं
- 17 भारतीय अर्थव्यवस्था चौथी औद्योगिक क्रांति के लिए कितनी तैयार है?
- 18 शिक्षा का सही उद्देश्य तथ्यों का नहीं बल्कि मूल्यों का ज्ञान होना है
- 19 समाज में लैंगिक रूढि़बद्धता की समस्या एवं मीडिया की भूमिका
- 20 खाद्य अपव्यय: भारत के खाद्य सुरक्षा संबंधी प्रयासों में बाधक
- 21 व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा
- 22 बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए
- 23 अंतर्निहित प्रवृत्ति की कमजोरी चरित्र की कमजोरी बन जाती है
- 24 कर्तव्यों का अच्छी तरह से निर्वहन तदनुरूप अधिकारों का निर्माण करता है
- 25 नागरिकों की व्यक्तिगत पसंद निजता के अधिकार के अंतर्गत संरक्षित है
- 26 गलत सूचनाओं के प्रसार से जन्म लेता सूचना का संकट
- 27 संविधान की पवित्रता अनिवार्य रूप से धर्मनिरपेक्षता की पुष्टि में निहित है
- 28 ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के अलावा सामाजिक पूंजी, शासन और प्रकृति में निवेश भारत के दीर्घकालिक विकास की कुंजी है।
- 29 समझने का सुख सबसे उत्कृष्ट आनंद है
- 30 सामाजिक-आर्थिक विकास में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कौशल की भूमिका
- 31 केवल सशक्तीकरण से महिलाओं की समस्याएं हल नहीं की जा सकतीं
- 32 राजनीति का अपराधीकरणः भारतीय लोकतंत्र के समक्ष एक गम्भीर संकट
- 33 आतंक एवं हिंसक अतिवादः वर्तमान दशक में भारत की सुरक्षा
- 34 भारत में क्षेत्रीय असमानता दूर करने में राजकोषीय संघवाद कितना प्रभावी?
- 35 उच्च उपलब्धि सदैव उच्च अपेक्षा के ढांचे के अंतर्गत प्राप्त होती है
- 36 स्वास्थ्य एवं शिक्षा में निवेश के माध्यम से जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग
- 37 घरेलू हिंसा: एक बड़ी सामाजिक चुनौती
- 38 नवीकरणीय ऊर्जा: भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं का विकल्प
- 39 क्या वर्तमान दौर में इंटरनेट की सेंसरशिप आवश्यक है?
- 40 जीवन, स्वयं को अर्थपूर्ण बनाने का अवसर है
- 41 भारत में वंचितों के लिए सार्वभौमिक न्यूनतम आय
- 42 पर्यावरणीय चिंताओं ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति की दिशा बदल दी है
- 43 नए दौर में सुरक्षा बलों के प्रति परिवर्तित दृष्टिकोण
- 44 आधुनिक जटिल समाज न्याय के विभेदीकृत सिद्धांतों की मांग करता है
- 45 सतत विकास का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के जरिये ही प्राप्त किया जा सकता है
- 46 समाज में व्याप्त असहिष्णुता मॉब लिंचिंग का कारण है?
- 47 प्रौद्योगिकी ने जितने रोजगार कम किए हैं, उससे कहीं अधिक बढ़ाए हैं
- 48 जागरूक मतदाताः लोकतन्त्र का मजबूत स्तंभ
- 49 ग्रामीण रूपान्तरण की चुनौतियाँ व अवसर
- 50 स्त्री-पुरुष संबंधः परिवर्तनशील नैतिक मानदंड
- 51 मौन सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी
- 52 अक्षय ऊर्जा, भविष्य की आवश्यकता है
- 53 खतरे में धरती नहीं, हम हैं
- 54 सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्त्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं
- 55 वैश्विक शरणार्थी संकटः समस्या एवं समाधान
- 56 बच्चों के प्रति बढ़ती हिंसाः समाज की गिरती नैतिकता का प्रतिबिंब
- 57 मीडिया, प्राकृतिक या कृत्रिम जनमत का माध्यम है।
- 58 नारी-शक्ति को कैसे बल दें?
- 59 विश्वास को हमेशा तर्क से तौलना चाहिए, जब विश्वास अंधा हो जाता है तो मर जाता है