जीवन, स्वयं को अर्थपूर्ण बनाने का अवसर है

विवेक उपाध्याय

अशफाकउल्ला खां का 27 वर्षीय अल्प जीवन भी महान क्रांतिकारी तथा राष्ट्रवादी शायर की मिसाल के रूप में याद किया जाता है। एक भरे-पूरे परिवार के इस सबसे छोटे युवक को भारत कृतज्ञता से याद करता है। प्रश्न उठता है कि क्या उनके परिवार के अन्य सदस्यों या उनकी पीढ़ी के अन्य मित्रें ने अपना जीवन नहीं जिया? क्या अर्थपूर्ण जीवन जीने वाले विशिष्ट या अवतारी होते हैं? उनके अन्दर कौन-सा ऐसा गुण होता है, जो उनके जीवन को उदाहरण और प्रेरणा बना देता है? क्या केवल प्राणोत्सर्ग ही जीवन को महान बनाता है?

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