सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्त्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं

दुर्गेश सिंह

‘‘दुनिया को भारत की एक बड़ी सीख यह है कि यहां सबसे पहले कर्त्तव्य को प्राथमिकता दी जाती है और इन्हीं कर्त्तव्यों से अधिकार निकलते हैं। आज के आधुनिक भौतिकवादी युग में जहां हर तरफ टकराव दिखाई पड़ते हैं, हर कोई अपने अधिकारों और सुविधा की बात करता है शायद ही कोई कर्त्तव्यों की बात करता हो। यही टकराव की वजह है। यह सच है कि हम अधिकार और सुविधाओं के लिए लड़ते हैं लेकिन यह भी सच है कि यदि हम कर्त्तव्यों को भूल जायें तो ये अधिकार और सुविधाएं बेमानी हो जाएंगे।’’

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