भारत में वंचितों के लिए सार्वभौमिक न्यूनतम आय

द विवेक उपाध्याय

"जब तक गरीबी, अन्याय और घोर असमानता

हमारी दुनिया में मौजूद है, हममें से कोई भी

आराम नहीं कर सकता।"

नेल्सन मंडेला का यह कथन राज्य की लोकल्याणकारी भूमिका से जुड़ा है। तात्पर्य यह है कि राजनैतिक व्यवस्था को नागरिकों की मूलभूत आवश्यकताओं का ध्यान रखना चाहिए। वास्तव में आधुनिक तथा लोकतांत्रिक विश्व की पहली शर्त मानव केन्द्रित होना तथा सभी नागरिकों के सम्पूर्ण विकास पर अपना ध्यान केन्द्रित करना है। इस अर्थ में राज्य का प्रमुख लक्ष्य गरीबी, अन्याय व असमानता को दूर करने का होना चाहिए। ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ ....


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