बच्चों के प्रति बढ़ती हिंसाः समाज की गिरती नैतिकता का प्रतिबिंब

अंकित सिंह

"बचाव एवं सुरक्षा स्वतः ही संभव नहीं है, यह सामूहिक सर्वसम्मति और सार्वजनिक निवेश का परिणाम है। हमें अपने बच्चों को, जो कि समाज के सबसे कोमल और कमजोर नागरिक हैं, एक यातना और भय से मुक्त जीवन देना होगा!”

-नेल्सन मंडेला

उपरोक्त कथन के माध्यम से नेल्सन मंडेला ने व्यक्ति और समाज के मस्तिष्क में स्थित उन तन्तुओं को छुआ है जो उन मासूम जिंदगियों के प्रति संवेदन शून्य होते जा रहे है, जिसके कन्धों पर भविष्य की मानव सभ्यता को ऊंचाई पर ले जाने का दायित्व है।

माना जाता है कि एक सुरक्षित, अलमस्त, बदमाशियों से भरा, हंसता ....

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