राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक कार्यालय द्वारा एक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020 तैयार की जा रही है।
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति 2020 के उद्देश्य
इसका प्राथमिक उद्देश्य बेहतर ऑडिट प्रणाली के माध्यम से साइबर सुरक्षा और साइबर जागरूकता में सुधार लाना है।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC)
त्रिस्तरीय संरचना
कार्य
सदस्यः
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साइबर सुरक्षा की आवश्यकता
सरकार द्वारा डिजिटलीकरण हेतु किए जा रहे प्रयासः आधार, डलGवअ, सरकारी ई-बाजार, भारतनेट, डिजीलॉकर आदि विविध सरकारी कार्यक्रम अत्यधिक संख्या में नागरिकों, कंपनियों तथा सरकारी एजेंसियों को ऑनलाइन व्यवहारों एवं अंतरणों को अपनाने हेतु प्रोत्साहित कर रहे हैं।
स्टार्ट-अप कंपनियों को डिजिटल प्रोत्साहनः भारत तकनीकी आधारित स्टार्ट-अप का विश्व में सबसे बड़ा केंद्र है।
सुभेद्यता में बढ़ोतरीः साइबर सुरक्षा के उल्लंघनों के मामलों में भारत विश्व का पांचवां सबसे सुभेद्य देश है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर हो रहे सभी साइबर हमलों, यथा पेगासस स्पाइवेयर, मोलवेयर, स्पैम तथा फिशिंग आदि में से लगभग 5 प्रतिशत हमले अकेले भारत में हुए है।
महत्वपूर्ण क्षेत्रों की सुरक्षाः विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों की बढ़ती परस्परता और 5G के साथ इंटरनेट के प्रयोग में होने वाली बढ़ोतरी के मद्देनजर यह काफी महत्वपूर्ण हो गया है।
भारतीय कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT-In) द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों की मानें तो केवल वर्ष 2020 के प्रारंभिक आठ महीनों में ही कुल 6.97 लाख साइबर सुरक्षा संबंधी घटनाएं दर्ज हुई थीं, जो कि पिछले चार वर्षों में हुई कुल साइबर घटनाओं के बराबर हैं।
आर्थिक क्षति से बचानाः भारत में साइबर हमलों के कारण होने वाली आर्थिक क्षति अनुमानतः 4 अरब डॉलर की है, जिसे आगामी 10 वर्षों में बढकर 20 अरब डॉलर होने की संभावन है।
डेटा संरक्षण की चुनौतीः 21वीं सदी में डेटा, मुद्रा के समान महत्वपूर्ण है। भारत की विशाल जनसंख्या के कारण कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां (गूगल, अमेजन) यहां अपनी पहुंच बनाने की कोशिश कर रही हैं। इसलिये डेटा संप्रभुता, डेटा और इंटरनेट गवर्नेंस आदि से संबंधित मुद्दों का समाधान आवश्यक है।
साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के मार्ग में आने वाली चुनौतियाँ
साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया गया प्रयास