लुक वेस्ट पॉलिसीः भारत की बढ़ती सक्रियता

भारत की लुक वेस्ट पालिसी के सम्बन्ध में कहा जाता है कि ‘यदि पूर्वी मोर्चा, दीर्घकालिक नीति पर बन रहा है, तो पश्चिमी मोर्चा, वैचारिक रूप से अपेक्षाकृत अधिक आधुनिक है तथा भविष्य में ‘एक्ट ईस्ट’ का मिलान ‘थिंक वेस्ट’ के साथ होगा।’

  • भारत का पश्चिम एशिया से संबंध सहस्राब्दियों पुराना है। सिंधु घाटी सभ्यता के दिलमुन (आधुनिक बहरीन) के साथ व्यापारिक संबंध थे। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में, पंजाब, फारसी साम्राज्य का हिस्सा था। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में, मिस्र के टॉलेमी द्वितीय और मौर्य सम्राटों चंद्रगुप्त मौर्य और अशोक ने राजदूतों का आदान-प्रदान किया।
  • वर्तमान में भारत, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और इजरायल ने अपने विदेश मंत्रियों की पहली बैठक भारत के केंद्रीय विदेश मंत्री की इजरायल यात्रा के दौरान हुई, जिसे पश्चिमी क्वाड के रूप में जाना गया।
  • क्योंकि यह पश्चिमी एशियाई भू-राजनीति में बदलाव और मध्य-पूर्व में एक और क्वाड जैसे समूह के गठन की मजबूत अभिव्यक्ति है। यह गठबंधन अभी तक संस्थागत नहीं है लेकिन नवंबर 2021 के लिये इन चार देशों की एक बैठक की योजना बनाई गई है।
  • पश्चिम एशियाई क्षेत्र में आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के साथ-साथ आर्थिक विकास, व्यापार, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, समुद्री सुरक्षा हेतु भारत के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

नीति का आरम्भ

  • भारत की ‘लुक ईस्ट नीति’ सफलता के बाद, अब पश्चिमी एशिया में अपने विदेश नीति का सफलतापूर्वक संचालन करने तथा व्यापक स्तर पर ‘लुक बेस्ट पॉलिसी’ की शुरूआत 2005 से आरम्भ किया है, वर्ष 2005 से लेकर वर्तमान तक भारत और पश्चिमी एशिया के देशों के साथ संबंधों में और अधिक प्रगाढ़ता आयी है।

वर्ष 2014 के बाद की नीति

2014 के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी के शासन काल में इस नीति में सक्रियता आई तथा फरवरी, 2018 के मध्य तीन देशों- फिलिस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान की यात्रा भारत की सक्रीय लुक वेस्ट पालिसी का एक अंग थी, जिसमें उन्होंने भारत और इन देशों के बीच व्यापार, निवेश, सुरक्षा आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, ऊर्जा समेत द्वीपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ बनाने पर जोर दिया गया।

  • भारत के राष्ट्रपति ने अक्टूबर, 2015 में इजराइल, फिलिस्तीन और जॉर्डन की राजकीय यात्रा की थी।
  • प्रधानमंत्री ने अगस्त 2015 में संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया।
  • विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 2015 में मिश्र, फिलिस्तीन एवं इजराइल की यात्रा संपन्न की। उन्होंने अरब लोग मंत्री स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।
  • भारत की वैश्विक गतिविधियों में इस क्षेत्र को काफी प्राथमिकता दी गई है। भारत का यहां के देशों के साथ बहुआयामी संबंध है। भारत पश्चिमी एशिया तथा खाड़ी क्षेत्रों के साथ बढ़ते महत्वपूर्ण संबंधों को और मजबूत बनाने के लिये प्रतिबद्ध है।

महत्व

प्राचीन काल में सिंधु/डिलुमन सभ्यता के समय से दोनों पक्षों के बीच संपर्क सतत रूप से जारी है। इस क्षेत्र में 8 से 9 मिलियन से अधिक भारतीय रह रहे हैं, जो हर साल धन प्रेषण के रूप में लगभग 60 से 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान करते हैं।

  • यह क्षेत्र भारत तेल एवं गैस को आवश्यकता का 60 प्रतिशत से अधिक भाग का स्रोत है।
  • वर्तमान में यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है तथा आठवां सबसे बड़ा निवेशक है।
  • भारत के बुनियादी ढांचे को विकसित करने और भारत व अरब की खाड़ी के बीच आर्थिक गलियारे को विकसित करने के लिये संयुक्त अरब अमीरात द्वारा अत्यधिक निवेश किया गया।
  • संयुक्त अरब अमीरात में भारत का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय भी है और उसने संयुक्त अरब अमीरात के आर्थिक विकास में प्रमुख भूमिका निभाई है। इस क्षेत्र में भारत का सबसे पुराना रणनीतिक सहयोगी ओमान है। ओमन के पर्यटकों और मरीजों के लिए भारत एक सबसे बड़ा केंन्द्र है। भारत के लिए ओमान के दुक्म बंदरगाह का महत्व बहुत ज्यादा है।
  • भारतीय नौसेना ने वर्ष 2019 में ऑपरेशन संकल्प शुरू किया था, जिससे होरमुज की जलसंधि से निकलकर आगे जाने वाले कच्चे तेल के जहाजों को भारत तक सुरक्षित पहुंचाया जा सके। भारत अपनी तेल की जरूरतों का 80 प्रतिशत हिस्सा आयात करता है-
  • भारत और इजराइल के बीच 9 समझौतों में प्रौद्योगिकी सहयोग, नवाचार, अनुसंधान व विकास, विज्ञान, अंतरिक्ष आदि शामिल थे।
  • भारत और इजरायल के बीच पहली बार तेल और गैस क्षेत्र में निवेश, इजराइल रिन्यूवेबल एनर्जी में भारतीय कंपनियों को उन्नत तकनीक देने को लेकर समझौता किया गया।
  • भारत-इजराइली हथियारों का दुनिया में सबसे बड़ा खरीदार है।
  • खाड़ी देशों में रहने वाले भारतीयों की संख्या हाल के वर्षों में 60 लाख से बढ़कर 90 लाख से ज्यादा हो चुकी है। ये लोग वार्षिक भारत में 35 अरब डॉलर की राशि भेजते हैं। इससे देश का विदेशी मुद्रा भण्डार बढ़ रहा है। इसके अलावा भारत की कुल ऊर्जा जरूरतों का 60 फीसदी इस क्षेत्र के देशों से प्राप्त किया जाता है। पश्चिमी एशिया के देशों में ओमान के साथ महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। इस समझौते के तहत भारतीय नौसेना को ओमान के दुक्कम पोर्ट तक पहुंच हासिल हुई।
  • सांस्कृतिक सम्बन्धों को बढ़ाबा देने हेतु भारत ने अबूधाबी में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण कर रहा है।
  • भारत एक वैश्विक शक्ति बनकर उभर रहा है, जिस प्रकार से भारत ने ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ को ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी में बदला है जिससे पूर्वी एशिया के देशों के साथ भारत ने अपने संबंधी को मजबूती दी है। उसी प्रकार से भारत को ‘लुक वेस्ट पॉलिसी’ की भी जरूरत है।

पश्चिम एशिया की चुनौती

पिछले कई वर्षों से पश्चिमी एशिया की जियोपॉलिटिक्स का असर सुदूर समुद्र में देखने को मिला है। इसमें एक तरफ तो खाड़ी देशों और इजराइल के बीच की तनाव का मुद्दा प्रमुख है।

  • फारस की खाड़ी, ओमान की खाड़ी और खास तौर से होरमुज की जलसंधि में ईरान के साथ टकराव की स्थिति है।
  • होरमुज जलसंधि, ईरान और अरब खाड़ी के बीच एक बेहद संकरा समुद्री रास्ता है जिससे प्रत्येक दिन लगभग 2 करोड़ बैरल का व्यापार होता है। इस वजह से ये दुनिया भर में तेल और गैस की आपूर्ति को ठप करने की ताकत रखने वाला सबसे अहम समुद्री रास्ता है। ईरान और खाड़ी देशों के बीच का तनाव हमेशा से ही इस क्षेत्र की सुरक्षा संबंधी फिक्र के केंद्र में रहा है। ईरान का P5$1 देशों के साथ परमाणु समझौता इस क्षेत्र में तनाव का नया क्षेत्र है। इस क्षेत्र में हुती विद्रोही का की समस्या

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है पश्चिमी एशिया

भारत इस समय दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोत्तफ़ा देश है। देश में दीर्घकालिक ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये खाड़ी देश महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत को 2024 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने हेतु ऊर्जा सुरक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

  • खाड़ी देश भारत के लिए एक पंसदीदा व्यापारिक भागीदार है। विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और ईरान जैसे देशों के साथ व्यापारिक आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं, इसलिए मुक्त व्यापार समझौते की आवश्यकता है।
  • रणनीतिक रूप से भारत इन देशों से संपर्क के साथ पश्चिम के देशों तक आसानी से अपनी पहुंच बना सकता है।
  • चीन के ‘सिल्क रूट नीति’ को काउण्टर करने के लिये इस क्षेत्र में भारत को सामारिक साझेदारी महत्वपूर्ण है। अर्थात् क्षेत्र में शक्ति संतुलन में म मिलेगी।
  • इस्लामी उग्रवाद, आतंकवाद, समुद्र क्षेत्र में चोरी के बढ़ते खतरे भारत तथा खाड़ी देशों के लिए चिंता का विषय है। ऐसे समय में इन देशों के साथ सैनिक सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।
  • भारत का खाड़ी देशों सांस्कृतिक संबंधों, जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग मिलेगा और भारत का इन इस्लामिक राष्ट्रों से सीधा संपर्क स्थापित करने में म मिलेगी।
  • भारत-अरबमेड (ArabMed) गलियारा इस क्षेत्र की उभरती भूराजनीति को फायदा पहुंचा सकती है, जिससे ग्रीक ट्रांसशिपमेंट पोर्ट ऑफ परेयस के जरिए मुंबई और यूरोपियन मुख्य भू-भाग के बीच मल्टी मॉडल लिंक निर्मित किया जा सकता है। मल्टी-मॉडल लिंक के जरिए भारत-अरबमेड कॉरिडोर मुंबई से परेयस के बीच शिपिंग का समय वर्तमान के 17 दिनों से घटाकर 10 दिन करेगा, जो भारत के लिए अहम है।

भारत की चुनौतियां

  • इस क्षेत्र में इजरायल फिलिस्तीन विवाद
  • ईरान-अमेरिका तनाव से तेल आयात का संकट
  • इस्लामी कट्टरता और आतंकबाद
  • अदन की खाड़ी में समुद्री डकैतों की समस्या
  • चीन का दुक्कम बंदरगाह पर बढ़ता प्रभाव क्योंकि इस पोर्ट का सामरिक एवं रणनीतिक महत्व काफी ज्यादा है क्योंकि ये ईरान के चाबाहार बंदरगाह के नजदीक है।
  • खाड़ी देशों की अस्थिरता, भारत के लिये चिंता का विषय है। यहां पर अनेक आतंकवादी संगठन जैसे आईएसआई सक्रीय है।
  • इसके अलावा अस्व स्प्रिंग, राजनीतिक उथल-पुथल, आदि अनेक कारण है, जिससे पश्चिमी एशिया में अस्थिरता कायम है।
  • खाड़ी देशों की धार्मिक समस्या भी महत्वपूर्ण है जैसा कि सुन्नी अरबियों और इरानी शियाओं के बीच शिया और सुन्नी का मामला आदि।
  • भारत और चीन एक उभरती हुए शक्तियां है। इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच कोई स्पष्ट रोड मैप नहीं है। इस क्षेत्र में चाइना का बढ़ता प्रभाव भारतीय समुद्री क्षेत्र में फैला रहा है।

‘गोल्डन वीजा’ क्या है?

  • वर्ष 2019 में, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) द्वारा ‘दीर्घकालिक निवास वीजा’ जारी करने के लिए एक नई प्रणाली लागू की गयी थी, जिसके तहत विदेशी नागरिकों को, बिना किसी स्थानीय प्रायोजक के ‘संयुक्त अरब अमीरात’ में रहने, काम करने और अध्ययन करने की सुविधा प्रदान की जाती है। इसके अलावा, इस नई व्यवस्था के तहत विदेशी नागरिकों को 100 प्रतिशत स्वामित्व के साथ अपना व्यवसाय करने की सुविधा उपलब्ध होती है।

‘गोल्डन वीजा’ के तहत दिए जाने वाले प्रस्तावः

  • गोल्डन वीजा प्रणाली, मुख्यतः निवेशक, उद्यमी, उत्कृष्ट प्रतिभा वाले व्यक्ति जैसे शोधकर्ता, चिकित्सा पेशेवर, विज्ञान एवं अन्य ज्ञान-क्षेत्रों से संबंधित व्यक्ति तथा असाधारण छात्र समूहों से संबंधित व्यक्तियों को दीर्घकालिक निवास (5 और 10 वर्ष) के लिए अवसर प्रदान करती है।

आगे की राह

  • भारत की पश्चिमी एशिया की नीति का उद्देश्य खाड़ी देशों में ज्यादा से ज्यादा सक्रीय भूमिका निभाने की होनी चाहिए।
  • खाड़ी क्षेत्र में शांति और स्थिरता के साथ-साथ क्षेत्र से गुजरने वाले समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए प्रयासों में वृद्धि करने की आवश्यकता है।
  • आतंकवाद और कट्टरवाद से आम खतरों के लिए संयुक्त कार्रवाई की आवश्यकता है चूंकि भारत एक उभरती हुई शक्ति है। लेकिन लुक वेस्ट नीति के लिये कोई रोड मैप नहीं है।
  • अतः भारत को एक्ट ईस्ट पॉलिसी की तरह, एक्ट वेस्ट पॉलिसी की भी आवश्यकता है।