भारत की लुक वेस्ट पालिसी के सम्बन्ध में कहा जाता है कि ‘यदि पूर्वी मोर्चा, दीर्घकालिक नीति पर बन रहा है, तो पश्चिमी मोर्चा, वैचारिक रूप से अपेक्षाकृत अधिक आधुनिक है तथा भविष्य में ‘एक्ट ईस्ट’ का मिलान ‘थिंक वेस्ट’ के साथ होगा।’
नीति का आरम्भ
वर्ष 2014 के बाद की नीति
2014 के पश्चात प्रधानमंत्री मोदी के शासन काल में इस नीति में सक्रियता आई तथा फरवरी, 2018 के मध्य तीन देशों- फिलिस्तीन, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान की यात्रा भारत की सक्रीय लुक वेस्ट पालिसी का एक अंग थी, जिसमें उन्होंने भारत और इन देशों के बीच व्यापार, निवेश, सुरक्षा आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, ऊर्जा समेत द्वीपक्षीय संबंधों को और सुदृढ़ बनाने पर जोर दिया गया।
महत्व
प्राचीन काल में सिंधु/डिलुमन सभ्यता के समय से दोनों पक्षों के बीच संपर्क सतत रूप से जारी है। इस क्षेत्र में 8 से 9 मिलियन से अधिक भारतीय रह रहे हैं, जो हर साल धन प्रेषण के रूप में लगभग 60 से 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान करते हैं।
पश्चिम एशिया की चुनौती
पिछले कई वर्षों से पश्चिमी एशिया की जियोपॉलिटिक्स का असर सुदूर समुद्र में देखने को मिला है। इसमें एक तरफ तो खाड़ी देशों और इजराइल के बीच की तनाव का मुद्दा प्रमुख है।
भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है पश्चिमी एशिया
भारत इस समय दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोत्तफ़ा देश है। देश में दीर्घकालिक ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये खाड़ी देश महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत को 2024 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने हेतु ऊर्जा सुरक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
भारत की चुनौतियां
‘गोल्डन वीजा’ क्या है?
‘गोल्डन वीजा’ के तहत दिए जाने वाले प्रस्तावः
|
आगे की राह