नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन

हाल ही में, अमेरिका ने रूस और जर्मनी के बीच नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना के लिए अपनी मंजूरी प्रदान करने का संकेत दिया है। इससे पहले, उसने इस गैस पाइपलाइन को पूरा होने से रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए थे। नॉर्ड स्ट्रीम-2 बाल्टिक सागर से होते हुए पश्चिमी रूस से उत्तरपूर्वी जर्मनी तक जाने वाली दूसरी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन है।

नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन

यह 1,200 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन है जो रूस में उस्त-लुगा (ust-Luga) से बाल्टिक सागर के रास्ते जर्मनी के ग्रिफ्सवाल्ड (Greifswold) तक जाएगी। इसके माध्यम से प्रति वर्ष 55 बिलियन क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस को परिवहित किया जाएगा। 2018 में इस पाइपलाइन का निर्माण प्रारंभ हुआ और सितंबर 2021 में पूरा हुआ।

  • इस पाइपलाइन का निर्माण करने के लिए रूसी ऊर्जा प्रमुख गजप्रोम और पांच अन्य यूरोपीय फर्मों द्वारा 2015 में एक समझौता किया गया था। नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन पहले ही पूरी हो चुकी है और नॉर्ड स्ट्रीम 2 के साथ मिलकर इसके माध्यम से प्रतिवर्ष जर्मनी को 110 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस की आपूर्ति की जाएगी।

आवश्यकता

  • जर्मनी कमोबेश पूरी तरह प्राकृतिक गैस के आयात पर निर्भर होना।
  • ऊर्जा स्थानान्तरण के कारण कोयला और परमाणु उर्जा को समाप्त कर ऊर्जा अक्षय ऊर्जा उत्पादन या निर्यात शुरू न हो पाने तक वह प्राकृतिक गैस का उपयोग, एक पुल की तरह करना।
  • जर्मनी को अपनी सप्लाई को मजबूत करने में म मिलेगी। इस बीच प्राकृतिक गैस का अधिकांश हिस्सा ऑस्ट्रिया, इटली और दूसरे मध्य और पूर्वी यूरोप के देशों को भेजा जाएगा।

विवाद

  • अमेरिका द्वारा परियोजना को प्रतिबंधित किए जाने के पीछे कुछ महत्वपूर्ण कारण इस प्रकार हैं:
  • रूस पर यूरोपीय संघ की बढ़ती निर्भरताः इस परियोजना से प्राकृतिक गैस के लिए यूरोप की रूस पर निर्भरता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उदाहरण के लिए, वर्तमान में यूरोपीय संघ के देश अपनी 40% गैस जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर हैं।
  • रूस के लिए सामरिक लाभः कुछ विद्वानों के अनुसार, इस परियोजना के माध्यम से रूस को भू-राजनैतिक लाभ मिलेगा तथा दूसरी तरफ संयुक्त राज्य अमेरिका एवं उसके सहयोगी देशों को हानि उठानी पड़ सकती है।
  • यूक्रेन का नुकसानः रूस और यूरोप के बीच यूक्रेन से होकर गुजरने वाली एक पाइपलाइन पहले से ही कार्यरत है। एक बार नॉर्ड स्ट्रीम 2 परियोजना पूरी हो जाने के बाद, रूस संभवतः यूक्रेन को नजरअंदाज कर सकता है, जिससे उसे प्रति वर्ष लगभग 3 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है। 2014 के क्रीमियाई संघर्ष के पश्चात यूक्रेन और रूस के बीच संबंध काफी खराब हो गए हैं।

पाइपलाइन पर अमेरिका का नया रुख

परियोजना के लिए अमेरिका ने अपनी मंजूरी जर्मनी के साथ हुए समझौते के बाद दी है, जिसके तहत बर्लिन रूस को पाइपलाइन के रणनीतिक लाभ उठाने से रोकेगा।

  • अमेरिका ने यूक्रेन अथवा पूर्वी यूरोप के अन्य देशों को नुकसान पहुंचाने के लिए पाइपलाइन का इस्तेमाल करने पर रूस को परिणाम भुगतने की धमकी भी दी है।
  • अमेरिका एक तरफ रूस के हाइड्रोकार्बन तक पहुंच चाहता है, तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी चुनावों में रूस की कथित संलिप्तता तथा 2014 के क्रीमियाई संघर्ष के कारण वह रूस पर अविश्वास करता है।
  • अमेरिका-जर्मनी समझौता इस बात को भी इंगित करता है कि, रूस द्वारा ऊर्जा को एक हथियार के रूप में उपयोग किए जाने पर जर्मनी यूरोपीय संघ पर रूस के खिलाफ कार्यवाही करने तथा प्रतिबंध लगाने के लिए दबाव डालेगा।
  • इससे यूरोप में रूसी ऊर्जा क्षेत्र की निर्यात क्षमताओं में कमी आएगी। यूक्रेन के मुद्दे पर रूस और पश्चिम के बीच जारी तनाव और संकट के बीच अब ये पाइपलाइन केंद्र में आ गई है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो वो नॉर्ड स्ट्रीम-2 गैस पाइपलाइन को बंद कर दिया जायेगा।