वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर क्या है?
टैक्स लगाने के कारण
वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर अपनाने में चुनौतियां
देश की संप्रभुताः यह एक देश की संप्रभुता को कम करता है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 2(1) के तहत प्रत्येक राष्ट्र अपनी घरेलू नीति तैयार करने के लिए स्वतंत्र होता है। GMCT पर हस्ताक्षर करने के बाद एक देश को अपने कर निर्धारण की स्वतन्त्रता पर प्रभाव पड़ सकता है। कई राष्ट्र अपने संप्रभु अधिकारों के आधार पर GMCT को अस्वीकार कर सकते हैं।
कुछ देशों द्वारा अपनाया जानाः कुछ देशों द्वारा इस कर प्रणाली तथा इसकी दर को अपनाया जा सकता है वहीं कोई राष्ट्र इसे अपनाने से मना भी कर सकता है। इस स्थिति में इस कर को लागू करने से अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सकते हैं। GMCT की प्रभावशीलता के लिए यह आवश्यक है कि इसे सभी राष्ट्रों द्वारा समान रूप से अपनाया जाना चाहिए।
कर की दर के संबंध में मतभेदः वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर की 15 प्रतिशत की दर कुछ देशों के लिए अधिक और दूसरों के लिए कम हो सकती है। उदाहरण के लिए, विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी कांग्रेस 15 प्रतिशत प्रस्ताव पर सहमत नहीं हो सकती है, क्योंकि यह पहले से ही 21 प्रतिशत की दर का समर्थन कर रही थी। 15 प्रतिशत की दर से उन्हें कम राजस्व प्राप्त होगा और अमेरिका को राजस्व की हानि होगी।
वित्तीय स्वायत्तता पर प्रभावः यह विश्व के छोटे अर्थव्यवस्था वाले देशों की वित्तीय स्वायत्तता को प्रभावित करेगा। उन्हें वैश्विक न्यूनतम कर की दर को स्वीकार करने पर अपने कर संरचना में बदलाव करना पड़ेगा तथा बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करना पड़ेगा। ‘वैश्विक न्यूनतम दर’, मुख्य रूप से देशों को उस उपकरण से वंचित कर देगी, जिसका उपयोग वे अपने अनुकूल नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए करते हैं, जबकि छोटे अर्थव्यवस्था वाले देशों की अपनी विशिष्टता होती है तथा यहां कंपनियां व्यवसाय भी कम कर पाती है।
ग्रुप ऑफ सेवन (G7)
यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था। वैश्विक आर्थिक शासन, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये प्रतिवर्ष G7 की बैठक आयोजित की जाती है।
भारत और वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर
भारत, वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर संरचना के संबंध में होने वाली चर्चा में भाग लेगा। इसके साथ ही भारत इसमें शामिल होने के लिए तैयार है। इससे देश को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।
आगे की राह
भारत सरकार को वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर के फायदे और नुकसान पर गौर करना चाहिए और उसके बाद इसको अपनाना चाहिए। तब तक गैर-कराधान के कारण कर राजस्व की हानि को कम करने के लिए विदेशी कंपनियों पर 2% डिजिटल सेवा कर लगाना जारी रखना चाहिए।