वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट करः आवश्यकता तथा चुनौतियां

  • जून, 2021 के दौरान यूनाइटेड किंगडम के कॉर्नवाल (Cornwall) में G7 देशों का 47वां शिखर सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इस शिखर सम्मेलन में G7 के वित्त मंत्रियों के बीच वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर (Global Minimum Corporate Tax-GMCT) की दर 15 प्रतिशत करने पर सहमति बनी।
  • वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर किसी देश को सक्षम करेगा कि वह उन कंपनियों पर एक न्यूनतम कर लगा पाए, जो कम कर क्षेत्रधिकार (low tax jurisdictions) में अपनी आय दिखाकर करों से बचने की कोशिश करती है।

वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर क्या है?

  • यह किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी पर लगाई जाने वाली न्यूनतम निगम कर है, जो एक बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा किसी देश में शुद्ध आय या उनके व्यवसाय से लाभ पर लगाया जाएगा। यह राष्ट्र सरकारों को न्यूनतम सहमत दर पर करारोपण की अनुमति देता है, जिससे लाभ को ‘टैक्स हेवन’ में स्थानांतरित करने के फायदे समाप्त हो जाते हैं।

टैक्स लगाने के कारण

  • कर-परिहार हतोत्साहितः इस समझौते का उद्देश्य, कर-परिहार (Tax Avoidance) रोकना है, और कंपनियों को कर का भुगतान उन देशों में करने के लिए प्रेरित करना है, जहां वे व्यापार करती है। इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियां केवल कर लाभ के लिए अपने कार्यों को अपतटीय इकाइयों में स्थानांतरित करने के लिए हतोत्साहित होंगी।
  • एकसमान कॉर्पोरेट टैक्सः यह पूरी दुनिया में एक यथार्थवादी और एकसमान कॉर्पोरेट टैक्स लागू करना सुनिश्चित करेगा। पिछले दशकों में, कई देशों ने केवल कॉर्पोरेट कर की दर को कम करके निवेश आकर्षित किया है। बदले में, इसने अन्य देशों को भी अपनी दरों को कम करने के लिए प्रेरित किया है।
  • राजस्व हानि में कमीः यह आयरलैंड, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, बहामास, पनामा आदि जैसे टैक्स हेवन के माध्यम से होने वाले कर-परिहार को रोकेगा। इससे अपेक्षाकृत उच्च कर की दर वाले देशों को होने वाली राजस्व हानि में कमी होगी।
  • देशों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धाः यह देशों के बीच व्यवसाय करने के लिए बेहतर माहौल बनाने में सहायक होगा। विभिन्न देशों के मध्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की शुरुआत होगी। राष्ट्र बेहतर नियामक व्यवस्था, व्यापार करने में आसानी, वैश्विक प्रतिभा तक पहुंच आदि जैसे अन्य कारकों पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित होंगे।
  • वैश्विक स्तर पर निश्चितताः यह विकासशील देशों पर विकसित दुनिया द्वारा घरेलू कानूनों को एकतरफा लागू करने से रोकेगा। इससे वैश्विक स्तर पर कानूनों में एकरूपता तथा निश्चितता का वातावरण बनेगा। इससे अंततः वैश्विक अर्थव्यवस्था को ही लाभ मिलेगा।

वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर अपनाने में चुनौतियां

देश की संप्रभुताः यह एक देश की संप्रभुता को कम करता है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 2(1) के तहत प्रत्येक राष्ट्र अपनी घरेलू नीति तैयार करने के लिए स्वतंत्र होता है। GMCT पर हस्ताक्षर करने के बाद एक देश को अपने कर निर्धारण की स्वतन्त्रता पर प्रभाव पड़ सकता है। कई राष्ट्र अपने संप्रभु अधिकारों के आधार पर GMCT को अस्वीकार कर सकते हैं।

कुछ देशों द्वारा अपनाया जानाः कुछ देशों द्वारा इस कर प्रणाली तथा इसकी दर को अपनाया जा सकता है वहीं कोई राष्ट्र इसे अपनाने से मना भी कर सकता है। इस स्थिति में इस कर को लागू करने से अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सकते हैं। GMCT की प्रभावशीलता के लिए यह आवश्यक है कि इसे सभी राष्ट्रों द्वारा समान रूप से अपनाया जाना चाहिए।

कर की दर के संबंध में मतभेदः वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर की 15 प्रतिशत की दर कुछ देशों के लिए अधिक और दूसरों के लिए कम हो सकती है। उदाहरण के लिए, विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी कांग्रेस 15 प्रतिशत प्रस्ताव पर सहमत नहीं हो सकती है, क्योंकि यह पहले से ही 21 प्रतिशत की दर का समर्थन कर रही थी। 15 प्रतिशत की दर से उन्हें कम राजस्व प्राप्त होगा और अमेरिका को राजस्व की हानि होगी।

वित्तीय स्वायत्तता पर प्रभावः यह विश्व के छोटे अर्थव्यवस्था वाले देशों की वित्तीय स्वायत्तता को प्रभावित करेगा। उन्हें वैश्विक न्यूनतम कर की दर को स्वीकार करने पर अपने कर संरचना में बदलाव करना पड़ेगा तथा बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करना पड़ेगा। ‘वैश्विक न्यूनतम दर’, मुख्य रूप से देशों को उस उपकरण से वंचित कर देगी, जिसका उपयोग वे अपने अनुकूल नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए करते हैं, जबकि छोटे अर्थव्यवस्था वाले देशों की अपनी विशिष्टता होती है तथा यहां कंपनियां व्यवसाय भी कम कर पाती है।

ग्रुप ऑफ सेवन (G7)

यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था। वैश्विक आर्थिक शासन, अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये प्रतिवर्ष G7 की बैठक आयोजित की जाती है।

  • G7 देशों में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं। यह दुनिया के प्रमुख औद्योगिक देशों के नेताओं को एक साथ लाता है। G7 का कोई औपचारिक संविधान या कोई निश्चित मुख्यालय नहीं है।
  • वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान प्रतिनिधियों द्वारा लिये गए निर्णय गैर-बाध्यकारी होते हैं।
  • 2018 के आंकड़ों के अनुसार इसमें शामिल सात देश वैश्विक शुद्ध संपत्ति (317 ट्रिलियन डॉलर) के साथ वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 46% भाग समाहित करता है।

भारत और वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर

भारत, वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर संरचना के संबंध में होने वाली चर्चा में भाग लेगा। इसके साथ ही भारत इसमें शामिल होने के लिए तैयार है। इससे देश को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।

  • स्टेट ऑफ टैक्स जस्टिस रिपोर्ट 2020 के अनुसार भारत को विभिन्न कंपनियों के कर परिहार के कारण 10 बिलियन USD से अधिक कर राजस्व का नुकसान हुआ।
  • भारत में कार्यरत कंपनियों के द्वारा कर परिहार के लोकप्रिय स्थानों में मॉरीशस, सिंगापुर और नीदरलैंड शामिल हैं। इन देशों में कराधान की नगण्य दर है।
  • GMCT को अपना लेने पर भारत सरकार, भारत में व्यवसाय करने वाली कंपनियों की सहायक अपतटीय इकाइयों पर कर लगा सकती है। ऐप्पल, अल्फाबेट इंक (गूगल की मूल कंपनी), फेसबुक जैसी बड़ी कंपनियों के द्वारा विश्व के प्रमुख बाजारों से अर्जित लाभों को, आयरलैंड या कैरेबियाई देशों जैसे निम्न-टैक्स वाले देशों में भेजने के लिए सहायक कंपनियों के जटिल जाल का सहारा लिया जाता है।
  • भारत, अपने बड़े आंतरिक बाजार, प्रतिस्पर्धी दरों पर गुणवत्तापूर्ण श्रम, निर्यात हेतु रणनीतिक अवस्थिति जैसे लाभों के कारण विदेशी निवेश को आकर्षित करता रहेगा।

आगे की राह

भारत सरकार को वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर के फायदे और नुकसान पर गौर करना चाहिए और उसके बाद इसको अपनाना चाहिए। तब तक गैर-कराधान के कारण कर राजस्व की हानि को कम करने के लिए विदेशी कंपनियों पर 2% डिजिटल सेवा कर लगाना जारी रखना चाहिए।

  • आगामी जी-20 देशों की अगली बैठक में भारत को GMCT पर होने वाली चर्चा में इस पर आम सहमति बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसमें समान विचारधारा वाले देशों का सहयोग प्राप्त किया जा सकता है। जी 20 देशों द्वारा इसे अपनाने के बाद, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों द्वारा इसे अपनाने का विवेकपूर्ण कदम उठाया जाना चाहिए।