ब्रिक्स के 15 वर्ष की उपलब्धियां, चुनौतियां और प्रासंगिकता

उभरती विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के संगठन ब्रिक्स ने वर्ष 2021 में, 15 वर्षों की यात्रा पूरी की है। ब्रिक्स राष्ट्राध्यक्षों के सम्मेलन की मेजबानी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 सितंबर, 2021 को की। जुलाई 2006 में जी-8 सम्मेलन के साथ रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में पहली ब्रिक (दक्षिण अफ्रीका इस समूह का पूर्ण सदस्य 2010 में बना) बैठक के इसके साथ ही 15 साल पूरे हो गए। इस यात्रा के दौरान इस संगठन ने विविध वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों के समाधान में एक विकल्प प्रस्तुत किया है। वहीं संगठन को कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है। ऐसे में इसकी स्थापना, इसकी उपलब्धियां तथा इसके प्रासंगिकता से सम्बन्धित कई मुद्दे इस संगठन के समक्ष उठ खड़े हुए है।

  • ब्रिक्स के भविष्य के एजेंडे में ‘ब्रिक्स प्लस’ (BRICS Plus) को विस्तारित करना शामिल है, जिसका उद्देश्य ब्रिक्स देशों के लिए एक बड़ी वैश्विक उपस्थिति सुनिश्चित करना तथा वैश्विक शासन की दिशा में पहल करना है। 13वें ‘ब्रिक्स वर्चुअल शिखर सम्मेलन’ (BRICS Virtual Summit) भारत ने इसकी अध्यक्षता की इस शिखर सम्मेलन का विषय था- फ्ब्रिक्स के 15 वर्षः निरंतरता, समेकन और आम सहमति के लिए अंतः-ब्रिक्स सहयोगय् (BRICS at 15: Intra-BRICS Cooperation for Continuity, Consolidation and Consensus)।
  • ब्रिक्स अध्यक्षता के तहत भारत के प्राथमिकता वाले क्षेत्र संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक (World Bank), आईएमएफ (IMF), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और डब्ल्यूएचओ (WHO) जैसी बहुपक्षीय संस्थाओं में बदलाव; ब्रिक्स (BRICS) ‘काउंटर टेररिज्म एक्शन प्लान’ (Counter Terrorism Action Plan) का ‘मसौदा’ (Draft) तैयार करके आतंकवाद का मुकाबला करना, जिसमें कट्टरपंथ, ‘आतंकवाद का वित्तपोषण’ (Funding of Terrorism) और आतंकवादी समूहों द्वारा इंटरनेट के उपयोग से निपटने के लिए ठोस कदम शामिल होंगे।
  • वर्तमान समय में एक समूह के रूप में ब्रिक्स की नाकामी की तीन वजहें बताई गई हैः
  • पहली, यह एक बनावटी, कृत्रिम और अस्वाभाविक समूह है। इन देशों की राष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था में फर्क है। ब्रिक्स शब्द को बहुराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान गोल्डमैन सैक्स द्वारा बाजार में निवेशकों हेतु प्रयुक्त किया था तथा ब्रिक्स का जन्म भू-राजनीतिक या भू-आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर नहीं हुआ।
  • दूसरा चीन इस समूह में शामिल होने के योग्य नहीं था क्योंकि बहुत बड़ी आर्थिक ताकत है तथा उसकी आक्रामक भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी उसे इस समूह के लिए अयोग्य बनाती हैं। ब्रिक्स का गठन इसलिए किया गया था ताकि वह कई देशों के मंच के रूप में काम करे, लेकिन चीन के उभार की वजह से यह मकसद पीछे छूट गया।
  • तीसरा यह माना जा रहा है की ब्रिक्स के पास दुनिया को दिखाने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है, खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) जैसे ब्रिटेन वुड संस्थानों में सुधार का मकसद अभी तक पूरा नहीं हो पाया, जिनका ब्रिक्स ने वादा किया था।

ब्रिक्स की उपलब्धियां

ब्रिक्स, विश्व की 5 उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर लाता है, जो वैश्विक जनसंख्या का 41%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 24%, वैश्विक व्यापार का 16% और विश्व की कुल भूमि के 29.3% क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।

  • इस संगठन ने ‘उत्तर-दक्षिण सहयोग’ (North-South Cooperation) के रूप में ‘बहुध्रुवीयता’ (Multipolarity) को बढ़ावा दिया है।
  • इसने जलवायु परिवर्तन और व्यापार जैसे वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों की एक विस्तृतश्रृंखला पर एक सामान्य दृष्टिकोण विकसित किया है।
  • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB), ‘आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था’ (contingency reserve arrangement) और ‘ऊर्जा अनुसंधान सहयोग मंच’ (Energy Research Cooperation Plateform) ब्रिक्स के महत्वपूर्ण संस्थानों में से हैं जो सदस्य देशों को आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं।
  • समानता, न्याय और पारस्परिक सहायता की भावना से ब्रिक्स देशों ने ‘बहुपक्षीय सहयोग’ (Multilateral Cooperation) को अपनाया है।
  • ब्रिक्स नेताओं ने स्थिरता, शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अफगानिस्तान में हिंसा को समाप्त करने और एक ‘समावेशी अिखल अफगान संवाद’ (Inclusive All Afghan Dialogue) तथा मानवीय संकट से निपटने और विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया है।
  • आतंकवाद की रोकथाम हेतु ‘ब्रिक्स काउंटर-टेररिज्म वर्किंग ग्रुप’ (BRICS Counter&Terrorism Working Group) की छठी बैठक में एक ‘कार्य योजना’ (Action Plan) तैयार की गई थी, इसका उद्देश्य आतंकवाद को रोकने और उसका मुकाबला करने, कट्टरता, वित्तपोषण, आतंकवाद, आतंकवादियों द्वारा इंटरनेट का दुरुपयोग, सूचना साझा करना आदि जैसे क्षेत्रों में परिणाम-उन्मुख सहयोग करना था।
  • ब्रिक्स ‘अंतरिक्ष एजेंसियों के समझौते’ (Cooperation of Space Agencies) , वैश्विक जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, भोजन और पानी की कमी की रोकथाम और ‘सतत सामाजिक-आर्थिक विकास’ (Sustainable Socio-Economic Development) पर अनुसंधान कार्य कर रहा है।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को लेकर चल रही चर्चा को पुनर्जीवित करना भी शामिल है, ताकि इसे अधिक ‘प्रतिनिधित्वपूर्ण’ (Representative), प्रभावी और कुशल बनाया जा सके।
  • 9 सितंबर, 2021 को वर्चुअल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के अंत में, ‘दिल्ली घोषणापत्र’ (Delhi Declration) अपनाया गया, इसमें अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई तथा चेतावनी दी गई कि अफगानिस्तान के क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी समूहों द्वारा एक सुरक्षित आश्रय के रूप में किया जा सकता है।

ब्रिक्स के लिए चुनौतियां

भू-राजनीतिक सहयोग के क्षेत्र में भारत ‘संयुक्त राज्य अमेरिका’ (USA) के नेतृत्व में पश्चिमी देशों के साथ गठबंधन में शामिल होना।

  • चीन की आक्रामकता तथा सीमा विस्तार की नीति तथा भारत के साथ सम्बन्धों में तनाव
  • भारत-चीन संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर रहे हैं, ‘वार्तालाप तथा सहयोग’ (Dialogue and Cooperation) में कमी
  • ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका दोनों गंभीर घरेलू मुद्दों (राजनीतिक अस्थिरता) का सामना कर रहे हैं।
  • चीन का व्यापारिक क्षेत्र में वर्चस्ववादी और उसका ऋणजाल की नीति।
  • वैश्विक आतंकवाद पर चीन का यूएनओ में मुखर विरोध नहीं करना
  • बहुपक्षीयता की समस्या जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations), जी-7, यूरोपीय संघ (EU) और जी-20 जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने महामारी का सामूहिक रूप से जवाब देने में विफलता

ब्रिक्स की प्रासंगिकता

ब्रिक्स अब विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक शक्तिशाली आवाज है। इस बैठक ने विकासशील देशों की चिंताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भी म की है।

  • ब्रिक्स ने समय-समय पर तथा कई मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों के पूरक के रूप में प्रासंगिकता का प्रदर्शन किया है, चाहे वह ‘वैश्विक शासन’ (Global Governance) में सुधार का मुद्दा हो या महामारी के खिलाफ लड़ाई हो।
  • 2025 तक ‘ब्रिक्स आर्थिक भागीदारी’ (BRICS Economic Partnership) की रणनीति को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के पुनरुद्धार के लिए, सतत विकास में म करने और नकारात्मक कारकों, जैसे कि ‘एकतरफा और संरक्षणवादी उपायों’ (Unilateral and protective efforts) का विरोध के लिए तैयार किया जा रहा है।
  • 2016 में ब्रिक्स के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर बैठक की शुरुआत हुई थी पिछले वर्षों में ब्रिक्स ने आतंकवाद-निरोधी वर्किंग ग्रुप बनाया और पिछले साल रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स की आतंकवाद-निरोधी रणनीति को अपनाया गया।
  • इसमें खुफिया जानकारियां आपस में बांटने, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौता (जो भारत के लिए प्राथमिकता है), आतंकवादियों की फंडिंग रोकने के साथ अन्य बातें शामिल हैं।
  • आतंकवाद और सुरक्षा का मुद्दा ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है- ब्राजील ने अपने यहां 2016 में आतंकवाद विरोधी कानून लागू किया और 2019 में उसने आतंकवाद विरोधी वित्तीय कानून बनाया।

भविष्य की राह

  • ब्रिक्स के पांच विदेश मंत्रियों ने 1 जून, 2021 को ‘बहुराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत बनाने और उसमें सुधार दिशानिर्देशों’ प्रस्तुत किया है द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद दुनिया में जो स्थिति बनी, उसे देखते हुए पश्चिमी देशों ने भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक स्वार्थों के लिए इनका इस्तेमाल किया।
  • रायसीना डायलॉग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जो बहुराष्ट्रीय संस्थाएं बनीं, उनका मकसद सिर्फ यह था कि तीसरा विश्व युद्ध न हो।
  • इस मकसद के कारण बाद के वर्षों में बड़े युद्ध नहीं हुए, लेकिन ये संस्थान उन चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, महामारियों और छाया युद्ध से निपटने में नाकाम रहे, जिनका मानवता आज सामना कर रही है।
  • महामारी के दौरान उजागर हुई क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखलाओं के विविधीकरण और सुदृढ़ीकरण की तत्काल आवश्यकता, ब्रिक्स के लिए चीन की केंद्रीयता को त्यागने और बेहतर आंतरिक संतुलन हासिल करने की आवश्यकता की पुष्ट करती है।