वर्तमान में आतंकवाद वैश्विक स्तर पर एक बड़ी समस्या है। आतंकवाद की समस्या से प्रभावित होने वाले देशों में भारत गंभीर रूप से पीड़ित है।
यह कानून संविधान के अनुच्छेद-19 द्वारा प्रदत्त वाक् व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शस्त्रें के बिना एकत्र होने और संघ बनाने के अधिकार पर युक्तियुक्त प्रतिबंध आरोपित करता है।
कानून का उद्देश्यः उन गतिविधियों पर अंकुश लगाना था, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिये खतरा है।
संशोधन की आवश्यकता
पूर्व में निर्मित किसी भी कानून में किसी भी व्यक्ति को व्यक्तिगत स्तर पर आतंकवादी घोषित करने का कोई प्रावधान नहीं था।
वर्ष 2019 का संशोधित प्रावधान
इसका उद्देश्य आतंकी अपराधों की त्वरित जांच करना और अभियोजन की सुविधा प्रदान करने के साथ ही आतंकी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करना है।
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA)
कार्य
|
संशोधित प्रावधान के अनुसार ‘आतंकवादी’
संशोधित प्रावधान के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति ऐसा काम करता है, जिससे देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा या संप्रभुता को खतरा है, साथ ही समाज या समाज के किसी वर्ग को डराने की कोशिश की जाए आतंकवाद कहलाता है।
आतंकी घोषित व्यक्ति के अधिकार
अधिनियम से संबंधित चुनौतियाँ