हाल में, चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर एक बड़ा बांध निर्मित करने की प्राप्त सूचनाओं ने भारत-चीन जल संबंधों पर वाद-विवाद एक बार पुनः तीव्र हो गया है, जो सीमापारीय नदी प्रबंधन को रेखांकित किया है।
यरलुंग जैगंबो
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अन्य प्रमुख तथ्य
दक्षिण एशियाई देशों से होकर बहने वाली कई प्रमुख नदियां जैसे-सिंधु, ब्रह्मपुत्र, गंगा और इनकी कई सहायक नदियों का उद्गम स्थान तिब्बत में ही है।
भारत-चीन जल संबंध की स्थिति
सीमापारीय नदी प्रबंधन की आवश्यकता
सीमा पार नदी प्रबंधन का महत्व
सीमा पार जल सहयोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार, आर्थिक विकास, नौपरिवहन, ऊर्जा उत्पादन, वन्यजीव संरक्षण और व्यापक क्षेत्रीय एकीकरण में सुधार के लिये उत्प्रेरक का कार्य कर सकता है।
जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में: सीमा पार जल सहयोग कई अन्य व्यापक लाभ के कार्य करने का अवसर प्रदान करता है। जैसे-जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु साझा प्रयासों को मजबूत करना और जल संसाधनों से जुड़े आपसी संघर्ष को रोकना तथा उन्हें हल करना।
सतत् विकास लक्ष्य के संदर्भ में: पानी से संबंधित एसडीजी लक्ष्यों और अन्य व्यापक सतत् विकास लक्ष्यों को साकार करने के लिये सीमा पार जल सहयोग के महत्व को स्वीकार करना बहुत आवश्यक है।
एसडीजी 6.5 लक्ष्य के तहत सीमा पार जल सहयोग सहित सभी स्तरों पर एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन को लागू करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
क्षेत्रीय विकास के संदर्भ में: अंतरराष्ट्रीय जल, देशों के मध्य संबंधों को मजबूत करने में एक उत्प्रेरक का कार्य कर सकता है, इसी प्रकार सीमा पार जल सहयोग से अक्सर जलधारा को साझा करने वाले देशों के बीच व्यापक आर्थिक एकीकरण की दिशा में सुधार देखा गया है।