समकालीन समय में, सेमीकंडक्टर को विश्व में ‘नया तेल’ माना जा रहा है जबकि जापान और दक्षिण कोरिया ने सेमीकंडक्टर के महत्व की तुलना ‘चावल’ से किया है। यह कहा गया है कि ‘जो कोई भी इन माइक्रोचिप्स के डिजाइन और उत्पादन को नियंत्रित करता है, वे 21वीं सदी के लिए दिशा निर्धारित करेंगे। सेमीकंडक्टर कंप्यूटर, स्मार्टफोन के साथ-साथ कारों, चिकित्सा और सैन्य उपकरणों और संबंधित उपकरणों से लेकर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का एक महत्वपूर्ण घटक बनाते हैं।
सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भरता की आवश्यकता
सेमीकंडक्टर उपयोग
प्राथमिक रूप से इसका उपयोग कंप्यूटर, मोबाइल फोन, एलईडी बल्ब, रेफ्रिजरेटर, इंटरनेट और संचार सेटअप, चिकित्सा नेटवर्क, स्वच्छ प्रौद्योगिकी आदि में किया जाता है। इन सबके अलावा निम्न क्षेत्रों में इसका उपयोग किया जाता है-
नीति की आवश्यकता
आयात में वृद्धिः इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के उपभोग की दर को देखते हुए यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि इलेक्ट्रॉनिक्स आयात जल्द ही भारत की सबसे बड़ी आयात मद के रूप में कच्चे तेल से आगे निकल जाएगा।
चीन विरोधी भावनाओं से लाभः कोविड-19 महामारी में चीन के संदेहास्पद रूख तथा सीमा विवाद के मध्य चीन से सम्बन्धों में आई कटुता और आर्थिक गतिविधियों में उत्पन्न तनाव तथा चीन की वस्तुओं के बहिष्कार के कारण भारत को इस नीति की आवश्यकता है।
मेक इन इंडिया को बढ़ावाः भारत की आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर चिप के निर्माण की नीति मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा मिलेगा। इसके माध्यम से भारत स्थानीय स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा देकर घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ वैश्विक निर्यात में बढ़त हासिल कर सकेगा।
राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति को लाभः वर्ष 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति को अपनी मंजूरी प्रदान की थी। इस नीति में भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण के लिये एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने की कल्पना की गई है। यह नीति इसे लाभ प्रदान करेगी।
भारत की सेमीकंडक्टर नीति
भारत की सेमीकंडक्टर नीति को इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति 2019 (NPE 2019) के अनुरूप तैयार किया गया है जो भारत में सेमीकंडक्टर्स (Semiconductors) और डिस्प्ले तथा इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र (electronics manfuacturing ecosystem) को बढ़ावा प्रदान करेगा। इसके अंतर्गत सरकार द्वारा अगले 6 वर्षों में सेमीकंडक्टर्स और विनिर्माण पारिस्थितिक तंत्र के विकास हेतु 76,000 करोड़ रूपए की प्रोत्साहन राशि को मंजूरी प्रदान की गई है।
प्रमुख चुनौतियाँ
पूंजी निवेशः यह नीति जटिल और प्रौद्योगिकी-गहन क्षेत्र से जुड़ा है जिसमें शोध और अनुसन्धान हेतु भारी पूंजी निवेश, उच्च जोखिम, लंबी अवधि और भुगतान अवधि और प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है तथा भारत में इस हेतु कम राजकोषीय समर्थन से चुनौती बनी हुई है।
आगे की राह