भारत की विनिवेश नीति

केंद्र सरकार ने ‘एयर इंडिया’ (AI) में भारत सरकार की शत-प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी की बिक्री (विनिवेश) के लिये ‘टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड’ की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी ‘टैलेस प्राइवेट लिमिटेड’ को मंजूरी प्रदान की है, जिसके तहत एयर इंडिया में टाटा की 100% हिस्सेदारी होगी तथा इसकी अंतरराष्ट्रीय शाखा- एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100% और ग्राउंड हैंडलिंग संयुक्त उद्यम- 'AI SATS' में 50% की हिस्सेदारी हो गई है।

कारण

एयर इंडिया के ऊपर 31 अगस्त की स्थिति के अनुसार उस पर कुल बकाया 61,562 करोड़ रुपये था। इसमें से टाटा संस की होल्डिंग कंपनी तालेस प्राइवेट लिमिटेड 15,300 करोड़ रुपये की जिम्मेदारी लेगी और शेष 46,262 करोड़ रुपये एआईएएचएल को हस्तांतरित किया जाएगा।

  • विनिवेश कर से इसे कर्ज से मुक्त किया जा सकेगा।
  • एयर इंडिया’ के निजीकरण से इसके संचालन एवं लागत को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा।
  • यात्रियों के लिये सेवाओं में सुधार होगा और वाई-फाई जैसी बुनियादी सेवाएँ भी उपलब्ध कराई जा सकेंगी।
  • भारत में एक मजबूत अंतरराष्ट्रीय वाहक के रूप में एयर इंडिया दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई और बंगलूरू में निर्मित बड़े हवाई अड्डों को बढ़ावा देगी।
  • इसके माध्यम से एयर इंडिया विदेश यात्रा करने वाले भारतीयों को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकेगी।
  • सरकार पर आर्थिक सुधार का समर्थन करने और स्वास्थ्य देखभाल हेतु उच्च परिव्यय की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिये संसाधन जुटाने में म प्राप्त होगी।

विनिवेश का कारण

वर्ष 2021-22 के बजट में 1.75 लाख करोड़ रुपए विनिवेश का लक्ष्य रखा है।

  • 2024 तक 5 ट्रिलियन अर्थव्यस्था के निर्माण हेतु पूंजी की आवश्यकता है, ताकि निवेश को बढ़ावा दिया जा सके।
  • अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए विनिवेश और निजीकरण जरूरी है। यही तर्क देते हुए वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में वित्त मंत्री ने गैर-वित्तीय सार्वजनिक कंपनियों में हिस्सेदारी को 51 फीसद से कम करने की बात कही थी।
  • सरकार ने मई 2020 में ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत घोषणा की थी कि रणनीतिक क्षेत्रों में अधिकतम चार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ होंगी और अन्य क्षेत्रों में राज्य के स्वामित्व वाली फर्मों का अंततः निजीकरण किया जाएगा।।

विनिवेश का प्रयास

ज्ञात हो कि भारत में विनिवेश की शुरुआत 1991 में कुछ चुनी हुई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का 20 प्रतिशत हिस्सा बेचने का निर्णय का हुआ था। वर्ष 1993 में रंगराजन समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र के लिये आरक्षित सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में से 49 प्रतिशत के विनिवेश तथा अन्य सभी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के लिये 74 प्रतिशत के विनिवेश का प्रस्ताव दिया था।

  • वर्ष 1996 में जी-वी-रामकृष्णा के अध्यक्षता में एक गैर-सांविधिक व सलाहकारी प्रकृति का विनिवेश आयोग स्थापित किया गया तथा वित्त मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1999 में विनिवेश विभाग स्थापित किया गया।
  • वर्ष 2004 में साझा न्यूनतम कार्यक्रम के तहत बीमार सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को पुनर्जीवित करने व उन्हें वाणिज्यिक स्वायत्तता प्रदान करने की घोषणा की।
  • इसके बाद वर्ष 2005 में राष्ट्रीय निवेश कोष स्थापित किया गया, जिसके माध्यम से विनिवेश की प्रक्रिया आयोजित की जाती थी।

न्यू पब्लिक सेक्टर इंटरप्राईज द्धपीएसईऋ नीति

  • आत्मनिर्भर भारत के लिए न्यू पब्लिक सेक्टर इंटरप्राईज (पीएसई) नीति को 4 फरवरी, 2021 को अधिसूचित किया गया था।

उद्देश्य

  • अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकार की हिस्सेदारी को कम करना है। इस नीति में, सार्वजनिक क्षेत्र के वाणिज्यिक उद्यमों को सामरिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, महत्वपूर्ण अवसंरचना, वित्तीय सेवाओं के प्रावधान और महत्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता के आधार पर निम्नलिखित चार व्यापक रणनीतिक क्षेत्रों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है-
  1. परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा;
  2. परिवहन और दूरसंचार;
  3. बिजली, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज; और
  4. बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाएं।
  • वर्ष 2021-22 में बजट अनुमान (बीई) के लिए विनिवेश आय रुपये 1,75,000 करोड़ निर्धारित किया गया था।

हवाई अड्डों का निजीकरण

दक्षता और प्रदर्शन, सेवा की गुणवत्ता में सुधार, अधिक निवेश को प्रोत्साहित करने और सरकारी प्रभाव को कम करने के लिए, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और मंगलुरु नामक छह हवाई अड्डों को सम्मानित किया। संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए उच्चतम बोलीदाता यानी मैसर्स अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत 50 साल की अवधि के लिए पट्टे पर दिया है।

  • एएआई ने 2006 में दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों को 30 साल की अवधि के लिए पीपीपी मोड के तहत संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए पट्टे पर दिया है। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के अनुसार, 25 एएआई हवाई अड्डों को वर्ष 2022 से वर्ष 2025 तक संपत्ति मुद्रीकरण के लिए निर्धारित किया गया है, अर्थात् भुवनेश्वर, वाराणसी, अमृतसर, त्रिची, इंदौर, रायपुर, कालीकट, कोयंबटूर, नागपुर, पटना, मदुरै, सूरत, रांची , जोधपुर, चेन्नई, विजयवाड़ा, वडोदरा, भोपाल, तिरुपति, हुबली, इंफाल, अगरतला, उदयपुर, देहरादून और राजमुंदरी।

भारत सरकार की विनिवेश नीति का विकास

संविधान (प्रथम संशोधन) अधिनियम, 1951 के पारित होने के साथ, सरकार द्वारा निजी फर्मों का राष्ट्रीयकरण एक मानक नीति उपकरण बन गया।

  • यह अधिनियम ‘नागरिक द्वारा किसी भी पेशे को अपनाने का अधिकार या अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत किसी भी पेशा, व्यापार या व्यवसाय करने के अधिकार पर राज्य ‘‘नागरिकों के हित’’ में कानून के तहत उचित प्रतिबंध लगा सकती है। अधिनियम किसी भी व्यवसाय में राज्य द्वारा राष्ट्रीयकरण या व्यापार की अनुमति देता है।
  • 1956 में जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956 के माध्यम से जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण किया गया, जिसके द्वारा 154 भारतीय बीमाकर्ताओं, 16 गैर-भारतीय बीमाकर्ताओं और 75 प्रोविडेंट समितियों का भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में राष्ट्रीयकरण किया गया।
  • सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 के माध्यम से, 55 भारतीय कंपनियों और 52 विदेशी बीमा कंपनियों के सामान्य बीमा व्यवसाय का राष्ट्रीयकरण किया गया था।
  • बैंकिंग प्रणाली में, सरकार ने 1969 में बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 के माध्यम से 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, उसके बाद 1980 में बैंक राष्ट्रीयकरण का दूसरा दौर शुरू किया, जिसके माध्यम से अन्य छह बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया।
  • 1971-1975 की अवधि के दौरान कोयला खाद्यान्नों का भी राष्ट्रीयकरण किया गया। फिर भी, राष्ट्रीयकरण का मुद्दा हमेशा एक अत्यधिक बहस का मुद्दा रहा है, इस हद तक कि वर्ष 1958 में, तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णमाचारी को एलआईसी के राष्ट्रीयकरण (मुंद्रा कांड, 1958) के विवादों के कारण इस्तीफा देना पड़ा था।

आगे की राह

1991 के सुधारों के बाद, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बारे में सोच में बदलाव आया। 1991 के अंतरिम बजट में पहली बार ‘विनिवेश’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था।

  • 1999 में एक नया विनिवेश विभाग बनाया गया, जो 2001 में एक पूर्ण मंत्रालय बन गया। इस अवधि के दौरान राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों की रणनीतिक बिक्री की अवधारणा नीतिगत बहस का हिस्सा बन गई।
  • विनिवेश की प्रक्रिया अगले दशक 2004-2014 तक रुक-रुक कर जारी रही, जब कि हाल ही में पिछले पांच वर्षों में इस दिशा में जोर दिया गया है।
  • 2014 के बाद, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेडए ए रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड ए ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड जैसे सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी बिक्री के साथ विनिवेश नीति का नवीनीकरण किया गया तथा न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, मेसगोन डाक शिप बिल्डर लिमिटेड और रेलटेल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों को सफलतापूर्वक शेयर बाजार में सूचीबद्ध किया गया।
  • नए आत्मनिर्भर भारत के मिशन को साकार करने के लिए, व्यावसायिक उद्यमों में सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी को फिर से परिभाषित करने और सभी क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता थी।