केंद्र सरकार ने ‘एयर इंडिया’ (AI) में भारत सरकार की शत-प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी की बिक्री (विनिवेश) के लिये ‘टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड’ की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी ‘टैलेस प्राइवेट लिमिटेड’ को मंजूरी प्रदान की है, जिसके तहत एयर इंडिया में टाटा की 100% हिस्सेदारी होगी तथा इसकी अंतरराष्ट्रीय शाखा- एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100% और ग्राउंड हैंडलिंग संयुक्त उद्यम- 'AI SATS' में 50% की हिस्सेदारी हो गई है।
कारण
एयर इंडिया के ऊपर 31 अगस्त की स्थिति के अनुसार उस पर कुल बकाया 61,562 करोड़ रुपये था। इसमें से टाटा संस की होल्डिंग कंपनी तालेस प्राइवेट लिमिटेड 15,300 करोड़ रुपये की जिम्मेदारी लेगी और शेष 46,262 करोड़ रुपये एआईएएचएल को हस्तांतरित किया जाएगा।
विनिवेश का कारण
वर्ष 2021-22 के बजट में 1.75 लाख करोड़ रुपए विनिवेश का लक्ष्य रखा है।
विनिवेश का प्रयास
ज्ञात हो कि भारत में विनिवेश की शुरुआत 1991 में कुछ चुनी हुई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का 20 प्रतिशत हिस्सा बेचने का निर्णय का हुआ था। वर्ष 1993 में रंगराजन समिति ने सार्वजनिक क्षेत्र के लिये आरक्षित सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में से 49 प्रतिशत के विनिवेश तथा अन्य सभी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के लिये 74 प्रतिशत के विनिवेश का प्रस्ताव दिया था।
न्यू पब्लिक सेक्टर इंटरप्राईज द्धपीएसईऋ नीति
उद्देश्य
|
हवाई अड्डों का निजीकरण
दक्षता और प्रदर्शन, सेवा की गुणवत्ता में सुधार, अधिक निवेश को प्रोत्साहित करने और सरकारी प्रभाव को कम करने के लिए, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने अहमदाबाद, जयपुर, लखनऊ, गुवाहाटी, तिरुवनंतपुरम और मंगलुरु नामक छह हवाई अड्डों को सम्मानित किया। संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए उच्चतम बोलीदाता यानी मैसर्स अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत 50 साल की अवधि के लिए पट्टे पर दिया है।
भारत सरकार की विनिवेश नीति का विकास
संविधान (प्रथम संशोधन) अधिनियम, 1951 के पारित होने के साथ, सरकार द्वारा निजी फर्मों का राष्ट्रीयकरण एक मानक नीति उपकरण बन गया।
आगे की राह
1991 के सुधारों के बाद, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बारे में सोच में बदलाव आया। 1991 के अंतरिम बजट में पहली बार ‘विनिवेश’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था।