राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन महत्व एवं चुनौतियां

केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा 23 अगस्त, 2021 को राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (National Monetisation Pipeline) योजना का शुभारम्भ किया गया, जो केंद्रीय बजट 2021-22 के तहत ‘परिसंपत्ति मुद्रीकरण’ से जुड़े अधिदेश पर आधारित है।

  • यह योजना केंद्रीय मंत्रालय और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की आधारभूत परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण (Asset Monetisation) से सम्बंधित है। एनएमपी के तहत वित्तीय वर्ष 2022-2025 में केंद्र सरकार की मुख्य परिसंपत्तियों के जरिए 6.0 लाख करोड़ रुपये की कुल मुद्रीकरण क्षमता का अनुमान लगाया गया है।
  • दर्शनः यह सृजन के दर्शन पर आधारित है। मुद्रीकरण के माध्यम से परिसंपत्ति मुद्रीकरण का उद्देश्य नई बुनियादी ढांचागत सुविधाओं या अवसंरचना के निर्माण के लिए निजी क्षेत्र के निवेश का उपयोग करना है।

योजना के उद्देश्य

संस्थागत और दीर्घकालिक पूंजी का दोहन करके ब्राउनफील्ड सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियों में निवेश को खोलना (Unlocking Investment), जिसे बाद में सार्वजनिक निवेश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

  • सामाजिक-आर्थिक निवेश तथा आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए मुद्रीकरण की व्यवस्था करना।

योजना की प्रमुख विशेषताएं

  • राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन में केंद्र सरकार की ब्राउनफील्ड बुनियादी संपत्तियों (Brown field Basic Assets) की 2022-2025 तक चार साल की योजना शामिल है।
  • परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लिए शीर्ष तीन क्षेत्रों में रेलवे (Railway), हवाई अड्डे (Airports) और कोयला खनन (Coal Mining) को पहचाना गया है।
  • सड़क (Road), बिजली पारेषण लाइन (Electricity Transmission line) और गैस पाइपलाइन क्षेत्रों से सम्बंधित संपत्तियां भी मुद्रीकरण योजना का हिस्सा होंगी।
  • केवल कम उपयोग की गई संपत्तियों (Under-utilized Assets) का मुद्रीकरण किया जाएगा,
  • इस योजना के अंतर्गत निजी कंपनियां ‘अवसंरचना निवेश न्यास’ (Infrastructure Investment Trust) मार्ग का उपयोग करके एक निश्चित प्रतिफल (Return) के लिए परियोजनाओं में निवेश कर सकती हैं तथा परियोजनाओं को वापस स्थानांतरित करने से पहले एक निश्चित अवधि के लिए संपत्ति का संचालन और विकास कर सकती हैं।
  • इसका उद्देश्य, संपत्तियों को पूरी तरह बेचना नहीं है बल्कि सम्पतियों पर आय कमाना है। इन संपत्तियों पर मालिकाना हक सरकार का ही बना रहेगा।

योजना का महत्व

यह रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है, जिससे आर्थिक विकास की गति को तेज करने के साथ-साथ समग्र जन कल्याण के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को निर्बाध रूप से एकीकृत करना भी संभव हो सकेगा।

  • योजना से सरकारी संपत्तियों का बेहतर उपयोग किया जा सकेगा
  • सरकार को नयी परियोजनाओं हेतु पूँजी प्राप्त होगी।
  • योजना में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के जरिए निजी क्षेत्र की दक्षता का उपयोग सार्वजनिक परिसंपत्तियों की बेहतरी के लिए किया जा सकेगा।

संपत्ति मुद्रीकरण

  • संपत्ति मुद्रीकरण के द्वारा अब तक अप्रयुक्त (Unused) या कम उपयोग की गई (Under-utilçed) सार्वजनिक संपत्तियों के मूल्य का उपयोग कर राजस्व के नए स्रोतों का निर्माण किया जाता है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह माना जाता है कि सार्वजनिक संपत्ति सभी अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन हैं। इन परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण करना व्यापक रूप से सार्वजनिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए, एक बहुत ही महत्वपूर्ण सार्वजनिक वित्त का विकल्प माना जाता है।
  • कई सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों का इष्टतम उपयोग (Optimal Utilization) नहीं किया जाता है, और कंपनियों के लिए अधिक वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए उचित रूप से मुद्रीकृत किया जा सकता है।
  • भारत सरकार के परिसंपत्ति मुद्रीकरण कार्यक्रम का उद्देश्य, सार्वजनिक संपत्तियों में किए गए निवेश का मूल्य प्राप्त करना है, जिनसे अब तक उचित या संभावित प्रतिफल (Possible Return) नहीं मिला है।

अवसंरचना निवेश न्यास

  • अवसंरचना निवेश न्यास (Infrastructure Investment Trust) एक म्यूचुअल फंड की तरह का निवेश उपकरण है, जो आय के एक छोटे हिस्से को प्रतिफल के रूप में
  • अर्जित करने के लिए बुनियादी ढांचे में संभावित व्यक्तिगत/ संस्थागत निवेशकों से छोटी राशि के सीधे निवेश को सक्षम बनाता है।
  • अवसंरचना निवेश न्यास को रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट के संशोधित संस्करण के रूप में माना जा सकता है, जिसे बुनियादी ढांचा क्षेत्र की विशिष्ट परिस्थितियों के अनुरूप बनाया गया है।
  • सेबी (अवसंरचना निवेश न्यास) विनियमन, 2014 [SEBI (infrastructure investment trust) Regulations, 2014] के अनुसार अवसंरचना निवेश फण्ड को एक न्यास के रूप में स्थापित किया जा सकता है। ऐसे न्यास को सेबी के साथ पंजीकृत करना आवश्यक है।

योजना की चुनौतियां

  • विभिन्न सार्वजनिक परिसंपत्तियों में पहचान योग्य राजस्व अर्जित करने की क्षमता रखने वाली संपत्तियों का अभाव है।
  • स्पष्ट विवाद समाधान तंत्र का अभावः यदि कोई कंपनी किसी सार्वजनिक संपत्ति को खरीदती है और उससे सम्बंधित कोई विवाद उभरता है, ऐसे में किसी स्पष्ट विवाद समाधान तंत्र (Grievance Redressal Mechanism) का होना आवश्यक है।
  • निवेशकों के बीच रुचि का अभावः सरकार पहले से ही अपने विनिवेश के लक्ष्य से पिछड़ती रही है, ऐसे में यह निश्चित नहीं है कि कोरोना महामारी के बीच निवेशक संपत्ति खरीदने को लेकर रुचि दिखाएंगे।
  • गैस और पेट्रोलियम पाइपलाइन नेटवर्क में क्षमता उपयोग का स्तर बहुत ही कम है।

आगे की राह

  • नौकरशाही क्षमता और नियामक कौशल (Regularity Skills) के बिना, यह कदम भारतीय करदाताओं द्वारा वित्त पोषित संपत्तियों को मुट्टी भर व्यापारिक समूहों में स्थानांतरित कर सकता है।
  • परिवहन से लेकर दूरसंचार तक हर औद्योगिक क्षेत्र में शक्तिशाली कंपनियों की बढ़ती एकाधिकारवादिता के कारण यह चिंता का विषय है। हवाई अड्डे, बंदरगाह तथा कोयला क्षेत्र से लेकर विद्युत पारेषण तक सभी क्षेत्रों में इस प्रवृत्ति को देखा जा सकता है।
  • अतः संपत्ति मुद्रीकरण की इस योजना को लागू करते हुए सरकार को यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रतियोगिता बनी रहे, तथा संपत्तियों का संकेन्द्रण शक्तिशाली निजी क्षेत्र में ना होने पाए। इस रणनीति से भारतीय उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित किया जा सकता है।