भारत का स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र

वर्तमान में भारत स्टार्टअप्स का उल्लेखनीय विकास हुआ है। नए मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या वर्ष 2021-22 में बढ़कर 14,000 से अधिक हो गई है, जो वर्ष 2016-17 में केवल 733 थी। परिणामस्वरूप, भारत अमेरिका तथा चीन के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन गया है। इसके अतिरिक्त, 44 भारतीय स्टार्टअप ने वर्ष 2021 में यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया है, जो एक रिकॉर्ड है, जिससे भारत में यूनिकॉर्न की कुल संख्या 83 हो गई, और इनमें से अधिकांश सेवा क्षेत्र में हैं। जनवरी 2022 तक, भारत में 61,400 से अधिक स्टार्टअप को मान्यता दी गई।

क्या है स्टार्ट अप

वस्तुतः स्टार्टअप इंडिया भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य देश में स्टार्टअप्स और नये विचारों के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। इस हेतु भारत सरकार द्वारा स्टार्टअप इंडिया स्टैंडअप इंडिया योजना को 2015 में आरम्भ किया गया था जो देश के युवाओं की म करने के लिये एक प्रभावी योजना है।

  • स्टार्टअप से तात्पर्य है देश के युवाओं को बैंकों के माध्यम से वित्त प्रदान करना, जिससे उनकी नये उद्यम निर्माण में शुरूआत बेहतर मजबूती के साथ हो, ताकि वो भारत में अधिक रोजगार सृजन कर सकें।
  • इस स्टार्टअप पारितंत्र के अंतर्निहित प्रवर्तकों में स्मार्टफोन और इंटरनेट की पहुँच, क्लाउड कंप्यूटिंग, एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (APIs) और एक राष्ट्रीय भुगतान स्टैंक शामिल हैं। वर्ष 2024 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए एक मजबूत स्टार्टअप पारितंत्र आवश्यक है।

स्टार्टअप पारितंत्र

आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा 28,000 से अधिक स्टार्टअप की पहचान की गई है। भारत में 32 यूनिकॉर्न स्टार्टअप कंपनियां हैं। 1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य वाले स्टार्टअप को यूनिकॉर्न कहा जाता है।

  • भारत के 29 राज्यों व केन्द्रशासित प्रदेशों में स्टार्टअप नीति मौजूद है। संपूर्ण स्टार्टअप इकोसिस्टम ने 2014 से 2019 के बीच 50 बिलियन डॉलर का फंड जुटाया है। भारत में कुल स्टार्टअप के 43% से अधिक में एक या अधिक महिला निदेशक हैं। देश में स्टार्टअप पारितंत्र से 4 लाख से ज्यादा रोजगार पैदा हुए हैं।

भारत में यूनिकॉर्न

भारत वर्तमान में यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त कंपनियों की संख्या के मामले में वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर है।

  • भारत इस मामले में अमेरिका और चीन से पीछे, लेकिन यू. के. और जर्मनी से आगे है।
  • यूनिकॉर्न पारितंत्र की स्थापना में फिनटेक और ई-कॉमर्स कंपनियों को अग्रणी बना रहे हैं तथा एडटेक (EdTech), खाद्य वितरण और मोबिलिटी जैसे अन्य क्षेत्रों ने भी महत्वपूर्ण योगदान किया है।

भारत में सम्भावना

भारत विश्व की दूसरी बड़ी जनसंख्या वाला देश है जो इसे एक बहुत बड़ा उपभोक्ता बाजार प्रदान करता है तथा यह देश में सतत स्टार्टअप्स की वृद्धि को बनाए रखने की क्षमता रखता है।

  • भारत में युवा और कार्यशील आबादी की सर्वाधिक जनसंख्या है जो नवाचार, कार्यबल, प्रतिभा और भावी नेतृत्वकर्ताओं के लिए सबसे बड़ा उत्प्रेरक है।
  • भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में तीव्र वृद्धि और इंटरनेट की कीमतों में कमी ने स्टार्टअप इकोसिस्टम के विस्तार में एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है। वर्तमान में लगभग 500 मिलियन भारतीय संपूर्ण देश में इंटरनेट सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं।
  • लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग ने कई व्यवसायों के पारंपरिक स्वरूप को छोड़ कर डिजिटल रूप से संचालित परिचालन में परिवर्तित होने के लिये प्रेरित किया, जिससे बाजार की शक्तियों के लिये बेहतर अवसरों का निर्माण हो सके।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, डेटा एनालिटिक्स, बिग डेटा, रोबोटिक्स आदि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाते हुए कई स्टार्टअप ने बाजार में मौजूद व्यापक अंतराल को पाटने की दिशा में काम किया।
  • भारत में तीसरी सबसे बड़ी यूनिकॉर्न समुदाय मौजूद है। ये यूनिकॉर्न स्टार्टअप उभरते भारतीय उपभोक्ता बाजार द्वारा प्रस्तुत बृहद अवसरों के प्रति वैश्विक निवेशकों, वेंचर कैपिटल (VC) एवं प्राइवेट इक्विटी (PE) फर्मों और वैश्विक कॉर्पोरेटों के दृष्टिकोण को परिवर्तित कर एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने में सफल रहे हैं।
  • महिला उद्यमियों ने भी स्टार्टअप पारितंत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है (उदाहरण के लिये 'CsahKaro' की स्वाति भार्गव और Nyka' की फाल्गुनी नायर)।

चुनौतियाँ

भारतीय बाजार में असंगठित और अनौपचारिक क्षेत्रकों की उपस्थिति एक स्टार्टअप की सफलता को प्रभावित कर सकते है।

  • भारत के स्टार्टअप क्षेत्र के बड़े निवेशक भारतीय नहीं हो कर विदेशों से हैं जैसे जापान का सॉफ्टबैंक, चीन का अलीबाबा और अमेरिका का सिकोइया (Sequoia ) घरेलू निवेशकों की कमी इसके लिए बड़ी चुनौती है।
  • दोषपूर्ण ऋणव्यवस्था तथा औपचारिक क्षेत्रों से ऋण नहीं मिल पाने की समस्या ने भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी की है क्योंकि परिचालन के प्रारंभिक चरण में स्टार्टअप को बैंकों से धन प्राप्त नहीं होता है, इसका कारण उनकी पूर्व कोई क्रेडिट हिस्ट्री का नहीं होना है।

साइबर सुरक्षाः व्यावसायिक अंतर्दृष्टि का संचालन करने के लिए उपयोगकर्ता की जानकारियाँ एकत्र करने वाले टेक स्टार्टअप विशेष रूप से साइबर खतरों के प्रति संवेदनशील होते हैं।

  • भारत में एक गंभीर उद्यम पूंजी उद्योग का अभाव है जो जोखिम लेने को तैयार हो। देश के स्थापित कारोबारी समूह प्रायः पारंपरिक व्यवसायों से जुड़े रहे हैं।
  • अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के स्टार्ट अप उद्योग का विकास नहीं हो पाना वर्तमान में वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 440 बिलियन डॉलर की हो चुकी है, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 2% से भी कम है।

आगे की राह

भारत स्टार्टअप उद्योग के क्षेत्र में तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है जिसे निरंतर प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष स्टार्ट-अप इकोसिस्टम वाले देशों में शामिल है। इनमें से कई स्टार्ट-अप प्री-एंजेल या एंजेल-फंडिंग चरणों में हैं और तरलता की कमी के कारण काफी दबाव में हैं।

  • स्टार्ट-अप नवाचार के साथ-साथ नौकरियों के सृजन में भी अत्यधिक सहायक हैं जो अर्थव्यस्था के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार को स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।