रूस - यूक्रेन क्षेत्रीय संकट और वैश्विक संतुलन की विभीषिका से निकलती दुनिया के सामने अब नई विपदा दिख रही है वह है, यूक्रेन संकट। अंतरराष्ट्रीय मामलों के कुछ जानकार तो इसे तीसरे विश्व युद्ध की आहट के तौर पर भी देख रहे हैं।
संघर्ष की पृष्ठभूमि
भारत की भूमिका
भारत के समक्ष चुनौती
पेट्रोल-डीजल की कीमतें: वर्तमान संकट के समय से क्रूड की कीमते लगातार बाढ रही है तथा युद्ध की स्थिति से बढ़ने की सम्भावना है क्योंकि क्रूड उत्पादन में रूस की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत है। पश्चिमी यूरोप प्राकृतिक गैस के लिए भी काफी हद तक रूस पर निर्भर है। यदि यह आपूर्ति बाधित हुई तो वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ेगी, जो भारत पर भी नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करेगी।
सैन्य सहयोग पर प्रभावः भारत के सैन्य आयात में रूस की बड़ी हिस्सेदारी है। भारत के आयात में रूस की हिस्सेदारी लगभग 60: है। वर्तमान में भारत रूस से ै-400 जैसे मिसाइल आयात कर रहा है यद्यपि भारत रूस के मध्य वस्तुगत व्यापार अपेक्षाकृत प्रभावी नहीं है फिर भी वर्तमान में भारत ै-400 जैसे हथियार वहां से आयात कर रहा है। सैन्य आयात पर असर भारत और रूस के बीच सामान्य कारोबार भले ही कम हो। लेकिन किसी प्रतिबंध की स्थिति में भारत के लिए रूस का विकल्प खोजना मुश्किल होगा।
व्यापार संकटः सोवियत संघ के विघटन से पहले भारत के निर्यात में रूस की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत थी। इस समय यह घटकर एक प्रतिशत से कम पर आ गई। आयात में भी हिस्सेदारी 1.4 प्रतिशत है।
इसलिए कारोबार पर सीधे असर नहीं पड़ता दिख रहा है, लेकिन रूस के साथ कारोबार बढ़ाने में भारत की कोशिश प्रभावित होगी।
रूस और चीन के बीच नजदीकीः मौजूदा संकट, मास्को को चीन जैसे दोस्तों पर और अधिक निर्भर बना देगा, और एक क्षेत्रीय समूह का निर्माण करेगा, और भारत जिसका हिस्सा नहीं होगा। हाल ही में, भारत ने बीजिंग में होने वाले ओलंपिक खेलों के राजनयिक और राजनीतिक बहिष्कार की घोषणा की, जबकि रूसी राष्ट्रपति पुतिन, अन्य मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रपति और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान, शी जिनपिंग के साथ एकजुटता दर्शाते हुए बीजिंग में मौजूद रहे है।
टकराव की स्थिति
अमेरिका लगातार कह रहा है कि रूस कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है। पूरी दुनिया की निगाहें इस संकट पर टिकी हुई है।
रूस का पक्ष
नाटो और अमेरिका का पक्ष
अन्य प्रमुख मुद्दे
यूक्रेन का पक्ष
यूक्रेन के अनुसार नाटो में शामिल होना या नहीं हो उसका आंतरिक मामला है और इसमें रूस को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
आगे की राह