सीमा सुरक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका

हाल के समय में भारतीय सेना एक हाइब्रिड मॉडल के माध्यम से मौजूदा सीमा बाड़बंदी को कई सेंसर के साथ एकीकृत स्मार्ट बाड़ में परिवर्तित करने पर कार्य कर रही है, जिसमें बाड़ को लाइट डिटेक्शन एंड रेजिंग सेंसर, इंफ्रारेड सेंसर और कैमरों आदि के साथ एकीकृत किया जाएगा।

वर्तमान में, सीमा की सुरक्षा लगभग पूर्णतः मानव निगरानी पर निर्भर है। इस प्रकार सीमा प्रबंधन में अधिक समय लगता है, जिससे सीमा सुरक्षा एक जटिल कार्य बना जाता है। इन कमियों ने सीमा सुरक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका को रेखांकित किया है।

  • सीमा सुरक्षा पर मधुकर गुप्ता समिति ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर बाड़ लगाने में सीमा सुरक्षा को सुदृढ़ करने और दोषों के निवाराणार्थ संघ सरकार से अनुशंसा की थी। इसके तहत वर्ष 2015 में व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन (CIBMS) को लागू किया गया था।

स्मार्ट बाड क्या है?

स्मार्ट सीमा बाड़ परियोजनाओं को भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) कार्यक्रम के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है। सीमाओं पर स्मार्ट बाड़ लगाना सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा संबंधी मुद्दों के निवारण हेतु तकनीकी समाधान प्रस्तुत करता है।

  • इसमें उच्च तकनीक निगरानी प्रणाली सम्मिलित है, जो भूमि, जल, वायु और भूमिगत क्षेत्रों पर एक अदृश्य इलेक्ट्रॉनिक अवरोध उत्पन्न करेगी तथा सुरक्षा बलों को भौगोलिक रूप से दुर्गम क्षेत्रों में भी घुसपैठ के प्रयासों का पता लगाने के साथ-साथ उन्हें विफल करने में सहायक होगा।

व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली

  • यह एक सुदृढ़ और एकीकृत प्रणाली है, जो मानव संसाधन, हथियारों और उच्च तकनीक से युक्त निगरानी उपकरणों को एकीकृत करके सीमा सुरक्षा की वर्तमान प्रणालियों में व्याप्त कमियों को दूर करने में सक्षम है।
  • यह सीमा सुरक्षा जैसे अवेध घुसपैठ, निषिद्ध वस्तुओं की तस्करी, मानव दुर्व्यापार और सीमा पार आतंकवाद आदि का पता लगाने एवं नियंत्रित करने में सीमा सुरक्षा बल (BSF) की क्षमता में सुधार करती है।
  • इसमें अत्याधुनिक निगरानी तकनीकों की एक श्रेणी को एकीकृत करना सम्मिलित है-
  • थर्मल इमेजर्स, इन्फ्रा-रेड और लेजर आधारित इन्ट्रूडर अलार्म।
  • हवाई निगरानी के लिए एयरोस्टेट (हवा से हलके विमान या उपकरण)।
  • अनअटेंडेड ग्राउंड सेंसर (भूमि पर लगे न दिखने वाले उपकरण) जो घुसपैठ के प्रयासों को पता लगाने में सहायता कर सकते हैं।
  • फाइबर-ऑप्टिक सेंसर।
  • एक निर्देश और नियंत्रण प्रणाली, जो वास्तविक समय में सभी निगरानी उपकरणों से डेटा प्राप्त करेगी।
  • वर्ष 2018 में, BSF द्वारा भारत-बांग्लादेश सीमाओं पर ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के बाढ़ रहित नदी क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के सेंसर लगाने के लिए प्रोजेक्ट बोल्ड क्यूआईटी (बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डोमिनेटेड क्यूआरटी इंटरसेप्टिक तकनीक) को आरंभ किया गया था।

भारत में सीमा सुरक्षा से संबंधित चुनौतियां

विवादास्पद अंतरराष्ट्रीय सीमाएं: भारत का अपने पड़ोसी राष्ट्रों चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल (वर्तमान कुछ वर्षों से) और म्यांमार के साथ सीमा विवाद का मुद्दा विद्यमान रहा है।

  • पाकिस्तान के साथ अविश्वास और विवादास्पद सीमा का इतिहास, नियंत्रण रेखा (LOC) के साथ-साथ भारत को सीमा पार आतंकवाद के लिए अतिसंवेदनशील बनाते हैं।
  • इसी प्रकार, म्यांमार के साथ भारत की सीमा पर कई विद्रोही समूहों का खतरा व्याप्त है, जिन्होंने दोनों देशों की सीमा पर अवस्थित वनों को अपनी शरण स्थली बना रखा है।
  • बांग्लादेश में "विदेशी अंतःक्षेत्र (भारत के बांग्लादेश में क्षेत्र) और प्रतिकूल अधिकृत प्रदेश" के राजनीतिक सीमा संबंधी मुद्दों के परिणामस्वरूप संपूर्ण पूर्वी सीमा पर राजनीतिक संवेदनशीलता में वृद्धि हुई है।

सीमाओं की भौगोलिक विविधताः पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमाएं रेगिस्तान, कच्छ भूमि, मैदानों और पहाड़ों सहित विभिन्न क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं।

सीमाओं की यह विविधता विभिन्न अवैद्य गतिविधियों जैसे मादक द्रव्यों तथा हथियारों की तस्करी, मानव दुर्व्यापार और घुसपैठ के लिए सुविधा प्रदान करती है।

सीमा प्रबंधन में अक्षमताः भारतीय सीमाओं पर सैन्य और पुलिस बलों द्वारा निगरानी की जाती है, जो केंद्र और राज्यों के विभिन्न मंत्रालयों को रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं, जिससे सीमा प्रबंधन का कार्य करना कठिन हो जाता है, जिस कारण सुरक्षा बलों द्वारा किए गए प्रयासों में दोहराव उत्पन्न होता है।

अवसंरचना का अभावः अवसंरचना जैसे अवलोकन टॉवर, बॉर्डर फ्लड लाइड आदि का कई सीमावर्ती क्षेत्रों में अभाव है, जिससे हाई-टेक उपकरणों की स्थापना भी बाधित होती है।

निम्नस्तरीय खुफिया सूचना और दक्षतापूर्ण संसाधनों का अभावः सुरक्षा बल निम्नस्तरीय खुफिया सूचनाओं और महत्वपूर्ण संसाधन के अभाव के साथ सीमा का दक्षतापूर्वक प्रबंधन करने में असक्षम हैं।

सीमा सुरक्षा में प्रौद्योगिकी की भूमिका

सीमा पार व्यापार को सुगम बनानाः उदाहरण के लिएः ब्लॉकचेन तकनीक लेन-देन को त्वरित और सुरक्षित रूप प्रदान करने में सहायता कर सकती है।

इससे अवैध व्यापार का पता लगाने एवं निगरानी करने में भी अधिक सुगमता होती है।

मौजूदा प्रणाली को अद्यतित करनाः मौजूदा प्रणाली के साथ प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके मशीन के माध्यम से मानव को बेहतर निगरानी और इंटर्सेप्शन (किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम वाली सूचना को अपने गंतव्य तक पहुंचने से पहले प्राप्त कर लेना) की सुविधा प्रदान की जा सकती है।

बेहतर खुफिया जानकारी और निगरानीः सुदूर संवेदन उपग्रह, रडार उपग्रह और सिंथेटिक एपर्चर (Synthetic Aperture Radar: SAR) सेंसरों वाले उपग्रह दिन एवं रात में सभी प्रकार के भू-प्रदेशों एवं सभी मौसम (मेघों की उपस्थिति में भी) की जानकारी प्रदान करने में सक्षम होते हैं, जिससे खुफिया जानकारी जुटाना और सीमापारिय घुसपैठ की निगरानी करेने में सहायता मिलेगा।

  • इसके साथ ही यह क्लोज सर्किट टेलिविजन कैमरा (CCTV), थर्मल इमेजर (दूर से ही ऊष्मा उत्सर्जित करने वाली वस्तुओं को दर्शाने वाला उपकरण) और रात्रि में दृष्टिगोचर उपकरणों आदि को स्थापित करके भूमि, जल में, वायु और सुरंगों से घुसपैठ का पता लगाने में सहायता कर सकता है।

निष्कर्ष

भारत के लिए राज्यों की सीमाओं की रक्षा और सुरक्षा करना, राष्ट्रीय संप्रभुता के मुख्य पहलुओं में से एक है। यदि सीमाएं सुरक्षित एवं स्थिर हैं तो ही देश आर्थिक व सामाजिक समृद्धि को प्राप्त कर सकता है।

इसके साथ ही, इलेक्ट्रॉनिक और निगरानी उपकरण एवं बायोमेट्रिक विवरण जैसे डेटा के रखरखाव व अद्यतन के संदर्भ में निजी क्षेत्रक के साथ उपलब्ध ज्ञान का उपयोग करने का प्रयास किया जाना चाहिए।