ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा: प्रौद्योगिकी का न्यायसम्मत उपयोग

भौगोलिक एवं जनसांख्यिकी विविधतापूर्ण के कारण भारत के करोड़ों नागरिकों तक शिक्षा सेवाओं की पहुंच बहुत बड़ी चुनौती रही है। ऐसे में शिक्षा क्षेत्र की आवश्यकता, चुनौतियों और क्षमताओं का विश्लेषण कर एक टिकाऊ शिक्षा अवसंरचना के निर्माण की आवश्यकता है, जो डिजिटल शिक्षा के विकास में एक उत्पादक आयाम प्रदान कर सकेगा।

  • शिक्षा में प्रोधौगिकी के उपयोग का उद्देश्य शिक्षण अधिगम और आकलन प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने के साथ-साथ शिक्षकों की तैयारी एवं व्यवसायिक विकास में सहयोग करना है। इसके आलावा शैक्षिक पहुंच को समावेशी बनाकर शैक्षिक नियोजन को तर्कसंगत बनाना है।
  • भारत द्वारा 2015 में अपनाए गए सतत विकास एजेंडा 2030 के लक्ष्य-4 में ‘‘सभी के लिए समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और जीवन-पर्यंत शिक्षा के अवसरों को बढावा दिए जाने’’ का प्रावधान किया गया है साथ ही 2040 तक भारत के लिए एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की स्थापना करना है, जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए समान रूप से उपलब्ध हो सके।

नई शिक्षा नीति और डिजिटल शिक्षा

नई शिक्षा नीति में शिक्षा के सभी स्तरों पर प्रोधौगिकी के समुचित समावेश की बात को शामिल किया गया है जिससे शिक्षण, ज्ञानार्जन और मुल्यांकन की प्रक्रियाओं में सुधार किया जा सकेगा।

  • यह नीति शिक्षकों को सतत पेशेवर बनाने में मगार होगा।
  • प्रोधोगिकी के समावेश से कमजोर समूहों तक शिक्षा की पहुंच बढ़ेगी तथा शैक्षिक योजना, प्रशासन और प्रबन्धन को ज्यादा सुचारू बनाया जा सकेगा।
  • शिक्षा में प्रोधौगिकी का उपयोग इस नीति का एक प्रमुख उदेश्य है।

ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा के लाभ

  • दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचः ई-शिक्षा तथा प्रोधौगिकी आधारित शिक्षा के उपयोग से दूरस्थ क्षेत्रों में भी इसकी पहुंच स्थापित की जा सकती है, जिससे ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्र के लोगों को भी आधुनिक तथा वैश्विक स्तर की शिक्षा प्रदान किया जा सकता है।
  • आपदा के समय लाभकारीः कोविड-19 जैसे महामारी में भी स्कूलों के बंद होने तथा सामाजिक दुरी का पालन करते हुए सभी तक शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित की गई।
  • समावेशी तथा समग्र शिक्षाः शिक्षा की इस तकनीक से गरीब, अमीर, दिव्यांग बालक व बालिका को समान रूप से समावेशी शिक्षा प्रदान की जा सकती है। कम्पूटर व् अन्य साधनों के
  • उपयोग सेविद्याथियों में तकनिकी व कौशल का विकास संभव हो सकेगा।
  • पर्यावरण अनुकूल शिक्षाः भविष्य में कागजों की बचत कर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में भूमिका निभाएगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों की उपलब्धताः टेली शिक्षा के माध्यम से प्रत्येक कोई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा और शैक्षणिक पाठ्यक्रम को सिख सकता है।
  • प्रोधौगिकी के न्यायसंगत उपयोगः शिक्षा का डिजिटलीकरण कर ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा के साथ-साथ प्रोधौगिकी के न्यायसंगत उपयोग को सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होगी। भारत का डिजिटल इंडिया अभियान सम्पूर्ण देश को एक डिजिटल रूप से सशक्त समाज एवं ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने में म कर रहा है।

ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा के समक्ष चुनौतियाँ

  • डिजिटल डिवाइडः सुप्रीमकोर्ट के अनुसार ऑनलाइन शिक्षा के कारण डिजिटल विभाजन में वृद्धि होने से वंचित समूहों के बच्चों का अच्छे स्कूलों में पढ़ने का मौलिक अधिकार प्रभावित हुआ है।
  • डिजिटल उपकरणों की कमीः केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय अनुसार 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जून 2021 तक एकत्र किए गए डेटा के अनुसार भारत में 29 मिलियन स्कूली छात्रों के पास डिजिटल उपकरणों तक पहुंच सुनिश्चित नहीं पाई है।
  • राज्यों के बीच असमानताः कोविड महामारी के दौरान डिजिटल डिवाइड ने कुछ राज्यों को असमान रूप से अधिक प्रभावित किया है, जबकि कुछ राज्यों ने उनके छात्रों तक स्मार्टफोन या कंप्यूटर की पर्याप्त उपलब्धता के कारण इसका अच्छी तरह से मुकाबला किया है। 7 बड़े राज्यों-असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में 40% और 70% तक स्कूल जाने वाले बच्चों के पास डिजिटल उपकरणों की कमी है।
  • इंटरनेट की उपलब्धताः देश की शहरी आबादी के 67 फीसद तथा ग्रामीण भारत में मात्र 31 फीसद के पास इन्टरनेट की उपलब्धता है, जो डिजिटल शिक्षा हेतु बहुत बड़ी चुनौती है।
  • कनेक्टिविटी और स्पीडः भारत में इंटरनेट की औसत गति 2-0 एमबीपीएस है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का स्थान 115वां है तथा देश में ब्रॉडबैंड की कनेक्टिविटी सापेक्ष रूप से स्थिर है लेकिन उसकी स्पीड अब भी कमजोर है।
  • विद्युत आपूर्ति की समस्याः ग्रामीण विकास मंत्रालय के वर्ष 2017-18 के सर्वेक्षण के अनुसार केवल 47% परिवारों को ही 12 घंटे से अधिक बिजली मिलती है। इसके साथ ही तथा भारत में 36% से अधिक स्कूल बिना बिजली के संचालित होते हैं।
  • शारीरिक गतिविधि तथा सह पाठ्यक्रम गतिविधियां: डिजिटलतथा ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों में शारीरिक गतिविधि और सह पाठ्यक्रम गतिविधियां में अवरोध उत्पन्न हो सकता है, जो उनके सर्वागीण विकास को प्रभावित कर सकता है।

ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा को बढ़ाने हेतु सरकार के प्रयास

  • डिजिटल यूनिवर्सिटीः केंद्रीय बजट 2022-23 में देश भर के छात्रों को उनकी क्षेत्रीय भाषा में विश्व स्तरीय गुणवत्ता वाली
  • सार्वभौमिक शिक्षा हेतु डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
  • स्वयं: स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स (SWAYAM) एक एकीकृत मंच है, जो स्कूल (9वीं-12वीं) से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
  • स्वयं प्रभाः यह 24x7 आधार पर देश में सभी जगह डायरेक्ट टू होम (DTH) के माध्यम से 32 उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक चौनल प्रदान करने की एक पहल है।

प्रौद्योगिकी के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन (NEAT)

  • जनवरी, 2022 में केंद्रीय शिक्षा मंत्री और कौशल विकास मंत्री ने NEAT 3-0" लॉन्च किया। यह देश के विद्यार्थियों को उन्नत एड - टेक (शिक्षा प्रोधौगिकी) समाधान और पाठ्यक्रम का लाभ एक ही प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराएगा।
  • इसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) द्वारा उच्च शिक्षा में बेहतर सीखने के परिणामों के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए आरम्भ किया गया था।
  • यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मोड में एड-टेक कंपनियों को विकसित करने वाली प्रौद्योगिकी के साथ एक राष्ट्रीय गठबंधन बनाने का भी प्रस्ताव करता है।
  • अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) NEAT योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी है।
  • राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरीः भारत की राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी एक एकल-खिड़की खोज सुविधा के तहत सीखने के संसाधनों के आभाषी भंडार का एक ढांचा विकसित करने की परियोजना है।
  • पीएम ई विद्याः आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत यह वन क्लास वन टीवी चौनल प्रोग्राम है। इसे कक्षा 1 से 12 तक क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षित करने के लिए विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्यदेश में डिजिटल शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के साथ-साथ विद्यार्थियों के लिये ई लर्निंग और डिजिटल लर्निंग शिक्षा कार्यक्रम को बढ़ावा देना है।
  • जीसैट-3 का विकासः जीसैट-3, जो एडुसैट के रूप में जाना जाता है, पाठशाला स्तर से उच्च शिक्षा तक सुदूर शिक्षा के लिए बना है। यह पहला समर्पित ष्शिक्षा उपग्रहष् है जो देश भर में शैक्षणिक सामग्री के संवितरण के लिए कक्षा को उपग्रह आधारित संचार उपलब्ध कराता है।