भारत में नशीली दवाओं का बढ़ता दुरुपयोग

संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एंव अपराध कार्यालय (UNODC) की वर्ष 2021 की विश्व ड्रग रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में अफीम का उत्पादन विगत पांच वर्षों में बढ़ है, जो भारत के लिए चिंता का विषय है। क्योंकि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ‘क्राइम इन इंडिया- 2020’ रिपोर्ट के अनुसार, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम के तहत कुल 59,806 मामले दर्ज किये गए थे।

  • भारत विश्व के दो सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों (एक तरफ स्वर्णिम त्रिभुज क्षेत्र और दूसरी तरफ स्वर्णिम अर्धचंद्र क्षेत्र) के बीच स्थित है। ‘गोल्डन ट्रायंगल’ क्षेत्र में थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम और लाओस शामिल हैं, जबकि ‘गोल्डन क्रिसेंट’ क्षेत्र में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान शामिल हैं।
  • अफगानिस्तान में पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2020 के दौरान अफीम पोस्त की अवैध खेती हेतु उपयोग की जाने वाली भूमि विस्तार में 37% की वृद्धि भारत में नशीली दवाओं के अवैध व्यापार को बढावा दे सकता है।
  • वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2021 के अनुसार, भारत (विश्व में जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्माता) में प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाओं और उनके अवयवों को मनोरंजक उपयोग के साधनों में तेजी से परिवर्तित किया जा रहा है।

अन्य प्रमुख तथ्य

  • वर्तमान में, अफगानिस्तान विश्व का सबसे बड़ा अफीम उत्पादक देश है। यहां अफीम के वैश्विक उत्पादक का लगभग 87% उत्पादित किया जाता है। अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था के पतन के साथ, मादक पदार्थ, तालिबान के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत रहें हैं।
  • भारत में नशीली दवाओं की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा तीव्र अधिग्रहण के साथ हेरोइन और क्रिस्टल मेथामफेटामाइन की सीमा पार तस्करी में भारी वृद्धि का संदेह है। हाल ही में, बेंगलुरु पुलिस ने अफगानिस्तान से अवैध रूप से लाए गए मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में दो ईरानी नागरिकों को गिरफ्रतार किया था।

भारत में मादक पदार्थों की तस्करी

पिछले तीन दशकों से भारत स्वर्णिम त्रिभुज क्षेत्र (Golden Triangle) और स्वर्णिम अर्द्धचंद्र क्षेत्र (Golden Crescent) में उत्पादित हेरोइन तथा हशीश के लिए एक ट्रांजिट हब के साथ-साथ गंतव्य स्थल बन गया है।

  • इसके साथ ही, घरेलू स्तर पर एवं विश्व के विभिन्न भागों में उत्पादित विभिन्न नशीले (साइकोट्रोपिक) और फार्मास्युटिकल पदार्थों तथा अग्रगामी रसायनों का भी भारतीय क्षेत्र के माध्यम से अवैध व्यापार किया जाता है।
  • UNODC 2020 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्ष 2010 से लेकर वर्ष 2017 तक भांग (कैनेबिस) की सर्वाधिक अवैध खेती और उत्पादन करने वाले देशों में से एक है।
  • भारत के सबसे प्रभावित क्षेत्र उत्तर-पूर्वी (विशेष रूप से मणिपुर) और उत्तर-पश्चिम (विशेष रूप से पंजाब) हैं। इनके बाद मुंबई, दिल्ली और हरियाणा का स्थान आता है। अफगानिस्तान में अफीम के उत्पादन में वृद्धि, भारत में अधिक घरेलू मांग, अनुकूल भौगोलिक स्थिति और राज्य सरकार के अधिकारियों तथा सीमा सुरक्षा बलों की मिलीभगत के कारण तस्करी बढ़ रही है।

भारत में मादक पदार्थों का व्यापार और राष्ट्रीय सुरक्षा

  • मादक पदार्थों और रसायनों की दोतरफा अवैध आवाजाही, भारत की सीमाओं का उल्लंघन करती है और विभिन्न तरीकों से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा उत्पन्न करती है जैसे किः
  • अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के उल्लंघनः मादक पदार्थों की तस्करी अन्य संगठित आपराधिक उद्यमों को सुगम बनाती है। मादक पदार्थों के तस्करों द्वारा देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के उल्लंघन करने का तात्पर्य यह है कि उन्हीं मार्गों का इस्तेमाल हथियारों की तस्करी के साथ-साथ देश में आतंकवादियों के आवागमन के लिए भी किया जा सकता है।
  • आतंकवाद वित्तपोषणः नशीली पदार्थों और मादक पदार्थों की अवैध बिक्री से उपार्घित धन का उपयोग भारत में आतंकवादी गतिविधियों और वामपंथी उग्रवाद के वित्तपोषण के लिए किया जाता है।
  • स्वापक-आतंकवाद (Narco-terrorism): यह मादक पदार्थों के तस्करों, आपराधिक नेटवर्कों और आतंकवादियों के बीच मिलीभगत है, जिसका उद्देश्य आतंकवाद के जरिए राष्ट्र को अस्थिर करना या अवैध मादक पदार्थों के व्यापार के जरिए इसे कमजोर करना है।
  • समाज में कानून और व्यवस्था की समस्याः नशीले पदार्थों और मादक पदार्थों की बड़े पैमाने पर उपलब्धता घरेलू आबादी द्वारा उनकी मांग को प्रोत्साहित करती है। मादक पदार्थों की खपत में वृद्धि से दुराचारी व्यवहार उत्पन्न होता है, जिससे समाज में कानून और व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होती है। साथ ही, मादक पदार्थों के व्यसन से पीड़ितों की देखभाल और पुनर्वास के लिए संसाधनों पर व्यय करने और उत्पादन में होने वाली हानि के चलते देश को अत्याधिक आर्थिक नुकसान होता है।
  • राज्य संस्थानों पर प्रभावः मादक पदार्थों की तस्करी का राजनीतिक प्रक्रिया पर सीधा प्रभाव पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ड्रग कार्टेल अवैध मादक पदार्थों के व्यापार को नियंत्रित करने के लिए राज्य संस्थानों में अपनी पैठ बना लेते हैं, उनकी गतिविधियों में हस्तक्षेप करते हैं और तत्पश्चात् उनको भ्रष्ट कर देते हैं।

भारत द्वारा किए गए उपाय

  • भारत ने नशीले पदार्थों और मादक पदार्थों की आपूर्ति के साथ-साथ मांग को कम करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया हैः
  • नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट (छक्च्ै): औषधीय और वैज्ञानिक प्रयोजनों तथा सरकार द्वारा अधिकृत पदार्थों को छोड़कर इस अधिनियम के अंतर्गत, सभी नशीले पदार्थों और साइकोट्रोपिक पदार्थों की खेती, उत्पादन, परिवहन, निर्यात एवं आयात निषिद्ध है।
  • नशा मुक्त भारत वार्षिक कार्य योजनाः गश्त लगाने (च्ंजतवससपदह) और सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिए 272 सबसे अधिक प्रभाव जिलों के लिए नशा मुक्त भारत वार्षिक कार्य योजना की शुरूआत की गई।
  • स्वयंसेवी संगठनों का भागीदारः भारत तीन संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों, अर्थात्, सिंगल कन्वेशन ऑन नारकोटिक ड्रग्स, 1961, कन्वेंशन ऑन साइकोट्रोपिक सब्सटेंस, 1971 और नारकोटिक ड्रग्स एवं साइकोट्रोपिक पदार्थों में अवैध तस्करी के विरुद्ध कन्वेंशन, 1988 का हस्ताक्षरकर्ता है।
  • द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौताः मादक पदार्थों और रसायनों के अवैध व्यापार की रोकथाम पर कोई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के माध्यम से पड़ोसी देशों से सहयोग प्राप्त करना। उदाहरण के लिए, हाल ही में, भारत ने चाबाहर और बंदर अब्बास बंदरगाहों से मादक पदार्थों के अंतः प्रवाह को रोकने हेतु ईरान से सहायता मांगी है।