हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 जारी करने के साथ ही देश में कई अन्य राज्यों की सरकारें भी ऐसे ही कानूनों को लागू करने की प्रक्रिया में हैं।
अंतरधार्मिक विवाह क्या है?
भारत में यदि दो अलग-अलग धर्मों के लोग विवाह करना चाहते हैं तो वे या तो ‘विशेष विवाह अधिनियम, 1954’ के तहत विवाह कर सकते हैं अथवा उनमें से कोई एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के धर्म को अपना ले और संबंधित धर्म के रीति-रिवाजों के तहत विवाह कर वे अपने विवाह का पंजीकरण करा सकते हैं।
अध्यादेश और मौलिक अधिकार से सम्बंधित मुद्दे
उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के विपरीतः शफीन जहां बनाम अशोक केएम (2018) मामले में उच्चतम न्यायालय ने ‘अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह के अधिकार’ कोभारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत प्राप्त अधिकारों का हिस्सा बताया था। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने के- एस- पुट्टास्वामी बनाम भारतीय संघ (2017) मामले का जिक्र करते हुए कहा कि पारिवारिक जीवन के चुनाव का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।
व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफः भारतीय संविधान के अनुच्छेद-25-28 प्रावधान के अनुसार किसी भी भारतीय नागरिक को अपनी पसंद के किसी भी धर्म को मानने, उसके नियमों का पालन करने और उसका प्रचार करने का अधिकार प्रदान करता है।
महिलाओं के निर्णय लेने के अधिकार को सिमित करताः वर्तमान में भी कानूनों में गहरी पितृसत्तात्मकता की जड़ें विद्यमान हैं, जिसके तहत महिलाओं को परिपक्व नहीं माना जाता और उन्हें माता-पिता तथा सामुदायिक नियंत्रण के अंतर्गत रखा जाता है। यदि उनके जीवन से संबंधित महत्त्वपूर्ण फैसलों पर उनके अभिभावकों की सहमति न हो तो उन्हेंअपने जीवन के फैसले लेने के अधिकार से भी वंचित रखा जाता है।