नॉन-फंजिबल टोकन (Non-Fungible Token: NFT) एक अद्वितीय, अपरिवर्तनीय टोकन है, जिसका उपयोग संगीत, कलाकृति, यहां तक कि ट्वीट और मीम (memes) जैसी डिजिटल परिसंपत्तियों के स्वामित्व को साबित करने के लिए किया जा सकता है, अर्थात् वैसी सम्पति जिसका मालिकाना हक किसी खास व्यक्ति के पास है तो उसे NFT यानी नॉन-फंजिबल टोकन कहा जाता है।
विशेषता
यह एक क्रिप्टोग्राफिक टोकन है जो किसी यूनिक चीज को दर्शाता है। किसी व्यक्ति के पास नॉन-फंजिबल टोकन का होना यह दर्शाता है कि उसके पास कोई अद्वितीय या प्राचीन (एंटीक) डिजिटल आर्ट वर्क है जो दुनिया में और किसी के भी पास नहीं है।
कार्य प्रणाली
चुनौतियाँ
कॉपीराइट का मुद्दाः नॉन फंजिबल टोकन में निवेश करने का सबसे बड़ा जोखिम कॉपीराइट से सम्बन्धित है। संभव है जिसे हमने असली (ओरिजिनल) और अद्वितीय (यूनिक) माना, वह किसी और से प्रभावित हो या फिर चोरी की गई हो। ऐसे में अगर हम सेकेंड कॉपी के नॉन फंजिबल टोकन को खरीदते हैं तो फर्स्ट कॉपी वाला कॉपीराइट का मामला उठ सकता है।
नॉन-फंजिबल टोकन के नुकसान
चूंकि इसका पेमेंट क्रिप्टो करेन्सी में स्वीकार किया जा रहा है जो अभी भारत सरकार के द्वारा विनियमित नहीं किया गया है।
महत्व
नॉन-फंजिबल टोकन की म से देश के कलाकारों का सशत्तफ़ीकरण किया जा सकता है।
भारतीय सन्दर्भ में नॉन-फंजिबल टोकन
भारत में नॉन फंजिबल टोकन कॉन्सेप्ट एकदम नया है। यहां पर इसे ट्रेंड पकड़ने में कुछ समय लग सकता है। नॉन-फंजिबल टोकन को भारत में लॉन्च करने के लिए क्रिप्टो एक्सचेंज पहली भारतीय कम्पनी बनने की तैयारी में है, जिसे Dzazle नाम दिया जाएगा।
नॉन-फंजिबल टोकन का भविष्य
नॉन-फजिबल टोकन रिपोर्ट 2020 के अनुसार, वर्ष, 2020 में महामारी के दौरान नॉन-फंजिबल टोकन की बिक्री 100 मिलियन अमेरिकन डॉलर को पार कर गई। भारत में सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर विचार कर रहे हैं।