हाल ही में असम के कछार जिले के अंदर कथित तौर पर मिजोरम के निवासियों द्वारा कई ‘इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ (आईईडी) विस्फोट ने लंबे समय से अनसुलझे असम-मिजोरम सीमा विवाद को फिर से उभरने के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्य के अन्य राज्यों के मध्य विवाद को उभरने का संकेत दिया है।
भारत के उत्तर-पूर्व
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पूर्वोत्तर भारत के सीमा विवाद की पृष्ठभूमि
असम-मेघालय
असम-नागालैंड
पूर्वोत्तर भारत के अंतर्राज्यीय सीमा विवाद के कारण
औपनिवेशिक कारणः औपनिवेशिक युग के दौरान ब्रिटिश काल में प्रशासनिक जरूरतों के अनुसार इस क्षेत्र का आंतरिक सीमांकन किया गया था, जो वर्तमान में सीमा विवाद का कारण बना हुआ है।
अवैध अप्रवासनः पूर्वोत्तर के राज्य अपनी लगभग 98 प्रतिशत सीमा दूसरे देशों के साथ साझा करते हैं। अवैध अप्रवासन और मूल निवासी आदिवासियों की जमीनों पर गैर-कानूनी अतिक्रमण ऐसे मुद्दे हैं जो पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में पाए जाते हैं। अंतर्राज्यीय सीमा तनाव भी अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, असम और नागालैंड जैसे राज्यों में मौजूद हैं।
गैर-कानूनी माध्यम से भूमि अतिक्रमणः विदेशी प्रवासियों के द्वारा गैर-कानूनी तरीके से भूमि का सुनियोजित माध्यम से अतिक्रमण किया गया। इसकी वजह से राज्य में भूमिहीन मूल निवासियों की संख्या वृद्धि हुई, जिससे भूमिहीन निवासियों का दूसरे राज्य की ओर प्रवासन हुआ।
अविभाजित असम से राज्यों का पुनर्गठनः इन पुराने अंतर्राज्यीय सीमा विवादों के मूल में मुख्य रूप से जल्दबाजी में सीमा निर्धारण और अविभाजित असम से नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का गठन है।