पूर्वोत्तर भारत में अंतर्राज्यीय सीमा विवाद

हाल ही में असम के कछार जिले के अंदर कथित तौर पर मिजोरम के निवासियों द्वारा कई ‘इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस’ (आईईडी) विस्फोट ने लंबे समय से अनसुलझे असम-मिजोरम सीमा विवाद को फिर से उभरने के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्य के अन्य राज्यों के मध्य विवाद को उभरने का संकेत दिया है।

  • असम का मेघालय के अलावा नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम के साथ भी लंबे समय से सीमा विवाद है। नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के साथ सीमा विवाद के मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
  • असम और मिजोरम के बीच सीमा का मुद्दा मिजोरम के गठन के बाद अस्तित्त्व में आया था। मिजोरम सर्वप्रथम वर्ष 1972 में एक केंद्रशासित प्रदेश के रूप में और फिर वर्ष 1987 में एक पूर्ण राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।
  • भारत में अंतर्राज्यीय विवाद बहुआयामी हैं, जिसमें सीमा विवादों के अलावा देश में पानी (नदियों) के बंटवारे और प्रवासन को लेकर भी विवाद देखने को मिलते हैं, जो कि भारत की संघीय राजनीति को भी प्रभावित करते हैं।

भारत के उत्तर-पूर्व

  • भारत के उत्तर-पूर्व में आठ राज्य शामिल हैं, असम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम। यह क्षेत्र एक छोटे से गलियारे द्वारा भारतीय मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है तथा भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र सीमा विवाद संघर्षों के लिए जाना जाता है।

पूर्वोत्तर भारत के सीमा विवाद की पृष्ठभूमि

  • असम और मिजोरमः असम और मिजोरम के बीच मौजूदा सीमा विवाद की शुरुआत औपनिवेशिक युग के दौरान तब हुई थी जब ब्रिटिश राज की प्रशासनिक जरूरतों के अनुसार इस क्षेत्र का आंतरिक सीमांकन किया गया था।
  • असम-मिजोरम विवाद ब्रिटिश काल में पारित दो अधिसूचनाओं के कारण उत्पन्न हुआ। सबसे पहली अधिसूचना वर्ष 1875 में जारी की गई, जिसके तहत ‘लुशाई हिल्स’ क्षेत्र को कछार के मैदानी इलाकों से अलग कर दिया गया।
  • दूसरी अधिसूचना वर्ष 1933 में जारी हुई और इसके तहत ‘लुशाई हिल्स’ तथा मणिपुर के बीच एक सीमा का सीमांकन किया गया।
  • मिजोरम का मानना है कि सीमा का सीमांकन वर्ष 1875 की अधिसूचना के आधार पर किया जाना चाहिये था, जो कि ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन’ (ठम्थ्त्) अधिनियम, 1873 के तहत जारी की गई थी।
  • असम और मिजोरम को अलग करने वाली 164.6 किलोमीटर की अंतर-राज्यीय सीमा है, जिसमें असम के तीन जिले- कछार, हैलाकांडी और करीमगंज, मिजोरम के कोलासिब, ममित एवं आइजोल जिलों के साथ सीमा साझा करते हैं। परिणामस्वरूप दोनों राज्यों की अपनी-अपनी सीमा के बारे में अलग-अलग धारणा बनी हुई है और यही विवाद का मुख्य कारण है।

असम-मेघालय

  • असम के साथ मेघालय का सीमा विवाद वर्ष 1972 में इस राज्य के गठन जितना ही पुराना है। मेघालय कम से कम 12 इलाकों पर अपना दावा ठोकता रहा है। वह इलाके फिलहाल असम के कब्जे में हैं।
  • यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब मेघालय ने असम पुनर्गठन अधिनियम, 1971 को चुनौती दी। उक्त अधिनियम के तहत असम को जो इलाके दिए गए थे उसे मेघालय ने खासी और जयंतिया पहाड़ियों का हिस्सा होने का दावा किया था।

असम-नागालैंड

  • असम नागालैंड पर उसकी सीमाओं पर गैर-कानूनी तरह से अतिक्रमण का आरोप लगाता है। राज्य ने नागालैंड के साथ सीमा को चिह्नित करने के लिए 1988-89 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी।
  • वर्ष 2010 में नागालैंड सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों की मध्यस्थता के जरिये विवाद सुलझाने का निर्देश दिया था। इसके लिए दो सह-मध्यस्थ नियुक्त किए गए जिन्होंने अक्टूबर 2013 में अपनी रिपोर्ट दी थी। हालांकि, यह मसला अब तक सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
  • हालांकि पूर्वोत्तर के जटिल सीमा समीकरणों में असम और मिजोरम के निवासियों के बीच संघर्ष असम के अन्य पड़ोसी राज्यों जैसे नागालैंड की तुलना में काफी कम है।

पूर्वोत्तर भारत के अंतर्राज्यीय सीमा विवाद के कारण

औपनिवेशिक कारणः औपनिवेशिक युग के दौरान ब्रिटिश काल में प्रशासनिक जरूरतों के अनुसार इस क्षेत्र का आंतरिक सीमांकन किया गया था, जो वर्तमान में सीमा विवाद का कारण बना हुआ है।

अवैध अप्रवासनः पूर्वोत्तर के राज्य अपनी लगभग 98 प्रतिशत सीमा दूसरे देशों के साथ साझा करते हैं। अवैध अप्रवासन और मूल निवासी आदिवासियों की जमीनों पर गैर-कानूनी अतिक्रमण ऐसे मुद्दे हैं जो पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में पाए जाते हैं। अंतर्राज्यीय सीमा तनाव भी अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, असम और नागालैंड जैसे राज्यों में मौजूद हैं।

गैर-कानूनी माध्यम से भूमि अतिक्रमणः विदेशी प्रवासियों के द्वारा गैर-कानूनी तरीके से भूमि का सुनियोजित माध्यम से अतिक्रमण किया गया। इसकी वजह से राज्य में भूमिहीन मूल निवासियों की संख्या वृद्धि हुई, जिससे भूमिहीन निवासियों का दूसरे राज्य की ओर प्रवासन हुआ।

अविभाजित असम से राज्यों का पुनर्गठनः इन पुराने अंतर्राज्यीय सीमा विवादों के मूल में मुख्य रूप से जल्दबाजी में सीमा निर्धारण और अविभाजित असम से नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का गठन है।