भारत की मृदुल शक्ति (सॉफ्ट पावर) वर्तमान प्रासंगिकता

लोक कूटनीति से संबंधित एक महत्वपूर्ण धारणा मृदुल शक्ति (Soft Power) का विचार है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पिछले कुछ वर्षों में मृदुल शक्ति का विचार लोकप्रिय हो रहा है। मृदुल शक्ति शब्द का सबसे पहले प्रयोग अमेरिका के विद्वान जोसेफ नाई ने अपनी पुस्तक बाउंड टू हेडः द चेंजिंग नेचर ऑफ अमेरिकन पावर में किया था, जिसका प्रकाशन 1990 में हुआ था। जोसेफ नाई ने इस धारणा का विधिवत विश्लेषण 2004 में प्रकाशित अपनी एक अन्य पुस्तक सॉफ्ट पावरः द मीन्स टू सक्सेस इन वर्ल्ड पालिटिक्स में किया था। तब से लोक कूटनीति के क्षेत्र में मृदुल शक्ति की धारणा लोकप्रियता प्राप्त कर रही है।

क्या है सॉफ्टपावर

मृदुल शक्ति का तात्पर्य किसी राष्ट्र द्वारा बाध्यता या भुगतान के स्थान पर अपने प्रति आकर्षण के द्वारा इच्छित वस्तु को प्राप्त करने की योग्यता से है। दूसरे शब्दों में मृदुल शक्ति का मुख्य तत्व अपने प्रति दूसरों का आकर्षण है जिससे दूसरे प्रभावित होकर आपका अनुसरण करते हैं तथा आपकी बातों का पालन करते है।

  • राष्ट्रीय स्तर पर किसी देश की राजनीतिक संस्कृति नीतियां और विचार ऐसे हो सकते हैं कि जो दूसरों को प्रभावित व आकर्षित करें मृदुल शक्ति का विचार लोक कूटनीति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वस्तुतः मृदुल शक्ति एक संसाधन की तरह है तथा कूटनीति इन संसाधनों का प्रयोग करने की एक कला से है अफगानिस्तान तथा इराक में अमेरिकी सैनिक हस्तक्षेप की आर्थिक लागत से अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है।
  • इसी कारण वर्तमान में कठोर शक्ति की तुलना में मृदुल शक्ति का महत्व बढ़ता जा रहा है- इसी तरह अंतरराष्ट्रीय संबंधों में हाल ही के वर्षों में स्मार्ट शक्ति (Smart Power) का विचार भी लोकप्रिय होता जा रहा है। भारत की मृदुल शक्ति के तत्व वास्तव में लोक कूटनीति किसी देश की मृदुल शक्ति के संसाधनों का समुचित प्रयोग करने की कला व व्यवहार है।
  • भारत की मृदुल शक्ति के निम्न तत्व लोक कूटनीति के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।
    • भारत में एक लंबी सांस्कृतिक परंपरा रही है, जो शांति, अहिंसा, सहनशीलता तथा विभिन्न संस्कृतियों के मध्य सदभावना, अध्यात्मिक और भौतिक प्रगति में संतुलन तथा व्यक्ति व प्रकृति के बीच संतुलन जैसे आदर्शो व मूल्यों पर बल देती है। ये आदर्श और मूल्य वर्तमान में विश्व शांति व स्थायित्व के लिए आवश्यक है।
    • भारत की इस नीति की झलक 2007 में संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा उनके जन्मदिन 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने के रूप में मान्यता में दिखता है।
    • भारत उपनिवेशवाद तथा जातीय भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष, गुटनिरपेक्षता का समर्थन कर एशिया और अफ्रीका के देशों में एकता तथा विकास स्थापित करने हेतु विश्व मंच पर आवाज उठाने का प्रयास किया है।
    • भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है तथा उसने लंबे समय तक लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता परिवर्तन कर कई देशों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत किया है।
    • भारत ने पिछले 74 सालों में संतोषजनक आर्थिक और तकनीकी प्रगति हासिल की है तथा सॉफ्टवेयर तथा अन्तरिक्ष विज्ञान में इसकी तरक्की ने सॉफ्ट पावर नीति को आग बढ़ाने में प्रदान म की है। भारतीय मूल के लोगों का एक बड़ा समुदाय दुनिया के अनेक देशों में निवास कर रहा है तथा कौशल से उन देशों के आर्थिक व सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है साथ ही एक सकारात्मक छवि अर्जित कर रहा है।

सॉफ्ट पावर के आयाम

सॉफ्ट पावर के रूप में वैक्सीनः भारत ने सबसे पहले अपने पड़ोसी देशों को वैक्सीन देने के साथ वैक्सीन मैत्री पहल की शुरुआत की। मालदीव, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के साथ, मॉरीशस और सेशेल्स के साथ साथ खाड़ी के देशों, अफ्रीकी क्षेत्रों से लेकर कैरिकॉम देशों तक वैक्सीन की आपूर्ति करने का उद्देश्य छोटे और अधिक कमजोर देशों की म करना था। तथा भारत की यह नीति वैक्सीन राष्ट्रवाद के संकल्पना से विपरीत है।

  • हमारे उत्पादकों ने द्विपक्षीय रूप से या कोवैक्स पहल के माध्यम से अन्य देशों को वैक्सीन आपूर्ति करने के लिए अनुबंध भी किया है। इस दौरान विश्व ने ना सिर्फ भारत की लोक केंद्रित कूटनीति और निस्वार्थ सेवा भाव को देखा बल्कि गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को लेकर उसकी क्षमता का भी पता लगा है।
  • वैक्सीन कूटनीति वैश्विक स्वास्थ्य कूटनीति का हिस्सा है, जिसमें एक राष्ट्र अन्य देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिये टीकों के विकास या वितरण का उपयोग करता है।

लाभः भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के साथ साथ सॉफ्ट पावर की नीति को मजबूती मिलेगी तथा इससे भारत अपने निकटवर्ती पड़ोसी देशों व हिंद महासागर के देशों में दीर्घकालिक ख्याति अर्जित कर सकेगा।

  • चीन की तुलना में रणनीतिक बढ़त हासिल होगी क्यूंकि हाल ही में चीन ने नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ बहुपक्षीय वार्ता करते हुए उन्हें कोरोना वायरस वैक्सीन देने की पेशकश की थी।
  • आर्थिक रूप से भारत वैश्विक आपूर्ति केंद्र के रूप में उभरेगा तथा भारत के फार्मा विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि होगी यदि भारत दुनिया में कोरोना वैक्सीन का विनिर्माण केंद्र बन जाता है, तो इससे भारत के आर्थिक विकास पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा तथा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में म मिलेगा।

रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक भलाई के लिए भारतीय कूटनीति के पांच स्तंभ

  • पहला स्तंभः यह विचार में भारतीय है जो कौटिल्य के अर्थशास्त्र या महाभारत और भगवद गीता जैसे प्राचीन ग्रंथों से सदियों से प्रभावित हमारी अपनी सोच से उत्पन्न होती हैं। पहली परंपरा मध्य मार्ग की है जो बौद्ध धर्म की शिक्षाओं से उत्पन्न होती है दूसरी सामरिक स्वायत्तता या आत्मनिर्भर होनेकी आवश्यकता तथा मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के विचार से निर्देशित होना है।
  • दूसरा स्तम्भः यह भारत का बहुध्रूवीय फोकस होने का है जिसमें पडोसी पहले के साथ साथ इंडो-पैसिफिक, बिम्सटेक और आईओआरए, उत्तर-पूर्व, आसियान, एक्ट ईस्ट, थिंक वेस्ट की अवधारणा पर आधारित है।
  • तीसरा स्तम्भः यह सरकार के लिए एक अंतरराष्ट्रीय बल गुणक के रूप में कूटनीति का इस्तेमाल है जो अनिवार्य रूप से घरेलू प्रक्रिया के अंतर्राष्ट्रीय सहायक के रूप में कार्य करने पर आधारित है भारतीय कूटनीति को अनिवार्य रूप से उत्पन्न होने वाले अवसरों का लाभ उठाने के लिए घरेलू भागीदारों के साथ काम करने और उन्हें अंतरराष्ट्रीय हितों के साथ जोड़ने में सक्षम होना चाहिए।
  • चौथा स्तंभः यह वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत बनना है। कार्यरूप में यह वसुधैव कुटुम्बकम है। क्यूंकि ‘भारत शुद्ध सुरक्षा प्रदाता और प्रथम उत्तरदाता है’। यह एक नई तरह की सुरक्षा कूटनीति तथा उपायों एवं व्यवस्थाओं के एक नए सेट की मांग करता है। ये निवारक प्रकृति के हैं और सहकारी तंत्र पर आधारित हैं। ये सूचना के आदान-प्रदान और अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देते हैं। चाहे वह अफगानिस्तान में संसद भवन हो या मॉरीशस में सुप्रीम कोर्ट की इमारत या नेपाल में अस्पताल और बेहतर कनेक्टिविटी, भारत ऐसी साझेदारी के माध्यम से अपने मूल्यों को प्रदान करता है।
  • पांचवां स्तंभः यह भविष्योंन्मुखी नीति है जो भविष्य की ओर देखता है तथा पुनर्संतुलन के हमारे प्रयासों में सामान्य समस्याओं के समाधान की खोज में भाग लेने का हमारा प्रयास शामिल है।

सॉफ्ट पावर के रूप में धर्मः भारत की धार्मिक विरासत तथा धार्मिक विविधता बहुत बड़ी पूंजी है क्यूंकि इसके माध्यम से बौद्ध धर्म के माध्यम से वह आसियान से स्वभाविक रूप से जुड़ जाता है तथा पूर्व की और देखो और एक्ट ईस्ट नीति को सफल बना लेता है तथा भारत की वसुधैव कुटुम्बकम तथा अहिंसा का धर्म इसे वैश्विक स्तर पर आक्रमणकारी तथा आक्रामक देश के स्थान पर शांतिपूर्ण सहअस्तिव वाला देश समझा जाता है

  • इसके अंतर्गत भारत अतुल्य भारत, धार्मिक विरासतों का संरक्षण, नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार, धार्मिक सर्किट का विकास तथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे उपाय को अपना रहा है जिसे वैश्विक समुदाय में पहचान भी स्थापित हो रहा है।
  • सॉफ्ट पावर के रूप में खेलः खेल कूटनीति भारत की व्यापक जन कूटनीति का हिस्सा है तथा भारत द्वारा क्रिकेट, आईपीएल, टेनिस, कबड्डी लीग, के द्वारा अपनी वैश्विक उपस्थिति स्थापित कर रहा है तथा भारत में विदेशों से आकर खेलने वाले खिलाड़ी यहां की सभ्यता संस्कृत से परिचित हो रहे है तथा वैश्विक स्तर पर भारत की पहचान स्थापित हो रही है

सॉफ्ट पावर के रूप में नॉलेज इकॉनमीः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा ब्राजील के अमेजोनिया-1 (।उ्रंवदपं-1) (Amzaonia-1) उपग्रह का सफल प्रक्षेपण किया गया है। कुछ दिनों पूर्व, भारत ने ब्राजील को कोविड-19 की वैक्सीन निर्यात किये जाने की अनुमति दी थी।

  • यदि एक-साथ देखा जाए तो तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग के ये दो उदाहरण न सिर्फ भारत की सशक्त कूटनीतिक क्षमता को प्रदर्शित करते हैं, बल्कि कूटनीतिक सहयोगों के माध्यम से ये भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाआें को विस्तार भी देते हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत, विकासशील देशों को,जैसी सेवाएं प्रदान कर रहा है, भारतीय शैक्षिक संस्थानों ने विदेशी छात्रों को बड़ी संख्या में आकर्षित किया था क्योंकि विदेशी संस्थानों की तुलना में ये संस्थान कम लागत पर अच्छी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे थे। ज्ञान आधारित उद्योगों से जुड़ी भारतीय कूटनीतिक क्षमता और भारत के ‘सॉफ्ट पावर’स्टेटस की वजह से अंतरिक्ष और फार्मा क्षेत्र में भारत की वैश्विक स्वीकार्यता बढ़ी है।

सॉफ्ट पावर के रूप में भारत का मजबूत आयाम

  • भारत का दीर्घकालिक इतिहास, सभ्यता और संस्कृति
  • विश्व के सभी प्रमुख धर्मों की उपस्थिति
  • योग, ध्यान और दार्शनिक विचार
  • संगीत, नृत्य, कला और वास्तुकला
  • बॉलीवुड
  • भारतीय व्यंजन
  • NRIs और PIOs के रूप में प्रवासी भारतीय

चुनौतियाँ

भारतीय मदुल शक्ति के उक्त विपुल संसाधनों के साथ भारत में नकारात्मक छवि के भी कुछ तत्व उपलब्ध है। अभी भी भारत में गरीबी, बेरोजगारी, नक्सलवाद, भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता आदि की गंभीर चुनौतियां विद्यमान है।

  • ये चुनौतियां भारत की सकारात्मक छवि के विकास में बाधक हैं। स्वीडन के प्रसिद्ध विद्वान गुन्नार मिर्डल ने भारतीय को सॉफ्ट स्टेट (Soli State) की संज्ञा दी थी, जिसका संकेत सरकार द्वारा नीतियों व कार्यक्रमों को प्रभावी तरीके से लागू करने में उसकी कमजोरी की और था।
  • यदि भारत को अपनी सॉफ्ट पावर यानी मृदूल शक्ति को मजबूत बनाना है तो उसे सॉफ्ट स्टेट की छवि को छोड़ना होगा तथा उक्त चुनौतियों का दृढ़ता के साथ मुकाबला करना होगा।

आगे की राह

बढ़ती बहुध्रूवीय विश्व व्यवस्था में भारत को खुद को स्थापित करने में सॉफ्ट पवार की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है क्यूंकि ‘हार्ड पॉवर’ एक सीमा से अधिक उपयोग नहीं किया जा सकता है, वर्तमान में परमाणु शक्ति तथा आर्थिक प्रणाली की मजबूती को देखते हुए सॉफ्ट पावर भारत की विदेश नीति के लिए सबसे उपयुक्त साधन है ताकि भारत बिना आर्थिक हानि उठाये वैश्विक पहचान को स्थापित कर सकें।

भू-राजनीतिक विचारों को एक तरफ रखते हुए यह समझना अनिवार्य है कि वैक्सीन कूटनीति रणनीतिक रूप से भारत के एक जिम्मेदार वैश्विक नेता के रूप उभरने का मौका है।

21वीं सदी के शुरुआती वर्षों में विदेश पर अपनी निर्भरता कम करने के साथ ही भारत ने दूसरे देशों के विकास में मगार बनकर विश्व व्यवस्था में अपनी पहचान स्थापित कर सकेगा वर्तमान गंभीर स्वास्थ्य संकट के समय में भारत का यह कदम न केवल उसे वैश्विक नेतृत्व की भूमिका का अनूठा अवसर देता है, बल्कि दुनिया में बीजिंग की आक्रामक छवि का प्रभावशाली जवाब भी देता है। भू-राजनीतिक विचारों को एक तरफ रखते हुए यह समझना अनिवार्य है कि वैक्सीन कूटनीति रणनीतिक रूप से भारत के एक जिम्मेदार वैश्विक नेता के रूप उभरने का मौका है।