भारत की लोक कूटनीति

वर्तमान समय में भारत द्वारा अपने पड़ोसी देशों में वैक्सीन की सहायता से मालदीव को जल सहायता और श्रीलंका को आर्थिक आपातकाल जैसे समय में सहायता प्रदान किया है जो भारत की नई कूटनीति को दर्शाता है।

इस आलोक में कहा जा सकता है की भारत ने अपने ट्रैक 2 कूटनीति के दायरे का विस्तार किया है। ‘ट्रैक-2 (Track-2) कूटनीति का तात्पर्य है कि दोनों देशों के मध्य संबंधों को सुधारने के लिए गैर-सरकारी समूहों व व्यक्तियों को शामिल किया जाना।

विदेश नीति के साधन

वस्तुतः किसी भी देश की विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के दो प्रमुख साधन है-

  • प्रथम, बाध्यकारी अथवा सैनिक साधन, जिनमें युद्ध का स्थान प्रमुख है।
  • दूसरे शांतिपूर्ण अथवा राजनीतिक साधन, जिनमें कूटनीति सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। वर्तमान समय में में हिंसक साधनों तथा युद्धों की अस्वीकार्यता बढ़ गयी है, साथ ही आर्थिक दृष्टि से महंगा होने के कारण भी राष्ट्रीय हितों की पूर्ति करना कठिन होता जा रहा है, साथ ही राजनीतिक दृष्टि से भी वर्तमान लोकतांत्रिक युग में इसका औचित्य ठहराना कठिन है।

भारत और लोक कूटनीति

  • वैश्वीकरण के युग में भारत ने भी घरेलू स्तर पर व्यापक आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को लागू कर विश्व अर्थव्यवस्था से जुड़ने का प्रयास किया है। अपने राष्ट्रीय आर्थिक और सामरिक हितों की पूर्ति के लिए भारत ने विदेश नीति में भी सकारात्मक और व्यावहारिक परिवर्तन किये हैं।
  • जहां एक ओर भारत ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ सामरिक संबंधों को विकसित करने का प्रयास किया है, वहीं पूर्वी एशिया, अफ्रीका तथा मध्य एशिया में अपने संबंधों को मजबूत करने को नीति अपनाई है।
  • वैश्वीकरण के युग में अन्य देशों की भांति भारतीय विदेश नीति में आर्थिक तत्व प्रमुखता प्राप्त कर रहा है। भारत को भी अन्य देशों की भांति वैश्विक प्रतियोगिता के इस युग में अपने व्यापार और निवेश के लिए नये क्षेत्रों तथा नये स्रोतों की आवश्यकता है।
  • भारत के नीति निर्माताओं को यह स्पष्ट हो गया है कि लोक कूटनीति का प्रयोग भारत के आर्थिक और सामरिक हितों की पूर्ति को सुगम बनाने में सहायक है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए 2006 में भारत के विदेश मंत्रालय के अधीन एक लोक कूटनीति प्रभाग (Public Diplomacy Division) की स्थापना की गयी।

लोक कूटनीति क्या है

  • वर्तमान समय में लोक कूटनीति का उदय विदेश नीति के निर्माण व संचालन में लोकतंत्र व जनमत के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक है। इसलिए प्रथम विश्वयुद्ध के उपरांत अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने घोषणा की थी कि गुप्त कूटनीति (Secret Diplomacy) के दिन अब लद चुके हैं।
  • भारत के अनुसार, ‘लोक कूटनीति ऐसी गतिविधियों का एक फ्रेमवर्क है, जिनके द्वारा कोई सरकार जनता के दृष्टिकोण को इस तरह से प्रभावित करने का प्रयास करती है कि वह उसकी विदेश नीति तथा राष्ट्रीय हितों के समर्थन में आ जाये’।
  • लोक कूटनीति परंपरागत कूटनीति से इस अर्थ में भिन्न है कि इसमें सरकारी अभिकर्ताओं के अतिरिक्त गैर सरकारी अभिकर्ताओं के साथ भी अंतःक्रिया का संपादन होता है इसीलिए लोक कूटनीति के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोण एक साथ पाये जाते हैं।
  • उन्होंने सिद्धांत का प्रतिपादन किया कि राष्ट्रों के मध्य समझौते खुले रूप में संपन्न होने चाहिए। वस्तुतः उन्होंने विदेश नीति में जनमत के बढ़ते प्रभाव को समझ लिया था।
  • यद्यपि लोक कूटनीति शब्द का प्रयोग सबसे पहले अमेरिका के विद्वान एडमंड गुलियन ने 1965 में किया था, लेकिन लोक कूटनीति का प्रचलन उस समय अधिक नहीं था।
  • लोक कूटनीति का प्रचलन उत्तर-शीतयुद्ध की राजनीति में बढ़ा है। सामान्य तौर पर लोक कूटनीति का तात्पर्य किसी देश द्वारा दूसरे देशों में अपनी नीतियों तथा कार्यक्रमों के प्रति वहां की जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए अपनाये गये विभिन्न साधनों से है, जो विदेश नीतियों के निर्माण व संचालन में जनता के दृष्टिकोण के प्रभाव से है, इंगित होता है।
  • इसमें परंपरागत कूटनीति के बाहर अंतरराष्ट्रीय संबंधों के नये आयाम शामिल हैं, जैसे दो देशों के प्राइवेट समूहों के बीच अंतःक्रिया तथा राष्ट्रों के मध्य सांस्कृतिक संचार की प्रक्रिया।
  • इस प्रकार लोक कूटनीति के अंतर्गत विदेश नीति के पक्ष में घरेलू और बाह्य दोनों की जनता को प्रभावित किया जाता है।
  • एक सफल लोक कूटनीति में एक देश द्वारा अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के पक्ष में देशी और विदेशी जनता के मध्य स्थायी विश्वास व समर्थन प्राप्त किया जाता है।

राष्ट्रीय हितों की प्राप्ति में कूटनीति की भूमिका

  • कूटनीति का संबंध दूसरे देशों के साथ संबंधों के संचालन के सिद्धांत व व्यवहार से है।
  • कूटनीति की प्रकृति उसके क्षेत्र तथा भूमिका का निर्धारण दिये गये परिवेश में होता है।
  • कूटनीति अपने समय के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवेश से गहन रूप से प्रभावित होती है।
  • कूटनीति शून्य में काम नहीं करती। अतः इसके निर्धारण में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय परिवेश का महत्वपूर्ण स्थान होता है। अतः वर्तमान समय में राष्ट्रीय हितों की पूर्ति में कूटनीति की भूमिका व महत्व निरंतर बढ़ रहे हैं। कूटनीति का संबंध दूसरे देशों के साथ संबंधों के संचालन के सिद्धांत व व्यवहार से है।
  • भारत ने उत्तर-शीतयुद्ध के परिवेश में अपने को समायोजित करने के लिए आर्थिक सुधारों का व्यापक कार्यक्रम लागू किया है। इसके साथ ही भारत ने नये परिवेश में अपने हितों की पूर्ति के लिए विदेश नीति की प्रमुखताओं में व्यावहारिक संशोधन भी किये हैं।
  • इनमें अमेरिका के साथ संबंधों में सुधार तथा ‘पूरब की ओर देखो’ की नीति प्रमुख रूप से उल्लेखनीय है।
  • समकालीन परिवेश में जन-संवेदनशीलता विदेश नीति को प्रभावित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। लोक-कूटनीति के रूप में कूटनीति का नया रूप इसी बदलाव के परिणामस्वरूप आया है।

लोक कूटनीति की विशेषतायें

विदेश नीति तथा उसके कार्यक्रमों के बारे में जनता को बताना और उसका समर्थन प्राप्त करना है।

  • दूसरे देशों में अपने देश की सकारात्मक छवि का निर्माण तथा विकास करना है।
  • यह मानता है की किसी देश की जनता वहां की विदेश नीति के निर्माण व क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • इसमें कई निजी समूहों और व्यक्तियों के साथ अंतः क्रिया का संपादन होता है। लोक कूटनीति के साधन अधिक लचीले तथा उदारवादी होते हैं, क्योंकि इसमें विभिन्न प्रकार के सरकारी और गैर सरकारी अभिकर्ता आपस में अंतःक्रिया करते है।
  • लोक कूटनीति अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विभिन्न साधनों जैसे लिखित पर्चे वांटने से लेकर अत्याधुनिक साधन जैसे ट्विटर तथा फेसबुक, फिल्म, व्याख्यान, प्रदर्शनी का प्रयोग किया जाता है।
  • लोक कूटनीति एक अंतर-विषयक गतिविधि के रूप में विकसित हो रही है। इसके सिद्धांत व व्यवहार में कई अन्य विषयों व क्षेत्रों का समावेश है। इसमें संचार, इतिहास, लोक-संबंध, मीडिया अध्ययन आदि सभी का एक साथ समावेश होता है। लोक कूटनीति का संचालन करने वाले राजनयिकों में इसकी अंतर विषयक प्रवृत्ति की समझ आवश्यक है।

परम्परागत कूटनीति

लोक कूटनीति

इस कूटनीति का संचालन दो देशों के सरकारी प्रतिनिधियों के बीच होता है।

दोनों देशों के मध्य संबंधों को सुधारने के लिए गैर-सरकारी समूहों व व्यक्तियों को शामिल किया जाता है

दूसरे पक्ष के सरकारी दृष्टिकोण को अपने पक्ष में प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है-

जनमत तथा गैरसरकारी समूहों के माध्यम से अपनी नीतियों व कार्यक्रमों के लिए समर्थन प्राप्त किया जाता है।

इसमें सरकारी संचार माध्यमों का प्रयोग होता है,

इसमें सामाजिक मीडिया के साधन का भी प्रयोग किया जाता है।

वर्तमान में नई लोक कूटनीति (New Public Diplomacy) के सिद्धांत व व्यवहार का प्रचलन हुआ है लोक कूटनीति में जहां सरकार द्वारा गैर-सरकारी समूहों की भागीदारी से विदेश नीति में जनता का समर्थन प्राप्त किया जाता है।

वहीं नई लोक-कूटनीति का संचालन केवल गैर-सरकारी माध्यमों तथा गैर-सरकारी अभिकर्ताओं के बीच होता है। नई लोक-कूटनीति में सरकारी अभिकर्ता अनुपस्थित रहते हैं। वैश्वीकरण के युग में निजीकरण तथा उदारीकरण की जो प्रक्रिया चल रही है, उससे नई लोक कूटनीति को बढ़ावा मिला है।

लोक कूटनीति के साधन

सामान्य तौर पर लोक कूटनीति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी उपलब्ध संचार साधनों को अपनाती है। इसका उद्देश्य इन् साधनों के माध्यम से जनता के दृष्टिकोण में इस तरह का परिवर्तन लाना है कि वह विदेश नीति तथा राष्ट्रीय हितो के अनुकूल हो जाये। लोक कूटनीति द्वारा अपनाये जाने वाले विभिन्न साधन है जैसे-

  • सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा आयोजन प्रदर्शनी व्याख्यान तथा सेमिनार प्रिंट मीडिया ऑडियो-विजुअल मीडिया, फिल्म शिक्षाशास्त्रियों का आदान-प्रदान, स्कॉलरशिप आदि।
  • संचार की आधुनिक तकनीकी का विकास होने के कारण कुछ नये साधनों का भी प्रयोग लोक कूटनीति में बढ़ रहा है। ये साधन है इंटरनेट मोबाइल, ट्विटर, फेसबक आदि।
  • 24×7 मीडिया तथा वेब 2.0 टेक्नॉलोजी के आने के बाद नये साधनों का प्रयोग लोक-कूटनीति के लिए एक चुनौती बन गया है।

भारतीय लोक कूटनीतिः गतिविधियां तथा क्षेत्र

2006 में ही लोक कूटनीति प्रभाग की स्थापना की गयी थी। इसके पहले इससे संबंधित कार्यों का निष्पादन विदेश मंत्रालय के बाह्य प्रचार प्रभाग द्वारा किया जाता था। इसकी विभिन्न गतिविधियों निम्न है।

  • पुस्तकों तथा पत्रिकाओं, बाजार से भी महत्वपूर्ण पुस्तकों की खरीद तथा उसे विदेशों में उनका वितरण जिससे विदेशी जनता में भारतीय जीवन के विभिन्न पक्षों का प्रभाव पड़ता है।
  • भारत की शास्त्रीय व लोक संगीत, फिल्म तथा वृतचित्र कई देशों में अत्यंत लोकप्रिय है जो भारत की सांस्कृतिक परम्परा के प्रति रुचि उत्पन्न कर भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों, आर्थिक उन्नति से अन्य देशो को रूबरू करते हैं।
  • विदेश मंत्रालय द्वारा प्रकाशित इंडियन पर्सपेक्टिव (Indian Perspective) पत्रिका है, जिसका प्रकाशन 17 भाषाओं तथा 160 देशों में वितरण किया जाता है। जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा उसकी प्रगतिशील अर्थव्यवस्था और बहुलवादी समाज को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करते है।

डिजिटल कूटनीतिः लोक कूटनीति प्रभाग ने सोशल डिजिटल मीडिया जैस वेब 2.0. ट्विटर, फेसबुक आदि के महत्व को समझ लिया है तथा अपनी गतिविधियों में इन नये साधनों का उपयोग करना प्रारंभ कर दिया है।

बाह्य पहुंच कार्यक्रम (Outreach Programme): लोक-कूटनीति विभाग का यह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत भारतीय विदेश नीति के समकालीन पहल पर विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थाओं में नियमित आधार पर व्याख्यानों का आयोजन किया जाता है।

  • ये व्याख्यान भारत तथा विदेश में स्थित संस्थाओं में आयोजित किये जाते हैं। इस कार्यक्रम के अंतर्गत भारत ने इंग्लैंड, दक्षिण कोरिया तथ इंडोनेशिया में कई व्याख्यान आयोजित किये है।
  • ‘ब्रांड इंडिया’ तथा अतुल्य भारत और पधारों मारे देश जैसे संकल्पना ने भारत की इस नीति को मजबूत किया है।
  • भारत द्वारा विभिन्न देशों में भारतीय सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना की गयी है जिनके द्वारा भारतीय नृत्य तथा भारतीय भाषाओं में अल्पकालिक प्रशिक्षण दिया जाता भारत ने कई देशों साथ सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान के विभिन्न कार्यक्रम शुरू किए है। 2005 में प्रवासी भारतीयों को भारतीय नागरिकों की ही भांति कतिपय सुविधायें देने के लिए दोहरी नागरिकता की योजना लागू की गयी थी। इन सभी प्रयासों का उद्देश्य भारत के आर्थिक विकास तथा राष्ट्रीय हितों की पूर्ति की प्रक्रिया में प्रवासी भारतीयों को जोड़ना है।
  • नई दिल्ली स्थित भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् (ICCR) अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करती है।
  • भारतीय वैश्विक संबंध परिषद् (ICWA) नियमित रूप से भारतीय विदेश नीति के विभिन्न पहलुओं पर शोध तथा अध्ययन को प्रोत्साहित करती है।

आगे की राह

यह कहा जा सकता कि भारत में लाक कूटनीति के महत्व व भूमिका को समझ कर इसके प्रभावी क्रियान्वयन के प्रयास किये जा रहे हैं। भारत की लोक कूटनीति की सफलता भारत की उभरती वैश्विक छवि को मजबूत बनाने तथा भारत के सामरिक व आर्थिक हितों प्राप्ति में सहायक सिद्ध होगी। भविष्य में लोक कूटनीति की गतिविधियों में वृद्धि की अपार संभावनायें मौजूद हैं।