फ़ूड फ़ोर्टिफि़केशन

अगस्त 2021 में प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और मध्याह्न भोजन योजना सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के अंतर्गत वितरित किए जाने वाले चावल को वर्ष 2024 तक फर्टिफिकेशन करने की घोषणा की, जो देश में महिलाओं और बच्चों के बीच उच्च स्तरीय कुपोषण पर केन्द्रित है।

  • वर्ष 2021-22 के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कई योजनाओं जैसे कि लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मध्याह्न भोजन योजना और समेकित बाल विकास योजना के अंतर्गत 328 लाख टन चावल वितरित किए हैं।
  • भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के नियमों के अनुसार, 1 किलोग्राम फोर्टिफाइट चावल में, लौह तत्व (28 मिलीग्राम-42.5 मिलीग्राम), फोलिक एसिड (75-125 माइक्रोग्राम) और विटामिन बी-12 (0.75-1.25 माइक्रोग्राम) होगा।
  • इसके अतिरिक्त, चावल को सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ एकल या किसी अन्य तत्व के संयोजन से भी फोर्टिफाइड किया जा सकता है, जिसमें प्रति किलोग्राम तत्व का स्तर, जिंक (10 mg-15mg), विटामिन ए (500-750 mg RE), विटामिन बी1 (1mg-1.5mg), विटामिन बी2 (1.25mg-1.75mg), विटामिन बी3 (12.5mg-20mg) और विटामिन बी6 (1.5mg-2.5mg) हो सकता है।

फोर्टिफिकेशन क्या है?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, फोर्टिफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें जानबूझकर किसी खाद्य पदार्थ में आवश्यक पोषक तत्व, जैसे विटामिन और खनिज (अल्प मात्रा में उपस्थित तत्व) की मात्रा को बढ़ाया जाता है।

उद्देश्यः खाद्य सामग्री की पोषक गुणवत्ता में सुधार करना और स्वास्थ्य के जोखिम को कम करने के साथ ही सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ प्रदान करना है। फोर्टिफिकेशन विशेष रूप से आयोडीन युक्त नमक के संदर्भ में सफल रहा है। विश्व की 71 प्रतिशत आबादी को आयोडीन युक्त नमक सुलभ है और आयोडीन न्यूनता वाले देशों की संख्या वर्ष 2003 से 54 से घटकर 32 हो गई है।

फूड फोर्टिफिकेशन के लाभ

प्रच्छन्न भुखमरी में कमी होनाः विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘प्रच्छन्न भुखमरी’ को विटामिन और खनिज की कमी के रूप में परिभाषित किया है। 70% से अधिक भारतीय प्रतिदिन सूक्ष्म तत्वों की दैनिक आधार पर निर्धारित मात्र के आधे से भी कम का अंतर्ग्रहण करती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) के अनुसारः

  • 18 में से 11 राज्यों में स्टंटिंग में वृद्धि दर्ज की गई है, जबकि 14 राज्यों में वेस्टिंग में वृद्धि हुई है।
  • सर्वेक्षण में शामिल 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 13 में सर्वेक्षण किया गया, जिसमें बच्चों में स्टंटिंग के प्रतिशत में वृद्धि दर्ज की गई।
  • 22 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से 12 में राज्यों NFHS-4 की तुलना में NFHS-4 में चाइल्ड वेस्टिंग में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों के प्रतिशत में वृद्धि दर्ज की गई है।
  • NFHS-4 के अनुसार भारत के सभी राज्यों में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों (58.6 से 67%), महिलाओं (53.1 से 57%) और पुरुषों (22.7 से 25%) में एनीमिया की स्थिति है।

उच्च लाभ-लागत अनुपातः कोपनहेगन कंसेंसस (एक थिंकटैंक) के अनुसार फूड फोर्टिफिकेशन पर व्यय किए गए प्रत्येक 1 रुपये से अर्थव्यवस्था को 9 रुपये का लाभ होता है। यदि सभी कार्यक्रम की लागत को भी उपभोक्ताओं पर ही आरोपित कर दिया जाए, तब भी उससे कीमत में होने वाली वृद्धि सामान्य स्थिति में कीमत में होने वाली बढ़ोत्तरी से 1.2% कम ही होगी।

स्वास्थ्य जोखिम में कमीः लोगों के पोषण में सुधार के लिए फूड फोर्टिफिकेशन एक सुरक्षित विधि है। खाद्य पदार्थ में सूक्ष्म पोषक तत्व मिलाने से लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष जोखिम उत्पन्न नहीं होता है। इसे तीव्रता से कार्यान्वित किया जा सकता है। साथ ही, स्वास्थ्य में सुधार से संबंधित परिणाम अपेक्षाकृत कम अवधि में दृष्टिगत होने लगते हैं।

सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्यः इसके लिए लोगों की खाने-पीने की आदतों में किसी प्रकार के परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती। यह लोगों को पोषक तत्व उपलब्ध कराने का सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य माध्यम है।

फूड फोर्टिफिकेशन के प्रभाव

हाइपरविटामिनोसिसः हाल ही में, मेडिकल जर्नल ‘लैंसेट’ और ‘अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन’ में प्रकाशित अध्ययनों के अनुसार एनीमिया तथा विटामिन ए की कमी का निदान अधिक होता है, जिसका अर्थ है कि अनिवार्य फोर्टिफिकेशन से ‘हाइपरविटामिनोसिस’ हो सकता है।

  • हाइपरविटामिनोसिस विटामिन के असामान्य रूप से उच्च भंडारण स्तर की स्थिति है, जो विभिन्न लक्षणों जैसे कि अत्यधिक उत्तेजना, चिड़चिड़ापन तथा विषाक्तता को जन्म दे सकती है।

विषाक्तताः एक या दो सिंथेटिक रासायनिक विटामिन और खनिजों को जोड़ने से बड़ी समस्या का समाधान नहीं होगा। इसके विपरित अल्पपोषित अनाज में विषाक्तता हो सकती है। वर्ष 2010 के एक अध्ययन में बताया गया था कि कुपोषित बच्चों में आयरन फोर्टिफिकेशन के कारण आंत में सूजन और रोगजनक आंत माइक्रोबायोटा प्रोफाइल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

प्रकृतिक खाद्य पदार्थों का बाजार सीमित होनाः कुपोषण से लड़ने के लिये आहार विविधता को एक स्वस्थ और अधिक लागत प्रभावी तरीका माना गया है। एनीमिया के उपचार हेतु आयरन जब से युक्त फोर्टिफाइड चावल बाजार में बेचा जाने लगा, तब से इसने प्राकृतिक रूप से उपलब्ध कुछ लौह युक्त खाद्य पदार्थों, जैसे- बाजरा, हरी पत्तीदार सब्जियों की किस्में, मांस व अन्य खाद्य पदार्थों के बाजार को नितिगत्त रुप से सीमित कर दिया है।

हितों का टकरावः फोर्टिफिकेशन का समर्थन करने वाले साक्ष्य अनिर्णायक हैं और निश्चित रूप से प्रमुख राष्ट्रीय नीतियों को लागू करने के लिये पर्याप्त नहीं हैं। फोर्टिफिकेशन को बढ़ावा देने के लिये FSSAI जिन अध्ययनों पर निर्भर है। वे खाद्य कंपनियों द्वारा प्रायोजित हैं, जो इससे लाभान्वित होंगी, जिससे हितों का टकराव होगा।

फूड फोर्टिफिकेशन के चुनौतियां

  • लक्ष्य को प्राप्त करने के उपरांत समाप्त करना कठिनः अनिवार्य फोर्टिफिकेशन के कारण ऐसे बाजार तैयार हो जाएंगे, जिन्हें सूक्ष्म पोषक तत्व अल्पता (कमी) के लक्ष्य को प्राप्त करने के उपरांत समाप्त करना कठिन होगा। इन खाद्य पदार्थों के सेवन से पोषण की अधिकता की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • जंक फूड को बढ़ावा देने के लिए दुरुपयोग की संभावनाः इसे जंक फूड पर भी लागू किया जा सकता है। प्रभावी ढंग से अस्वस्थ खाद्य सामग्री को इस प्रकार तैयार कर प्रस्तुत किया जाएगा कि वे बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक है। यह पोषक शिक्षा के महत्व को कम कर देगा, क्योंकि इससे क्या स्वास्थ्यप्रद है और क्या स्वास्थ्यप्रद नहीं है, के बीच की सीमा अस्पष्ट हो जाएगी।
  • केंद्रीय भूमिका की उपेक्षाः हाल ही में, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक समूह ने यह विचार व्यक्त किया कि दीर्घकालीन रक्ताल्पता और सूक्ष्म पोषक तत्व अल्पता की समस्या से निपटने के लिए चावल के फोर्टिफिकेशन का भारत का कार्यक्रम संतुलित विविधतापूर्ण आहार की केंद्रीय भूमिका की उपेक्षा करता है।
  • उन्होंने विशेष रूप से आयरन अर्थात् लौह तत्व अनुपूरण को लेकर चिंता प्रकट की है। भारत में हीमोग्लोबिन की माप के लिए अनुचित विधि अपनाने से रक्ताल्पता के अधिक मामले प्रकट हो सकते हैं। गर्भवती महिला द्वारा अत्यधिक आयरन के सेवन से शिशु का विकास और जन्म से संबंधित परिणाम प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

फूड फोर्टिफिकेशन के लिए किया गया प्रयास

  • FSSAI विनियमनः अत्तफ़ूबर 2016 में FSSAI ने खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य पदार्थों का फोर्टिफिकेशन) विनियम, 2016 को मजबूत करने वाली सूची जैसे-गेहूं का आटा, चावल (आयरन, विटामिन बी 12 एवं फोलिक एसिड के साथ), दूध तथा खाद्य तेल (विटामिन ए और डी के साथ) वभारत में सूक्ष्म पोषक तत्वों के कुपोषण के उच्च बोझ को कम करने के लिये डबल फोर्टिफाइड नमक (आयोडीन और आयरन के साथ) जारी की।
  • पोषण संबंधी रणनीतिः भारत की राष्ट्रीय पोषण रणनीति, 2017 ने पूरक आहार और आहार विविधीकरण के अलावा एनीमिया, विटामिन ए तथा आयोडीन की कमी को दूर करने के लिये फूड फोर्टिफिकेशन को एक हस्तक्षेप के रूप में सूचीबद्ध किया था।
  • मिल्क फोर्टिफिकेशन प्रोजेक्टः वर्ष 2017 में मिल्क फोर्टिफिकेशन प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) द्वारा विश्व बैंक तथाटाटा ट्रस्ट के सहयोग से एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लॉन्च किया गया था।