डिजिटल मुद्रा बनाम क्रिप्टोकरेंसी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट भाषण में डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को जारी करने की घोषण है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से डिजिटल रूपी मुद्रा को जारी किया जायेगा। जिसका नियमन सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) द्वारा किया जायेगा। यह ब्लाकचेन तकनीक पर आधारित होगी।

  • आरबीआई के डिजिटल रुपये के अलावा क्रिप्टो वर्ल्ड में मौजूद सभी क्वाइन वर्चुअल असेट्स में गिने जाएंगे। इनके लेन-देन में अगर किसी को मुनाफा होता है तो उस पर 30 फीसदी टैक्स लगाया जाएगा। क्रिप्टो की दुनिया में होने वाले हर लेन-देन पर एक फीसदी TDS लगाया जाएगा। डिजिटल करेंसी वही होगी, जिसे इस साल RBI जारी करेगा। वहीं, क्रिप्टो की दुनिया में मौजूद अलग-अलग तरह की संपत्तियों के हर लेन-देन पर टैक्स लगेगा।

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी

  • रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) आगामी वित्त वर्ष में CBDC लॉन्च करेगा। CBDC एक लीगल टेंडर है, जिसे सेंट्रल बैंक एक डिजिटल रूप में जारी करता है। यह कागज में जारी एक फिएट मुद्रा के समान है और किसी भी अन्य फिएट मुद्रा के साथ इंटरचेंजेबल है। यह एक लीगल टेंडर होगा जो आरबीआई द्वारा पेश किया जायेगा, जो मूल्य में रूपी की तरह होगा, बस यह सिक्के या नोट अर्थात् भौतिक की जगह डिजिटल रूप में मौजूद रहेगा।

क्रिप्टो से अंतरः आरबीआई द्वारा जारी की गई डिजिटल रूपी या सीबीडीसी ब्लाकचेन व दूसरी अन्य तकनीकि का उपयोग करके बनाया जायेगा। यह एक लीगल टेंडर होगा तथा यह केन्द्रीय बैंक के अधीन होगा जिसका विनियमन आरबीआई द्वारा किया जायेगा।

  • क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है जो केन्द्रीय बैंक के नियंत्रण में न होकर डेवलपर द्वारा बनाये गए प्रोजेक्ट से जुड़ी होती है। यह किसी सरकारी संस्था द्वारा विनियमित नहीं की जाती है और इसका मूल्य मांग पर निर्भर करता है यह भी ब्लाकचेन पद्धति पर कार्य करती है तथा इसके लेन-देन हेतु क्रिप्टोग्राफी का उपयोग किया जाता है तथा इसमें लेन-देन को रिकॉर्ड करने और नई इकाइयों को जारी करने के लिए विकेंद्रीकृत प्रणाली का उपयोग किया जाता है

विकेंद्रीकृत मुद्राः यह एक डिजिटल भुगतान प्रणाली है जो लेन-देन को सत्यापित करने के लिए बैंकों पर निर्भर नहीं है। इसे क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित किया जाता है, इसलिए इसका नाम क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं।

  • जब भी किसी रुपए अर्थात् भौतिक राशि का लेन-देन होता है तब बैंक इस बात की जांच करता है कि भेजने वाले के खाते में पर्याप्त राशि है या नहीं। इसके बाद ही इसके लेन-देन को मंजूरी प्रदान की जाती है, मगर क्रिप्टोकरेंसी में यह नहीं होता है
  • क्रिप्टो भेजने के बाद उसको कई कम्प्यूटर द्वारा उसे सत्यापित किया जाता है, जिनका एल्गोरिदम समान होता है।
  • इसमें किसी केन्द्रीय प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए इसे विकेंद्रीकृत मुद्रा कहा जाता है जिसके लिए क्रिप्टोकरेंसी डिसट्रिब्यूटेड लेजर (बही खाता) तकनीक का उपयोग होता है।
  • यह बहुत ही सुरक्षित होता है। इसमें लेन-देन के रिकॉर्ड को बदला या हटाया नहीं जा सकता है। इसमें जानकारी को कई कैटेगरी में इकट्ठा किया जाता है, जिसे ब्लॉक कहते हैं तथा एक दूसरे से जुड़े होते है इसलिए इसे ब्लॉकचेन कहते हैं। इसमें लेन-देन को सत्यापित करने हेतु एनक्रिप्शन का प्रयोग किया जाता है।
  • सरकार द्वारा समर्थित मुद्रा के विपरीत क्रिप्टो जैसी आभासी मुद्रा का मूल्य मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। विश्व की पहली क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन थी, जिसे 2009 में पेश किया गया था

कैसे होता है लेन-देनः इसका लेन-देन बैंक खाते की तरह ही वॉलेट के जरिय किया जाता है। इसमें दो पते होते हैं- सार्वजानिक पता और नीजि पता।

  • सार्वजानिक पता का अर्थ है जहां धनराशि भेजी जाती है तथा क्रिप्टो भेजने के लिए इस पते की जरूरत है यानी जिस किसी को भी यह मुद्रा भेजनी होती है उसके पब्लिक एड्रेस की जरूरत होती है। क्रिप्टो मुद्रा को क्रिप्टो वॉलेट में जमा किया जाता है, जो भौतिक या ऑनलाइन सॉफ्टवेयर हो सकता है। इसे हॉट वॉलेट स्टोरेज तथा कोल्ड वॉलेट स्टोरेज में जमा किया जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लाभः तीव्र और सस्ते लेन-देन आधारित होता है, क्योंकि इसमें बिचौलियों की भूमिका नहीं होती है।

मुद्रास्फीति विरोधी मुद्राः क्रिप्टोकरेंसी की उच्च मांग के कारण इसकी कीमतें काफी हद तक ‘वृद्धिमान प्रक्षेप वक्र’ (Growing Trajectory) द्वारा निर्धारित होती हैं। इससे मुद्रा पर अपस्फीतिकारी प्रभाव (Deflationary effect) उत्पन्न होगा।

क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित चिंताएँ

विज्ञापन की अत्यधिक संख्याः प्रायः क्रिप्टो बाजार को त्वरित लाभ कमाने के तरीके के रूप में देखा जाता है। इसके कारण लोगों को इस बाजार में सट्टा लगाने के लिये लुभाने हेतु ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के विज्ञापनों का व्यापक संख्या में प्रयोग किया जा रहा है।

काउंटरप्रोडक्टिव उत्पादः इसके परिणामस्वरूप अनियमित क्रिप्टो बाजार मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के मार्ग का निर्माण कर सकते हैं।

क्रिप्टोकरेंसी बेहद अस्थिर हैं: बिटकॉइन 40000 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 65000 अमेरिकी डॉलर (जनवरी से अप्रैल 2021 के बीच) के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया।

मैक्रो इकोनॉमिक और वित्तीय स्थिरताः इस अनियमित परिसंपत्ति वर्ग में भारतीय खुदरा निवेशकों के निवेश जोखिम की सीमा, व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिये एक जोखिम है।

स्टॉक मार्केट के मुद्देः भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) कि क्रिप्टो मुद्राओं के समाशोधन और निपटान पर इसका कोई नियंत्रण नहीं है और यह प्रतिपक्ष गारंटी की पेशकश नहीं कर सकता जैसा कि शेयरों के लिये किया जा रहा है।

  • इसके अलावा, क्या क्रिप्टोकरेंसी एक मुद्रा, वस्तु या प्रतिभूति है इसे परिभाषित नहीं किया गया है।

निष्कर्ष

  • भारत ने अभी तक क्रिप्टोकरेंसी और विनियमन आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक 2021 को पेश नहीं किया है जो आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के शुभारंभ के लिये नियामक ढांचा तैयार करेगा। इस प्रकार बिल को पारित करने में तेजी लाने और क्रिप्टोकरेंसी से निपटने के लिये एक नियामक ढांचा तैयार करने की आवश्यकता है।