संसदीय विशेषाधिाकार

वर्तमान में कुछ विपक्षी नेताओं द्वारा संसद के सत्र के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने भाषण के कुछ हिस्सों को हटाने का विरोध किया जा रहा है तथा इसे संसदीय विशेषाधिकार से जोड़कर देखा जा रहा है।

क्या है संसदीय विशेषाधिकार

  • संसदीय विशेषाधिकार सामूहिक और व्यत्तिफ़गत विशेषाधिकार के रूप में प्रदान किये गए हैं। व्यक्तिगत विशेषाधिकार के तहतसंसद सदस्यों को संसद की कार्यवाही के दौरान, संसद सत्र के शुरू होने से 40 दिन पूर्व तथा समाप्त होने के 40 दिन बाद तक बंदी नहीं बनाया जा सकता है। यह अधिकार केवल नागरिक मुकदमों में उपलब्ध है, आपराधिक तथा प्रतिबंधात्मक निषेध मामलों में नहीं।
  • अनुच्छेद 105 के तहत संसद सदस्य को बोलने की स्वतंत्रता दी गई है। यह संसद के सदनों, इसके सदस्यों और समितियों की शक्तियों तथा विशेषाधिकारों से संबंधित है

प्रावधान

  • संसद सदस्यों को संसद में बोलने की स्वतंत्रता होगी।
  • सांसदों को संसद में अपने कर्तव्यों के दौरान दिए गए किसी बयान या किए गए कार्य के लिए किसी भी कानूनी कार्रवाई से छूट दी गई है।

अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 105 में सम्बन्ध

  • दोनों अनुच्छेद बोलने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं, परन्तु अनुच्छेद 105संसद सदस्यों पर लागू और अनुच्छेद 19(1)(ए) नागरिकों पर लागू होता है और उचित प्रतिबंधों के अधीन है।
  • अनुच्छेद 105 के अधीन दिए गए विशेषाधिकार का उपयोग संसद परिसर में किया जा सकता है न कि संसद के बाहर।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 105 (2) एक संसद सदस्य को अदालत में कार्यवाही के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है, जो संसद में उसके द्वारा कही गई किसी भी बात या दिए गए मत से संबंधित है।
  • अनुच्छेद 105 सदस्यों को संसदीय बहसों में निडरता से भाग लेने में सक्षम करता हैऔर इन सदस्यों को उन सभी दीवानी तथा आपराधिक कार्यवाही के खिलाफ व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है, जो संसद में उनके द्वारा दिए गए भाषण या मत से संबंधित हैं।

विशेषाधिकार की सीमा

  • संविधान का अनुच्छेद 121 संसद में किसी भी न्यायाधीश के आचरण (SCekHC में अपने कर्तव्यों का पालन करते समय) की चर्चा को प्रतिबंधित करता है।
  • लेकिन न्यायाधीश को हटाने की अनुशंसा करने वाले समावेदन को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करने के प्रस्ताव पर चर्चा की जा सकती है।

आगे की राह

  • संसदीय विशेषाधिकार मूलतः ऐसे विशेषाधिकार होते हैं, जो संसद के प्रत्येक सदन को सामूहिक तौर पर मिले होते हैं और साथ ही सदन के सभी सदस्यों को व्यक्तिगत रूप से भी मिले होते हैं। यह विशेषाधिकार संसद सदस्यों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है और उनके द्वारा संसद में किये जाने वाले कृत्यों के बदले न्यायालयी कार्यवाहियों से रक्षा करता है, ताकि संसदीय प्रक्रिया निर्बाध रूप से चलती रहे। साथ ही यह संसद की गरिमा, अधिकार और सम्मान की रक्षा के लिये भी महत्त्वपूर्ण है।