तेन्दुलकर समिति (2005)

निर्धनता रेखा और निर्धनता के अनुमान को ज्ञात करने के लिए योजना आयोग ने प्रो- सुरेश तेन्दुलकर की अध्यक्षता में एक समिति गठित किया, जिसने अपनी रिपोर्ट नवम्बर 2009 में दी। तेन्दुलकर समिति ने गरीबी का बहुआयामी दृष्टिकोण को अपनाया।

  • इस समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य भारत में गरीबी का परीक्षण करने के साथ-साथ नयी गरीबी रेखा तथा गरीबी के सम्बन्ध में अनुमान प्रस्तुत करना था।
  • इसने गरीबी के अनुमान से संबंधित कार्यपद्धति की निम्न कमियों की ओर संकेत किया-
    • गरीबी रेखा के अनुमान के संबंध में ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में उपभोग ढांचे में आने वाली वस्तुओं को 1973-74 में निश्चित किया गया था, जिसमें हाल के वर्षो में अत्यधिक परिवर्तन हुए हैं।
    • इस समिति ने मूल्य समायोजन पद्धति की आलोचना की और बताया कि इसकी वजह से एक अव्यावहारिक परिणाम प्राप्त हुआ और कुछ राज्यों के शहरी क्षेत्रों में ग्रामीणक्षेत्रों की तुलना में गरीबी रेखा से नीचे की जनसंख्या अधिक है।
    • गरीबी रेखा के अब तक के अनुमान यह मानकर चलते हैं कि शिक्षा तथा स्वास्थ्य पर होने वाले व्यय केवल राज्य द्वारा किए जाएंगे, निजी क्षेत्र द्वारा नहीं।
  • तेन्दुलकर समिति के अनुसार गरीबी रेखा का निर्धारण उपभोग में प्रयुक्त खाद्यानों के अलावा छः बुनियादी आवश्यकताओं शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी संरचना, स्वच्छ वातावरण तथा महिलाओं की काम तथा लाभ तक पहुंच के आधार पर होगा।
  • तेन्दुलकर समिति ने चार बड़े बदलावों की सिफारिश कीः (1) कैलोरी आधार पर अनुमानित गरीबी रेखा को छोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया; (2) ग्रामीण और शहरी भारत में एक समान गरीबी रेखा निर्धारण करने पर जोर दिया; (3) मूल्य समायोजन प्रक्रिया में परिवर्तन तथा (4) गरीबी का आकलन करते हुए स्वास्थ्य और शिक्षा पर निजी व्यय का समावेश।
  • तेन्दुलकर समिति ने स्पष्ट किया कि कैलोरी आधार पर अनुमानित गरीबी रेखा का छोड़ने की आवश्यकता है क्योंकि एन-एस-एस-ओ, यू-आर-पी- के आधार को छोड़कर एम-आर-पी- आधारित अनुमान को अपना रहा है, इसलिए एम-आर-पी- आधारित गरीबी रेखा के अनुमान की आवश्यकता है।
  • इस समिति ने नयी अखिल भारतीय गरीबी रेखा का अनुमान लगाया, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के लिए 2004-05 मूल्य पर 446-68 रुपया प्रति व्यक्ति प्रति माह तथा शहरी क्षेत्र के लिए 578-80 रुपया प्रति व्यक्ति प्रति माह उनभोग रखा।
  • इस आधार पर समिति के अनुमान के अनुसार 2004-05 में ग्रामीण जनसंख्या का 41.8 प्रतिशत, शहरी जनसंख्या का 27.5 प्रतिशत तथा सम्पूर्ण भारत के स्तर पर गरीबी का 37.2 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रहे थें।
  • योजना आयोग ने जनवरी 2011 में तेन्दुलकर समिति के कार्य विधि के अनुसार 1993-94 तथा 2004-05 के लिए गरीबी का अनुमान जारी किया।
  • इसके बाद, इसी पद्धति के आधार पर 2009-10 और 2011-12 के लिए गरीबी अनुपात क्रमशः मार्च 2012 और जुलाई 2013 में योजना आयोग द्वारा प्राप्त किया गया।

वर्ष

ग्रामीण

शहरी

2004-05

446.7

578.8

2009-10

672.8

859.6

2011-12

816.0

1000.0