संवैधानिक प्रावधान / न्यायिक निर्णय ट्रिव्यूनल का निर्णय

संविधान के भाग-I: में (राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत) बताए गए हैं, जो य/पि किसी न्यायालय द्वारा लागू किए जाने के लिए बाध्य नहीं है, फिर भी देश के शासन में मूलभूत हैं तथा जिन्हें कानून बनाने में लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा।

  • संविधान के अनुच्छेद 46 के अनुसार राज्य, नागरिकों के दुर्बल वर्गों के, विशेषतः अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के शिक्षा और आर्थिक संबंधी हितों की विशेष सावधानी से अभिवृद्धि करेगा और सामाजिक अन्याय के साथ सभी प्रकार के शोषण से उनका संरक्षण करेगा।
  • संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड (24) के अनुसार अनुसूचित जातियों में ऐसी जातियां, मूलवंश या जनजातियां अथवा ऐसी जातियों, मूलवंशों जनजातियों के भाग या उनके समूह से अभिप्रेत हैं, जिन्हें संविधान के प्रयोजनों के लिए अनुच्छेद 341 के अधीन अनुसूचित जातियां समझा जाता है।

सामाजिक सुरक्षा

अनुच्छेद 17, 23, 24, और 25 (2)(इ)

आर्थिक सुरक्षा

अनुच्छेद 23, 24 और 46

शैक्षणिक और सांस्कृतिक सुरक्षा

अनुच्छेद 15 (4)

राजनीतिक सुरक्षा

अनुच्छेद 243, 330 और 332

सेवा सुरक्षा

अनुच्छेद 16(4), 16(4A) और 335

संविधान के अनुच्छेद 342 में यह परिभाषित किया गया है कि किसी राज्य अथवा संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में निम्न को अनुसूचित जनजाति समझा जाएगा, वह हैः

  • अनुच्छेद 342(1): राष्ट्रपति किसी राज्य अथवा संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में, और जहां कोई राज्य हो तो वहां के राज्यपाल के साथ परामर्श करने के बाद, लोक अधिसूचना द्वारा, उन जनजातियों या जनजातीय समुदायों अथवा जनजातियों या जनजातीय समुदायों के भागों या उनके भीतर के समूहों को विनिर्दिष्टकर सकेगा, जिन्हें इस संविधान के प्रयोजनों के लिए यथास्थिति उस राज्य अथवा संघ राज्यक्षेत्र के सम्बन्ध में अनुसूचित जनजातियां समझा जाएगा।
  • अनुच्छेद 342(2): ससंद खंड (1) के अन्तर्गत जारी की गई अधिसूचना में विनिर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में से किसी जनजाति अथवा जनजातीय समूह अथवा किसी जनजाति या जनजातीय समूह के किसी भाग अथवा उनके भीतर के किसी समूह को विधि द्वारा शामिल कर सकती है अथवा बाहर निकाल सकती है, लेकिन जैसा कि ऊपर कहा गया है, उसके सिवाय, उक्त अधिसूचना के अन्तर्गत जारी की गई अधिसूचना को किसी परिवर्ती अधिसूचना द्वारा बदला नहीं जाएगा।