इस मामले में सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि संविधान के अनुच्छेद 16(4) के अधिन पदोन्नति में आरक्षण की वर्तमान नीति को जारी नहीं रखा जा सकता है। तथापि, उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण की वर्तमान नीति को 5 वर्षों तक जारी रखने की अनुमति दी।
उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बावजूद भारत सरकार ने अनुसूचित जातियों व जनजातियों के मामलों में पदोन्नति में आरक्षण को जारी रखना आवश्यक समझा क्योंकि सेवाओं में उनका प्रतिनिधित्व अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुंच पाया था।