अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध अत्याचार रोकने, ऐसे अपराधों पर संज्ञान हेतु विशेष न्यायालयों की व्यवस्था करने और अत्याचारों के पीड़ितों के राहत प्रदान करने एवं उनका पुनर्वास करने के उद्देश्य से अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, वर्ष 1990 से प्रभावी हुआ था।