हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध, पुनर्वास अधिनियम, 2013

शुष्क शौचालयों और हाथ से मैला उठाने की प्रथा का पूर्ण उन्मूलन और हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों का वैकल्पिक व्यवसायों में पुनर्वास सरकार के लिए एक उच्च प्राथमिकता का क्षेत्र रहा है। उपर्युक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, समय-समय पर विधायी और कार्यक्रम संबंधी हस्तक्षेप किए गए हैं।

  • मैनुअल स्केवेंजरों को उनके परम्परागत व्यवसाय से मुक्त करने और उन्हें पुनर्वासित करने के लिए स्केवेंजरों की मुक्ति और पुनर्वास के लिए एक राष्ट्रीय योजना 1992 में शुरू की गई थी।
  • मैनुअल स्केवेंजिग के उनमूलन के लिए पृथक विधायी पहल सफाई कर्मचारी नियोजन और शुष्क शौचालय सन्निर्माण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1993 के रूप में की गई थी, जिसके अंतर्गत शुष्क शौचालय के निर्माण और अनुरक्षण तथा उन्हें साफ करने के लिए व्यक्तियों के नियोजन को निषिद्ध किया गया था। यह अधिनियम 26 जनवरी, 1997 से लागू हुआ है।
  • उक्त उपायों के बावजूद, भारत के महापंजीयक द्वारा जारी आवास सूची तथा आवास जनगणना, 2011 से यह उभरा है कि 26 लाख से अधिक अस्वच्छ शौचालय अभी भी मौजूद हैं, जिनमें मानवीय रूप से साफ किए जा रहे 7 लाख अस्वच्छ शौचालय शामिल हैं।
  • इस मुद्दे के समाधान के लिए 2013 में संसद द्वारा एक और सख्त विधान अधिनियमित किया गया, जिसका नाम ‘‘हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013’’ (एमएस अधिनियम, 2013) है।