समुद्री हीटवेव

जनवरी, 2021 में नेचर कम्युनिकेशन्स जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार आने वाले दशकों में महासागरों में समुद्री हीटवेव की तीव्रता बढ़ सकती है। इसके अलावा, एक अन्य नए शोध में कहा गया कि इंसानों के कारण विश्व के महासागरों में हीटवेव यानी लू की तीव्रता 20 गुना ज्यादा हो गई है। विश्लेषण से पता चला है कि पिछले 40 सालों में दुनिया के सभी महासागरों में समुद्री हीटवेव काफी लंबी अवधि तक बढ़ी है।

  • पिछले साल वैश्विक समुद्री हीट वेव में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई थी जो 2013 के बाद सबसे ज्यादा थी। इस वजह से मौसम पर बड़ा प्रभाव पड़ता है।
  • शोध के अनुसार, ‘जब मिश्रित परत पतली होती है तो समुद्र को गर्म करने के लिए कम गर्मी की जरूरत होती है। ऐसे में भविष्य में समुद्री गर्म हवाएं चलने के मामलों में तेजी आ जाएगी’।

समुद्री हीट वेब के लिए उत्तरदायी कारणः सागरीय जल धाराओं द्वारा उष्ण जल प्रवाह और वायु एवं समुद्री जल के मध्य उष्मा के निरंतर संचालन और परिवर्तन के कारण।

  • वायुमंडल द्वारा प्रत्यक्ष रूप में समुद्र की सतह का गर्म होना।
  • पवने, मरीन हीट वेब में ऊष्मा सम्बन्धी प्रक्रिया को बढ़ा या घटा/कम कर सकती है। इसके अतिरिक्त, जलवायु संबंधित घटनाएं जैसे कि एलनिनो (गर्म जलधारा) भी मरीन हीट वेब की घटनाओं का प्रसार कर सकती है।

क्या है समुद्री हीटवेव

  • समुद्री हीटवेव एक ऐसी स्थिति है, जब किसी विशेष महासागर क्षेत्र में पानी का तापमान असामान्य रूप से अधिक होता है। हाल के वर्षों में इस तरह की हीटवेव के कारण समुद्रों और उनके तट की पारिस्थितिकी प्रणालियों में काफी बदलाव हुआ है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बदलाव को पूरी तरह से ठीक होने में लंबा समय लग सकता है। सबसे बड़े प्रभाव के साथ साथ समुद्री हीटवेव का अध्ययन करने के लिए एट्रिब्यूशन अध्ययन का इस्तेमाल किया गया था।
  • एट्रिब्यूशन अध्ययन के जरिए यह पता लगाया जाता है कि मानव प्रभाव के माध्यम से जलवायु के चरम सीमाओं की आवृत्ति कैसे बदल जाती है।
  • एट्रिब्यूशन अध्ययनों के निष्कर्षों के अनुसार, प्रमुख समुद्री हीटवेव मानव प्रभाव के कारण 20 गुना अधिक हो गए हैं।

प्रभाव

इस अध्ययन के अनुसार, हिंद महासागर में ‘समुद्री हीटवेव’ तेजी से बढ़ रही हैं और इससे भारत में मॉनसून की बारिश पर असर पड़ रहा है। पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। रिसर्च जर्नल ‘जेजीआर ओशन्स’ (JGR Oceans) में यह स्टडी प्रकाशित हुई है।

  • जलक्षेत्र के अंदर हुए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि तमिलनाडु के तट के निकट मन्नार की खाड़ी में 85 प्रतिशत प्रवालों का मई 2020 में समुद्री हीटवेव से रंग परिवर्तित हो गया था। हालांकि हाल के अध्ययनों में इन घटनाओं के होने और वैश्विक महासागरों पर इनके प्रभावों के बारे में जानकारी दी है, लेकिन उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर के संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं है।
  • शोधकर्ताओं के अनुसार यदि यह परत इसी प्रकार क्षीण होती रही तो भविष्य में समुद्री जीवों के साथ-साथ आसपास रहने वाले लोगों का गर्मी से जीना मुश्किल हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार मिश्रित परत जितनी मोटी होगी, उतनी ही मात्र में समुद्र से पानी को गर्म हवा में मिलने से रोकेगी। दूसरे शब्दों में कहें तो यह पानी को हवा में मिलने से रोकने के लिए एक प्रतिरोधक का काम करती है।
  • पतली मिश्रित परत उबलते पानी के बर्तन सरीखी है, जिसमें पानी को गर्म होने में तो थोड़ा समय लगता है लेकिन उबलने के बाद यह तेजी से वाष्प बन कर उड़ने लगता है।
  • यदि जलवायु इसी प्रकार गर्म और मिश्रित परत पतली होती रही तो विज्ञानी महासागरों के सतह के तापमान का अनुमान लगाने में भी असमर्थ हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में फिशिंग (मछली पकड़ना) और अन्य तटीय गतिविधियों पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। इससे कई गरीब और विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।
  • बांग्लादेश में जहां मत्स्य पालन से संबंधित क्षेत्र देश के एक-तिहाई कर्मचारियों को रोजगार देते हैं, अत्यधिक समुद्री गर्मी की घटना से देश की मत्स्य पालन नौकरियों में दो प्रतिशत से लगभग 10 लाख-60 लाख से अधिक की कटौती के आसार हैं।