कोविड-19 महामारी ने हजारों टन अतिरिक्त चिकित्सा अपशिष्ट को जन्म दिया है, जिससे दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों से भारी दबाव पड़ा है, साथ ही मानव और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को भी इससे खतरा है। यह जानकारी डब्ल्यूएचओ द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में दी गई है।
एक चुनौती के रूप में कोविडः जैव-चिकित्सा अपशिष्ट से विभिन्न स्वास्थ्य और पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न होती हैं तथा यह एक व्यापक चुनौती है जो इस महामारी के समय हमारे समक्ष उत्पन्न हुई है।
CPCB के अनुसार डेटाः केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board-CPCB) के अनुमान के अनुसार, मई 2021 के दौरान कोविड-19 से संबंधित जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उत्पादन की औसत मात्रा लगभग 203 टन प्रतिदिन है।
जैव चिकित्सा अपशिष्ट से संबंधित तथ्यः केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट को 4 श्रेणियों में विभाजित किया जाना आवश्यक है और इसका इस नियम की अनुसूची 1 में निपटान के निर्दिष्ट तरीकों के अनुसार उपचारित और निपटान किया जाता है।
जैव चिकित्सा अपशिष्ट को 4 श्रेणियों में बाँटा गया हैः
चुनौतियां
घरों से उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट की बड़ी मात्रः कोविड से संबंधित जैव-चिकित्सा अपशिष्ट न केवल अस्पतालों में बल्कि घरों में भी उत्पन्न होता है। केवल 20% रोगियों को अस्पताल जाना पड़ा।
स्थानीय अस्पतालों के साथ मुद्देः भारत में अपशिष्ट की एक बड़ी मात्र के प्रबंधन की सुविधा है, परंतु इस अपशिष्ट की बड़ी मात्र घरों और प्रांतीय एवं स्थानीय स्तर के अस्पतालों से निकलती है जिससे अपशिष्ट कचरे का प्रबंधन सही तरीके से नहीं रहा है।
म्युनिसिपल/नगरपालिका कर्मचारियों को जोखिमः घर पर बड़ी मात्र में कोविड कचरा उत्पन्न हो रहा है, जो अग्रिम पंक्ति के म्युनिसिपल कर्मचारियों के लिये खतरा बना हुआ है।
जागरूकता की कमीः लोगों को यह भी पता नहीं है कि स्रोत पर ही कचरे को किस प्रकार से अलग किया जाना चाहिये और यह एक बड़ी चिंता का विषय है।
अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के साथ समस्याः जैव-अपशिष्ट के निपटान से संबंधित कानूनी प्रावधान केवल अस्पतालों से ही संबंधित हैं।
CBWTF का असमान वितरणः देश में लगभग 200 सामान्य जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधाएं (Common Biomedical Waste Treatment Facilities-CBWTF) उपलब्ध हैं, लेकिन वे केवल कुछ शहरों/ जिलों जैसे मुंबई या दिल्ली में स्थित हैं।
सटीक डेटा की कमीः महामारी की पहली लहर के दौरान CPCB द्वारा तीव्रता के साथ जैव-चिकित्सा अपशिष्ट उत्पादन पर डेटा एकत्र करने हेतु स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किये गए तथा एक मोबाइल एप विकसित किया गया।