विश्व बैंक के अनुसार, पेरिस जलवायु समझौते को कार्यान्वित करने और अल्प-कार्बन अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त जलवायु संबंधी वित्त की आवश्यकता है। ऐसे में जलवायु संबंधी वित्त में पर्याप्त वृद्धि करने के लिए क्लाइमेट-स्मार्ट PPPs (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) की महत्वपूर्ण भूमिका है।
क्लाइमेट-स्मार्ट PPPs की आवश्यकता
पूंजी उपलब्धताः सार्वजनिक निजी भागीदारी या पब्लिक प्राइवेट पार्टरनशिप में स्थानीय रूप से उपलब्ध वित्त पर दबाव को कम करने की व्यापक क्षमता होती है। इस प्रकार यह हरित विकास को बढ़ावा देकर जलवायु परिवर्तन का समाधान करने के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करता है।
तकनीकी विशेषज्ञताः निजी क्षेत्रक द्वारा जलवायु परिवर्तन से संबंधित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों और उससे संबद्ध तकनीकी विशेषज्ञता विशेष उपलब्ध कराई जा सकती हैं।
समावेशी दृष्टिकोणः यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में सार्वजनिक क्षेत्रक का नेतृत्व और जवाबदेही सुनिश्चित करने के साथ-साथ जलवायु संबंधी वित्त के कुछ घटकों को निजी क्षेत्रक के स्वामित्व में स्थानांतरित करने में सक्षम बनाकर एक समावेशी फ्रेमवर्क प्रदान करता है।
कार्य-संचालन की दक्षता में सुधारः इसके तहत दोनों पक्षकारों को उनकी प्रबंधन संबंधी दक्षता के अनुसार अलग-अलग जोखिम आवंटित किए जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संबंधित परियोजना के जीवन-चक्र के दौरान लागत में कमी आती है।
बेहतर कार्यान्वयन और सेवा वितरणः इसके तहत सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रक की विशिष्ट एवं परस्पर-पूरक विशेषताओं से लाभान्वित हुआ जा सकता है।
बेहतर वित्तीय प्रभावन क्षमताः कई प्रकार की नीतिगत और वित्तीय साधनों से युक्त बेहतर वित्तीय प्रभावन क्षमता का उपयोग जलवायु संबंधी वित्त वाले PPPs में किया जा सकता है।
क्लाइमेट-स्मार्ट PPPs व्यवस्था के कुछ उदाहरण
P4G, जिसका अर्थ पार्टनरिंग फॉर ग्रीन ग्रोथ एंड ग्लोबल गोल्स 2030 है, एक ऐसी वैश्विक पहल है जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से जलवायु कार्रवाई और हरित आर्थिक विकास से संबंधित मुद्दों का समाधान करने का प्रयास करती है। साथ ही, इसका लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों और पेरिस समझौते को पूरा करना भी है।
विशेषताएं/विशिष्ट लक्षण
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चुनौतियां
नीतिगत एवं विनियामक समस्याएं: असहयोगात्मक पर्यावरण नीतियां वस्तुतः स्वच्छ बनाम प्रदूषणकारी परियोजनाओं के सापेक्षिक मूल्य-निर्धारण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं तथा निजी निवेशकों के लिए विनियामक संबंधी जोखिम एवं अनिश्चितता को उत्पन्न करती है।
नियात्मक अनुबंध बनाम अनिश्चित घटनाएं (Deterministic Contracts vs. Uncertain Events): सैद्धांतिक रूप में PPP अनुबंधों के तहत नियात्मक विशेषताएं वस्तुतः अनिश्चित घटनाओं के प्रबंधन के लिए अनुकूल नहीं होती हैं, क्योंकि PPPs अनुबंधों में उच्च अनिश्चिताओं और अप्रत्याशित रूप से घटित होने वाले जोखिमों (जैसे-जलवायु संबंधी जोखिम) से निपटने के लिए एक लचीले दृष्टिकोण का अभाव होता है।
राहत और क्षतिपूर्तिः इसके तहत सभी प्रकार के जलवायु संबंधी खतरों को शामिल करने वाली एक विस्तृत सूची का अभाव है, जो PPPs आधारित परिसंपत्ति को कुछ घटनाओं (जैसे- तूफान, ओलावृष्टि संबंधी क्षति) के लिए राहत या क्षतिपूर्ति पाने की पात्रता संबंधी अक्षमता को उजागर करती है।
बीमाः विकासशील देशों में वाणिज्यिक बीमा बाजारों की सीमित पहुंच संबंधी स्थिति PPPs आधारित परिसंपत्तियों को दीर्घकालिक जलवायु जोखिमों के लिए सुभेद्य बनाती है।
बीमा की सीमित पहुंच और वहनीयता वस्तुतः PPP परियोजनाओं जोखिम को बढ़ाती है और इस प्रकार यह स्थिति निवेशकों को जोखिम के प्रति सुभेद्य बनाकर ऐसे PPPs में निवेश करने से हतोत्साहित करती है।
खरीद संबंधी पक्षपातः जलवायु संबंधी जोखिमों के प्रबंधन के लिए निजी क्षेत्रक द्वारा प्रस्तावित नवीन प्रत्यास्थ उपायों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की आवश्यकता हो सकती है (जैसे कि अतिरिक्त अनुकूलन संबंधी लागतों को पूरा करने के लिए)। लेकिन खरीद संबंधी परिदृश्य में फ्प्रतिस्पर्धी बोलीय् के तहत अत्यधिक भारांश आर्थिक मूल्यांकन संबंधी मानदंड को दिया जाता है जो निजी क्षेत्रक को ऐसे अभिनव समाधान प्रस्तावित करने से हतोत्साहित कर सकते हैं, जिनके लिए अतिरिक्त क्षतिपूर्ति की आवश्यकता हो।
चुनौतियों का समाधान
निजी पक्षकारों के हितों की सुरक्षा करनाः PPPs फ्रेमवर्क के तहत निजी वित्त से संबंधित जोखिम को कम करके निवेशकों को दीर्घकालिक लाभ और स्थिरता प्रदान करनी चाहिए।
PPP सूत्रीकरणः पारदर्शी और प्रभावी वित्तीय तंत्र की विद्यमानता को सुनिश्चित करने के लिए PPPs का सहयोगात्मक रूप से विकास करना और आरंभिक स्तर पर निजी क्षेत्रक की भागीदारी आवश्यक तत्व हैं।
उचित समन्वयः सार्वजनिक और निजी क्षेत्रकों के विभिन्न संगठनों के मध्य गतिशीलता संबंधी कार्यक्रमों के तहत निश्चित अवधि के लिए कर्मचारियों का आदान-प्रदान परस्पर समझ और संचार को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।
जोखिम संबंधी भागीदारीः विशेषज्ञ तकनीकी सहायता द्वारा समर्थित व संयुक्त रूप से जोखिम लेने में वृद्धि करने से जलवायु संबंधी वित्त की उपलब्धता में वृद्धि होने के साथ-साथ उनके त्वरित परिनियोजन में भी सहायता मिलेगी।
हितधारकों के मध्य परामर्शः चूंकि PPPs का उद्देश्य सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करना होता है, इसलिए एक सुदृढ़ हितधारक परामर्श प्रक्रियाओं को स्थापित किया जाना चाहिए। इस प्रकार जलवायु वित्त से संबंधित PPPs द्वारा जमीनी आवश्यकताओं का प्रभावी ढंग से समाधान सुनिश्चित करने के लिए अंतिम लाभार्थियों पर भी विधिवत विचार करना चाहिए।
मूल्यांकन तंत्रः PPPs के वास्तविक दृष्टांतों का व्यवस्थित मूल्यांकन करने से PPPs के उपयोग के लिए अधिक रुचि उत्पन्न करने में योगदान मिलेगा। इसके साथ ही, यह अधिक सफलता विशिष्ट कारकों की पहचान करने में भी सहायता करेगा।
सिद्धांत-अभिकर्ता संबंधी समस्या (Principal-Agent Problem): इसके तहत अपरिभाषित और गैर-निर्धारित जलवायु संबंधी जोखिमों के आलोक में PPPs से संबंधित सिद्धांत-अभिकर्ता संबंधी समस्याएं जैसे कि सूचना संबंधी विषमता और नैतिकता संबंधी खतरे वस्तुतः चिंता का एक प्रमुख विषय हो सकते हैं।