मानसून में देश के पहाड़ी राज्यों में पहाड़ों से चट्टानों के खिसकने से भूस्खलन की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। साल दर साल भूस्खलन से सैकड़ों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं तो वहीं करोड़ों रुपये का नुकसान होता है।
भू-स्खलन के परिणाम
भू-स्खलन के भयावह परिणाम सामने आते हैं। इससे जान माल की क्षति तो होती है, दूसरी अनेक समस्याएं भी सामने आती हैं।
भारत में भूस्खलन की स्थिति
अनेक अनुभवों, इसकी बारंबारता और भूस्खलन के प्रभावी कारकों, जैसे - भूविज्ञान, भूआकृतिक कारक, ढ़ाल, भूमि उपयोग, वनस्पति आवरण और मानव क्रियाकलापों के आधार पर भारत को विभिन्न भूस्खलन क्षेत्रों में बांटा गया है।
अत्यधिक सुभेद्यता क्षेत्र
ज्यादा अस्थिर हिमालय की युवा पर्वतशृंखलाएं, अंडमान और निकोबार, पश्चिमी घाट और नीलगिरि में अधिक वर्षा वाले क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, भूकंप प्रभावी क्षेत्र और अत्यधिक मानव क्रियाकलापों वाले क्षेत्र, जिसमें सड़क और बांध निर्माण इत्यादि शामिल हैं, अत्यधिक भूस्खलन सुभेद्यता क्षेत्रों में रखे जाते हैं।
अधिक सुभेद्यता क्षेत्र
अधिक भूस्खलन सुभेद्यता क्षेत्रों में भी अत्यधिक सुभेद्यता क्षेत्रों से मिलती-जुलती परिस्थितियां होती हैं। लेकिन दोनों में भूस्खलन को नियंत्रण करने वाले कारकों के संयोजन, गहनता और बारंबारता का अंतर है। हिमालय क्षेत्र के सारे राज्य और उत्तर-पूर्वी भाग (असम को छोड़कर) इस क्षेत्र में शामिल हैं।
मध्यम और कम सुभेद्यता क्षेत्र
पार हिमालय के कम वृष्टि वाले क्षेत्र लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में स्पिती, अरावली पहाड़ियों के कम वर्षा वाले क्षेत्र, पश्चिमी व पूर्वी घाट व दक्कन पठार के वृष्टि छाया क्षेत्र ऐसे इलाके हैं, जहां कभी-कभी भूस्खलन होता है।
अन्य क्षेत्र
भारत के अन्य क्षेत्र विशेषकर राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल (दार्जिलिंग जिले को छोड़कर) असम (कार्बी अनलोंग को छोड़कर) और दक्षिण प्रांतों के तटीय क्षेत्र भूस्खलन युक्त हैं।
निवारण
भूस्खलन से निपटने के उपाय अलग-अलग क्षेत्रों के लिये अलग-अलग होने चाहिये। अधिक भूस्खलन संभावी क्षेत्रों में सड़क और बड़े बांध बनाने जैसे-निर्माण कार्य तथा विकास कार्य पर प्रतिबंध होना चाहिये।
भारत की पहल
भारत को आपदा रोधी बनाने तथा भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिये सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को अपनाया है। सभी स्तरों पर हितधारकों की क्षमता को मजबूत बनाने की यह एक अहम पहल है।