सूचकांक के आयाम और संकेतक

MPI तीन आयामों और दस संकेतकों का उपयोग करता है जो इस प्रकार हैं:

  • शिक्षाः स्कूली शिक्षा और बाल नामांकन के वर्ष (प्रत्येक का 1/6 भार, कुल 2/6)
  • स्वास्थ्यः बाल मृत्यु दर और पोषण (प्रत्येक का 1/6 भार, कुल 2/6)
  • जीवन स्तरः बिजली, फर्श, पीने का पानी, स्वच्छता, खाना पकाने का ईंधन और संपत्ति (प्रत्येक का 1/18 भार, कुल 2/6)

रिपोर्ट की विशेषताएँ: वर्तमान में विश्व के 109 देशों में 1.3 बिलियन (21.7 प्रतिशत) लोग बहुआयामी चरम गरीबी की स्थिति में है।

  • रिपोर्ट के अनुसार विश्व के सभी विकासशील क्षेत्रों में गरीबी के मामले देखे गए हैं, परंतु विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका तथा दक्षिण एशिया में यह चरम स्थिति में है।
  • इसके अनुसार लगभग 85 प्रतिशत गरीब लोग उप-सहारा अफ्रीका (556 मिलियन) तथा दक्षिण एशिया (532 मिलियन) में रहते हैं।
  • 67 प्रतिशत से अधिक गरीब लोग मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं।
  • बहुआयामी गरीबी की स्थिति वाले लोगों में लगभग आधे (644 मिलियन) 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों की है।
  • इसके अनुसार 1 बिलियन लोग ठोस ईंधन (लकड़ी, कोयला इत्यादि) का इस्तेमाल कर रहें हैं। अन्य 1 बिलियन लोग अपर्याप्त स्वच्छता के बीच रहते हैं तथा अन्य 1 बिलियन लोगों के पास निम्न कोटि का आवास है।
  • वैश्विक स्तर पर 788 मिलियन व्यक्तियों वाले घरों में कम से कम एक व्यक्ति कुपोषण से ग्रसित है।

भारत की स्थितिः वैश्विक MPI 2021 के अनुसार, 109 देशों में भारत की रैंक 66वीं है।

  • इसके अनुसार भारत के कुल 129 मिलियन अनुसूचित जनजाति लोगों में से लगभग 65 मिलियन लोग बहुआयामी गरीबी में रहते हैं।
  • भारत में कुल जनसंख्या का एक छठा हिस्सा बहुआयामी गरीबी में रहता है।
  • भारत में अनुसूचित जनजाति समूह का 9.4 प्रतिशत, अनुसूचित जाति समूह का 33.3 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग समूह का 27.2 प्रतिशत लोग बहुआयामी गरीबी में रहते हैं।