ऐतिहासिक परम्पराओं, भौगोलिक स्थिति और भूतकालीन अनुभव भारतीय विदेश नीति के निर्माण में प्रभावक कर्तव्य रहे हैं।
नीति के निर्धारक तत्वों का वर्णन निम्नलिखित है-
गुटबंदीः भारत जब स्वाधीन हुआ तो विश्व दो गुटों में बंटा हुआ था। इन दो गुटों की प्रतिद्वंद्विता शीत युद्ध का कारण बनी जब भारत स्वतंत्र हुआ तो उसके सामने यह प्रश्न आया कि वह किस गुट के साथ जाए। भारत ने इस स्थिति में गुटों से पृथक रहना ही ठीक समझा क्योंकि यह दोनों गुटों के बीच सेतु संबंध का कार्य करना चाहता था। भारत द्वारा तटस्थता और असंलग्नता को वैदेशिक नीति अपनाने का प्रधान कारण यही था कि भारत दोनों गुटों से अलग रहते हुए भी दोनों से मैत्रीपूर्ण संबंध भी बनाए रखना चाहता था।
विचारधाराओं का प्रभावः भारत की विदेश नीति के निर्धारण में शांति और अहिंसा पर आधारित गांधीवादी विचारधारा का भी गहरा प्रभाव दिखाई देता है। इस विचारधारा से प्रभावित होकर ही संविधान के अनुच्छेद 51 में विश्व शांति की चर्चा की गई है।
आर्थिक तत्वः भारत की आर्थिक उन्नति तभी संभव थी जब अन्तरराष्ट्रीय शांति बनी रहे। आर्थिक दृष्टि से भारत का अधिकांश व्यापार पाश्चात्य देशों के साथ था और पाश्चात्य देश भारत का शोषण कर सकते थे।
भारत अपने विकास के लिए अधिकतम विदेशी सहायता का भी इच्छुक था। इस दृष्टिकोण से भारत का सभी देशों के साथ मैत्री का रखना आवश्यक था और वह किसी भी एक गुट से नहीं बंध सकता था। गुटबंदी से अलग रहने के कारण उसे दोनों गुटों से आर्थिक सहायता प्राप्त हो सकती थी।
सैनिक तत्वः स्वतंत्रता के समय भारत की सैन्य स्थिति काफी दुर्बल थी। अपनी रक्षा के लिए वह पूरी तरह विदेशों पर निर्भर था। अपनी सैनिक दुर्बलता के कारण ही वर्षों तक शिकंजे में रखने वाले ब्रिटेन के राष्ट्रमंडल का सदस्य बना, ताकि उसे समय अनुसार सैनिक सहायता मिलती रहे। इस दृष्टिकोण से भारत का सभी देशों के साथ मैत्री का बर्ताव रखना भी आवश्यक था।
राष्ट्रीय हितः नेहरू ने संविधान सभा में कहा था, ‘किसी भी देश की विदेश नीति की आधारशिला उसके राष्ट्रीय हित की सुरक्षा होती है और भारत की विदेश नीति का भी ध्येय यही है’।
ऐतिहासिक परम्पराएं: प्राचीन काल से ही भारत की नीति शांतिप्रिय रही है। भारत ने किसी भी देश पर प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयत्न नहीं किया। भारत की यह परम्परा वर्तमान विदेश नीति में स्पष्ट दिखाई देती है। भारत की विदेश नीति में विश्व शांति और बंधुत्व पर बल दिया गया है, जिसके पीछे ऐतिहासिक परम्परा ही है।
भारतीय वैदेशिक नीति के मूल तत्व व सिद्धांत-
स्वाधीन भारत की विदेश नीति का विश्लेषण करने पर निम्नांकित विशेषताएं भारतीय विदेश नीति की दिखाई देती हैः