गुजराल सिद्धांत

इंद्र कुमार गुजराल ने एच-डी- देवेगौड़ा सरकार में केंद्रीय विदेश मंत्री रूप में भारत की विदेश नीति के निर्धारण हेतु ‘गुजराल सिद्धांत’ का प्रतिपादन किया था, जिसे भारत की विदेश नीति में मील का पत्थर माना जाता है।

गुजराल सिद्धांत भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों के संचालन का मार्गदर्शन करने हेतु पांच सिद्धांतों का एक समूह है। ये पांच सिद्धांत इस विश्वास से उत्पन्न होते हैं कि भारत की शक्ति को पड़ोसी देशों के साथ उसके संबंधों की महत्ता से अलग नहीं किया जा सकता है।

इसलिये यह सिद्धांत पड़ोसी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।

  • गुजराल सिद्धांत का मूल मंत्र यह था कि भारत को अपने पड़ोसी देशों मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और भूटान के साथ विश्वसनीय सम्बन्ध बनाने होंगे।
  • उनके साथ विवादों को बातचीत से सुलझाना होगा और उन्हें दी गई किसी मदद के बदले में तुरंत कुछ हासिल करने की अपेक्षा नहीं करनी होगी।
  • साथ ही किसी भी प्राकृतिक, राजनीतिक और आर्थिक संकट को सुलझाने में मदद करनी होगी।
  • किसी भी देश को एक दूसरे के आन्तरिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए।
  • दक्षिण एशिया का कोई भी देश अपनी जमीन से किसी दूसरे देश के खिलाफ देश-विरोधी गतिविधियां नहीं चलाएगा।
  • सभी दक्षिण एशियाई इस क्षेत्र के विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाएंगे।
  • इस क्षेत्र के देश एक-दूसरे की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करेंगे और किसी भी संकट से निपटने के लिए एक दूसरे की आर्थिक और श्रमिक रूप से मदद करेंगे।