परमाणु नीति 2003

भारतीय परमाणु नीति जिसका आरंभिक वर्षों में सूत्रपात हुआ, दो सिद्धान्तों के इर्द-गिर्द बनी रही; शान्तिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के उत्पादन/संग्रहण के लिए अनुसंधान और विकास की प्रोन्नति करना तथा परमाणु कार्यक्रम में स्वयं समर्थ होना। इस नीति के प्रमुख निर्माता पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉक्टर होमी भाभा थे।

  • इन सिद्धांतों के आधार पर भारत ने तीन स्तरीय परमाणु नीति का अभिरूपण किया।
  • भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण मई 1974 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल में किया था। इस परमाणु परीक्षण का नाम ‘स्माइलिंग बुद्धा’ था।
  • इसके बाद पोखरण-2 परीक्षण मई 1998 में पोखरण परीक्षण रेंज पर किये गए पांच परमाणु बम परीक्षणों की श्रृंखला का एक हिस्सा था। भारत ने 11 और 13 मई, 1998 को राजस्थान के पोखरण परमाणु स्थल पर 5 परमाणु परीक्षण किये थे। भारत पहला ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश बना जिसने परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

परमाणु नीति 2003

भारत की परमाणु नीति का मूल सिद्धांत पहले उपयोगी नहीं है तथा इसी आधार पर उसने 2003 में अपनी परमाणु नीति का सूत्रपात किया जो निम्न है-

  • भारत की परमाणु नीति का मूल सिद्धांत ‘पहले उपयोग नहीं’ है।
  • इस नीति के अनुसार भारत किसी भी देश पर परमाणु हमला तब तक नहीं करेगा जब तक कि शत्रु देश भारत के ऊपर हमला नहीं कर देता।
  • भारत अपनी परमाणु नीति को इतना सशक्त रखेगा कि दुश्मन के मन में भय बना रहे।
  • दुश्मन के खिलाफ परमाणु हमले की कार्यवाही करने के अधिकार सिर्फ जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों अर्थात देश के राजनीतिक नेतृत्व को ही होगा, हालांकि परमाणु कमांड अथॉरिटी का सहयोग जरूरी होगा।
  • जिन देशों के पास परमाणु हथियार नहीं हैं उनके खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा।
  • यदि भारत के खिलाफ या भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ किसी कोई रासायनिक या जैविक हमला होता है तो भारत इसके जबाब में परमाणु हमले का विकल्प खुला रखेगा।
  • परमाणु एवं प्रक्षेपात्र सम्बन्धी सामग्री तथा प्रौद्योगिकी के निर्यात पर कड़ा नियंत्रण जारी रहेगा तथा परमाणु परीक्षणों पर रोक जारी रहेगी।

न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी

  • इसके अंतर्गत एक राजनीतिक परिषद् तथा एक कार्यकारी परिषद् होती है। राजनीतिक परिषद् के अध्यक्ष प्रधानमन्त्री होते हैं, जबकि कार्यकारी परिषद् के अध्यक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) होते हैं। NSA न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी को निर्णय लेने के लिए जरूरी सूचनाएं उपलब्ध कराते हैं तथा राजनीतिक परिषद् द्वारा किये गए निर्देशों का क्रियान्वयन करते हैं।