भारत क्योटो प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर के साथ-साथ इसकी पुष्टि भी कर चुका है। उल्लेखनीय है कि पुष्टि के बाद भी भारत पर किसी तरह की प्रतिबद्धता नहीं है और उसे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन से किसी प्रकार की कटौती नहीं करनी है क्योंकि वह एनेक्स में विकसित देशों की सूची में नहीं है। क्योटो प्रोटोकॉल की पुष्टि से भारत के कई फायदे हैं। इससे भारत में पुनर्नवीनीकरण ऊर्जा, ऊर्जा उत्पादन तथा वनीकरण योजना में निवेश होगा। इसके अलावा क्योटो प्रोटोकॉल से भारत के संतुलित विकास को मद्देनजर रखते हुए स्वच्छ प्रौद्योगिकी परियोजनाओं हेतु बाहरी सहायता भी प्राप्त हो सकेगी। इसी क्रम में जर्मनी के सहकारी बैंक के-एफ-डब्ल्यू ने सर्वप्रथम कार्बन फंड की स्थापना की है और वह भारत से कार्बन क्रेडिट खरीदने को तैयार है।