आज वैज्ञानिकों के सामने ओजोन परत के क्षरण की गंभीर समस्या है, जो कि विभिन्न पारिस्थितिकीय असन्तुलनों द्वारा पर्यावरण को अपूरणनीय क्षति पहुंचा रही है। ओजोन परत के क्षरण की समस्या पर विश्व भर का ध्यान आकर्षित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने अपने पर्यावरण कार्यक्रमों के अन्तर्गत 16 सितम्बर का दिन ‘विश्व ओजोन दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। 1995 से आरम्भ इस कार्यक्रम के तहत विश्व के तमाम देशों से ओजोन को क्षति पहुंचाने वाली ‘हैलोन’ गैस और क्लोरो-फ्लोरो कार्बन का कम से कम उपयोग करने की अपील की जा रही है। ऊपरी वायुमंडल में स्थित ओजोन परत में छिद्र का पता लगते ही क्लोरो-फ्रलोरो कार्बन (सी-एफ-सी-) को ‘ओजोन शत्रु’ का नाम दे दिया गया तथा इसे पर्यावरण के सबसे बड़े शत्रु के रूप में देखा जाने लगा।