यह क्लोरीन, फ्लोरीन औरकार्बन परमाणुओं के यौगिकों का एक संघटन है, जिसका औद्योगिक क्षेत्र में सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। इनका उपयोग रेफ्रिजरेटरों में प्रशीतक व प्लास्टिक में झाग बनाने वाले एजेंट, एयरोसॉल प्रणोदकों, वातानुकूलन संयंत्रें, एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग, ऑप्टीकल उद्योग तथा फार्मेसी उद्योगों में व्यापक रूप से किया जाता है। क्लोरो-फ्रलोरो कार्बन (सी-एफ-सी-) का उद्योगों में अनुप्रयोग, वातावरण में इन गैसों को फैलाता है तथा ये धीरे-धीरे ओजोन परत तक पहुंच जाती है। वहां सूर्य की अल्ट्रा-वायलेट किरणें सी-एफ-सी- अणुओं को तोड़ देती हैं, जिससे क्लोरीन परमाणु मुक्त होकर ओजोन के अणुओं से प्रतिक्रिया कर उन्हें ऑक्सीजन में बदल देते हैं। यह प्रक्रिया एकशृंखला प्रतिक्रिया के रूप में चलती रहती है और क्लोरीन परमाणु ओजोन अणुओं को लगातार तोड़ते रहते हैं। यही वह रासायनिक अभिक्रिया है, जिसने विश्व के समक्ष ओजोन रिक्तीकरण जैसा गंभीर संकट उत्पन्न कर दिया है।