कार्बन फुटप्रिंट के मापन के लिए व्यक्ति या औद्योगिक इकाई द्वारा वातावरण में उत्सर्जित कार्बन डाईऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों की कुल मात्र जोड़ी जाती है। फिर, इस मात्र को कार्बन डाईऑक्साइड के ग्राम उत्सर्जन में मापा जाता है। इसकी माप कार्बन डाईऑक्साइड के रूप में इसलिए की जाती है क्योंकि वातावरण में उत्सर्जित अन्य ग्रीन हाउस गैसों का वैश्विक तापन में योगदान कमोबेश कार्बन डाईऑक्साइड, जितना ही होता है। उल्लेखनीय है कि फुटप्रिंट की मात्र कार्बन डाईऑक्साइड में निकालने के लिए लाइफ सायकल एसेसमेंट (एलसीए) विधि का प्रयोग किया जाता है। विकासशील देशों चीन, ब्राजील और भारत क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान पर है। वैश्विक स्तर पर कार्बन फुटप्रिंट के उत्सर्जन में ऊर्जा उपभोग से प्राप्त उत्सर्जन सर्वाधिक है और कुल उत्सर्जन में इस का हिस्सा लगभग 24.7% है, जबकि भू-उपयोग में बदलाव और जंगल के विनष्ट होने से 7.6%, कृषि संबंधी क्रियाओं से 5.6%, कचरा निष्पादन से 15% और औद्योगिक प्रक्रियाओं से 1.4% कार्बन उत्सर्जन होता है।